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देश की शिक्षा नीति में बदलाव को लेकर मांगें गए सरल सुझाव

देश की शिक्षा नीति में बदलाव को लेकर विचार व्यक्त किये गए कहा गया की नई शिक्षा नीति के खाके में छात्र राजनीति को जारी रखा जाए या नहीं इस मुद्दे पर केंद्र सरकार सिरे से विचार करने की हिमायती है. तभी तो शिक्षा की नीति में सुधार करने के प्रस्तावित मसौदे में ये बात साफ की गई है.
देश की शिक्षा नीति में 21वीं सदी के अनुरूप बदलाव करने के लिए सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशे अब जनता के सुझाव के लिए सार्वजनिक कर दी गई हैं.

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सुब्रमण्यम कमेटी की सिफारिशों के आधार पर नई शिक्षा नीति का मसौदा मंत्रालय के पोर्टल पर डाला है. इन सिफारिशों में शिक्षा नीति में बदलाव, सुधार और संशोधन की कई गम्भीर सिफारिशों के बीच एक अहम मुद्दा कैंपस पॉलिटिक्स का है. कैंपस पॉलिटिक्स ने जहां देश को दिशा देने वाले नेता गढ़े वहीं सुब्रमण्यम कमेटी इसे इसी तरह जारी रखने के पक्ष में नहीं है.
अपनी 216 पेज की रिपोर्ट में कमेटी ने कहा है कि कई छात्र तो सिर्फ छात्र संघ राजनीति के लिए ही अधेड़ होने तक पढ़ाई का ढोंग करते रहते हैं. कई छात्र चुनावी चक्कर में पढ़ाई पर ध्यान ही नहीं दे पाते. कैंपस में आकर पढ़ाई करने की बजाय उनकी प्राथमिकता राजनीति हो जाती है. ये हमारी शिक्षा नीति नहीं होनी चाहिए.

इस सिफारिश को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने अपनी ड्राफ्ट पॉलिसी में जस का तस शामिल नहीं किया है. मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई 43 पेज की ड्राफ्ट पॉलिसी में एक पैरा कैंपस पॉलिटिक्स पर भी है. इसमें कहा गया है कि इस बारे में गहन विचार विमर्श और अनुसंधान जरूरी है लिहाजा आम जनता, शिक्षाविद् और राजनीतिक लोग अपनी राय जरूर दें. जिससे एक समग्र और व्यवहारिक शिक्षा नीति बनाई जा सके. जिसके आधार पर नई पीढ़ी और देश का भविष्य सुनहरा बन सके.

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