जयपुर.हाईकोर्ट ने प्रदेश के आयोगों व अधिकरणों में पदाधिकारियों के खाली पदों के मामले में कहा है कि यदि सरकार खाली पदों को नहीं भर रही है तो राज्य सरकार, न्याय मित्र व अन्य पक्षकार अदालत को ही नाम बता दें तो वह उनसे खाली पदों को भर देगी।
हाईकोर्ट के न्यायाधीश केएस झवेरी व महेन्द्र माहेश्वरी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी आयोगों व अधिकरणों में खाली चल रहे पदों पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए की। सुनवाई के दौरान न्याय मित्र अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि अभी भी आयोगों व अधिकरणों में स्वीकृत पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। जबकि पिछली सुनवाई पर राज्य सरकार ने 24 अक्टूबर तक सभी खाली पदों को भरने का आश्वासन दिया था। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एन.एम.लोढ़ा ने पदों को भरने के लिए समय मांगा। जिस पर अदालत ने महाधिवक्ता को खाली पद भरने के लिए 21 नवंबर तक का समय दिया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने जुलाई 2015 में प्रदेश के मानवाधिकार आयोग सहित बाल आयोग, महिला आयोग व एससी आयोग में पदाधिकारी नहीं होने पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था।
लेक्चरर बनने वालों के वेतन में फर्क को हाईकोर्ट में चुनौती
सीधी भर्ती से और पदोन्नति से बनने वाले स्कूल लेक्चरर के वेतन में दो हजार रु. के वेरिएशन को लेकर राजस्थान सिविल सर्विस रूल्स को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस संबंध में शिक्षा और वित्त विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता राजाराम विश्नोई व अन्य की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर व करणीदान सिंह ने कोर्ट को बताया कि ग्रेड सैकंड टीचर से स्कूल लेक्चरर के पद आधे सीधी भर्ती से और आधे पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। स्कूल लेक्चरर के लिए पे-स्केल 9300-34800 और पे-बैंड 4800 रुपए है, लेकिन पदोन्नति से बनने वाले स्कूल लेक्चरर का वेतन कम है। पदोन्नति से लेक्चरर बनने वाले को 16 हजार 860 रुपए मूल वेतन मिलता है, वहीं सीधी भर्ती वाले को 18 हजार 750 रुपए मूल वेतन दिया जा रहा है। इसके लिए राजस्थान सिविल सर्विस (रिवाइज) पे रूल्स 2008 के रूल्स 24 का हवाला दिया जा रहा है।
अधिवक्ता माथुर ने कोर्ट को यह भी बताया गया कि कुछ अभ्यर्थियों को पदोन्नति पर 18 हजार 70 रुपए मूल वेतन दे दिया गया था, उनसे वापस रिकवरी की जा रही है, जो कि अनुचित है। न्यायाधीश गोविंद माथुर व दीपक माहेश्वरी की खंडपीठ ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के सचिव सहित माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
आदेश यथावत, सरकार की अपील खारिज
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोविंद माथुर व दीपक माहेश्वरी की खंडपीठ ने स्टोर मुंशी के पद पर पदोन्नत करने के मामले में एकलपीठ के आदेश को यथावत रखते हुए राज्य सरकार की अपील याचिका को खारिज कर दिया।
शिक्षण संस्थाओं को अनुदान का भुगतान करने के आदेश, आईएएस के खिलाफ अवमानना याचिका निस्तारित
राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने विभिन्न शिक्षण संस्थाओं को अनुदान राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता विद्या भवन सोसायटी व अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्रसिंह सिंघवी ने कोर्ट के आदेश के बावजूद अनुदान का भुगतान नहीं करने पर अवमानना याचिका दायर की।
आईएएस भास्कर ए. सावंत, राजीव स्वरूप व नरेशपाल गंगवार सहित विभिन्न संबंधित अफसरों के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन के पास जमा अनुदान की राशि को शिक्षण संस्थाओं को देने के आदेश दिए हैं।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
