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12वीं के दो छात्रों ने गांव में खोला प्री स्कूल, कॉपी-स्लेट और ड्रेस तक देते हैं फ्री

उदयपुर।आदिवासी क्षेत्र में बच्चों को पढ़ाने के लिए सरकार करोड़ों का बजट खर्च कर रही है, फिर भी शिक्षा के हालात नहीं सुधर पाए हैं। वहीं काया की झाड़ा अडुवा बस्ती में बारहवीं और फर्स्ट ईयर में पढ़ने वाले दो छात्र सरकारी एजुकेशन सिस्टम के लिए भी मिसाल हैं। 18 साल के सोनू मीणा और 19 साल के रामलाल मीणा में शिक्षा के प्रति ऐसी अलख जगी कि इन्होंने गांव के बच्चों की शिक्षा के लिए प्री स्कूल खोल दिया।
आस-पास के 6 गांल बच्चे आते हैं पढ़ने
गांव में वन विभाग की खंडहर हो चुकी चौकी में चलने वाले इस स्कूल में व्यवस्थाओं की भले ही कमी हो, लेकिन दो साल से यहां 3 से 4 साल तक के बच्चों को निशुल्क पढ़ाई करवाकर सरकारी स्कूलों में दाखिला भी दिलवाया जा रहा है। स्कूल में बच्चों के लिए स्लेट, कॉपी-किताबें और ड्रेस की व्यवस्था भी इन्हीं के प्रयास से होती है। इस साल यहां 60 बच्चे पढ़ रहे हैं। पिछले साल 129 बच्चों में से 24 को सरकारी स्कूलों में दाखिला दिलवा चुके हैं। इनकी स्कूल में आसपास की छह-सात बस्तियों के बच्चे पढ़ने आते हैं। काया पंचायत क्षेत्र की छह-सात गांव-ढाणियाें में सरकारी स्कूल काया पंचायत मुख्यालय पर है। जो दो से तीन किमी दूर पड़ता है। ग्रामीणों में शिक्षा के प्रति जागरूकता की कमी देख दोनों छात्रों ने पिछले साल बच्चों को निशुल्क पढ़ाने का बीड़ा उठाया।
खंडहर पड़ी जमीन पर चलाते हैं क्लास
गांव में खंडहर पड़ी वन विभाग की चौकी में दरी-पट्टी की व्यवस्था कर प्री स्कूल शुरू कर दिया। महेंद्र बावड़ी, झाड़ा अडुवा, जमनिया फला, वादरा फला, रामा रेट, नाड़ा बस्तियों में घर-घर पहुंचे और सरकारी स्कूलों में नहीं जाने वाले 129 बच्चों को पढ़ने के लिए तैयार कर लिया। इन्हें हिंदी, अंग्रेजी और गणित का प्राथमिक स्तर का ज्ञान करवाया और इस साल 12 बच्चों को काया स्कूल और 12 को उमरिया प्राथमिक स्कूल में दाखिला करवा दिया। इस साल इस प्री स्कूल में 60 बच्चे हैं। काया स्कूल के शारीरिक शिक्षक घनश्याम खटीक यहां पढ़ने वाले बच्चों की स्टेशनरी का खर्च उठा रहे हैं।
दो शिफ्ट में लगती है क्लास
बारहवीं पास कर चुका सोनू इस साल प्राइवेट पढ़ रहा है। वह सुबह 8 से 12 बजे वाली शिफ्ट में बच्चों को पढ़ाता है। बारहवीं का छात्र रामलाल खुद पढ़कर आता है और बाद में दूसरी शिफ्ट में गांव के बच्चों को पढ़ाता है। खंडहर वन चौकी के अलावा गांव में कोई जगह नहीं है। इस कारण बारिश के दिनों में यहां पढ़ाई नहीं हो पाती है। इनके स्कूल में पढ़ने के लिए बच्चे दो किलोमीटर दूर तक से आते हैं।
खुद मुश्किलों में पढ़े तो जगा वंचितों को पढ़ाने का जज्बा
सोनू और रामलाल चार किमी दूर काया पंचायत मुख्यालय स्थित स्कूल पैदल जाकर पढ़े हैं। लेकिन क्षेत्र की बस्तियों के कई ग्रामीणों में ऐसी जागरूकता नहीं है। इसे देखकर उन्होंने पिछले साल शिक्षा से वंचित बच्चों को पढ़ाने की ठान ली थी। दोनों ने सत्र की शुरुआत में ही सरकारी स्कूलों की तर्ज पर घर-घर जाकर ग्रामीणों को बच्चों को पढ़ने भेजने के लिए जागरूक किया और स्कूल शुरू हो गया।
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