हाईकोर्ट के न्यायाधीश केएस झवेरी व महेन्द्र माहेश्वरी की खंडपीठ ने यह टिप्पणी आयोगों व अधिकरणों में खाली चल रहे पदों पर लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए की। सुनवाई के दौरान न्याय मित्र अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने कहा कि अभी भी आयोगों व अधिकरणों में स्वीकृत पदों पर नियुक्ति नहीं हुई है। जबकि पिछली सुनवाई पर राज्य सरकार ने 24 अक्टूबर तक सभी खाली पदों को भरने का आश्वासन दिया था। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एन.एम.लोढ़ा ने पदों को भरने के लिए समय मांगा। जिस पर अदालत ने महाधिवक्ता को खाली पद भरने के लिए 21 नवंबर तक का समय दिया।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने जुलाई 2015 में प्रदेश के मानवाधिकार आयोग सहित बाल आयोग, महिला आयोग व एससी आयोग में पदाधिकारी नहीं होने पर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था।
लेक्चरर बनने वालों के वेतन में फर्क को हाईकोर्ट में चुनौती
सीधी भर्ती से और पदोन्नति से बनने वाले स्कूल लेक्चरर के वेतन में दो हजार रु. के वेरिएशन को लेकर राजस्थान सिविल सर्विस रूल्स को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है। कोर्ट ने इस संबंध में शिक्षा और वित्त विभाग को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता राजाराम विश्नोई व अन्य की ओर से अधिवक्ता कुलदीप माथुर व करणीदान सिंह ने कोर्ट को बताया कि ग्रेड सैकंड टीचर से स्कूल लेक्चरर के पद आधे सीधी भर्ती से और आधे पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान है। स्कूल लेक्चरर के लिए पे-स्केल 9300-34800 और पे-बैंड 4800 रुपए है, लेकिन पदोन्नति से बनने वाले स्कूल लेक्चरर का वेतन कम है। पदोन्नति से लेक्चरर बनने वाले को 16 हजार 860 रुपए मूल वेतन मिलता है, वहीं सीधी भर्ती वाले को 18 हजार 750 रुपए मूल वेतन दिया जा रहा है। इसके लिए राजस्थान सिविल सर्विस (रिवाइज) पे रूल्स 2008 के रूल्स 24 का हवाला दिया जा रहा है।
अधिवक्ता माथुर ने कोर्ट को यह भी बताया गया कि कुछ अभ्यर्थियों को पदोन्नति पर 18 हजार 70 रुपए मूल वेतन दे दिया गया था, उनसे वापस रिकवरी की जा रही है, जो कि अनुचित है। न्यायाधीश गोविंद माथुर व दीपक माहेश्वरी की खंडपीठ ने याचिका को विचारार्थ स्वीकार कर शिक्षा विभाग और वित्त विभाग के सचिव सहित माध्यमिक शिक्षा निदेशक को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
आदेश यथावत, सरकार की अपील खारिज
राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश गोविंद माथुर व दीपक माहेश्वरी की खंडपीठ ने स्टोर मुंशी के पद पर पदोन्नत करने के मामले में एकलपीठ के आदेश को यथावत रखते हुए राज्य सरकार की अपील याचिका को खारिज कर दिया।
शिक्षण संस्थाओं को अनुदान का भुगतान करने के आदेश, आईएएस के खिलाफ अवमानना याचिका निस्तारित
राजस्थान हाईकोर्ट की न्यायाधीश निर्मलजीत कौर ने विभिन्न शिक्षण संस्थाओं को अनुदान राशि का भुगतान करने के आदेश दिए हैं। याचिकाकर्ता विद्या भवन सोसायटी व अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता महेंद्रसिंह सिंघवी ने कोर्ट के आदेश के बावजूद अनुदान का भुगतान नहीं करने पर अवमानना याचिका दायर की।
आईएएस भास्कर ए. सावंत, राजीव स्वरूप व नरेशपाल गंगवार सहित विभिन्न संबंधित अफसरों के विरुद्ध दायर अवमानना याचिका को निस्तारित करते हुए कोर्ट ने हाईकोर्ट प्रशासन के पास जमा अनुदान की राशि को शिक्षण संस्थाओं को देने के आदेश दिए हैं।
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