शिक्षा का अधिकार कानून के तहत इस साल लागू किए गए नए प्रावधानों का इतना अधिक असर पड़ा कि एक साल में ही निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में करीब एक लाख की कमी गई। पिछले साल 1.65 लाख विद्यार्थियों को आरटीई के तहत निशुल्क प्रवेश मिला था और इस साल 78 हजार निशुल्क प्रवेश ही हुए हैं।
नए प्रावधानों के कारण बड़ी संख्या में जरूरतमंद विद्यार्थी भले ही निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश से वंचित हो गए हो,लेकिन शिक्षा विभाग के आला अधिकारी इन आंकड़ों से बेहद खुश हैं। कम प्रवेश से सरकार को इस साल 100 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है।
आरटीई में हर साल विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या के कारण सरकार पर भी आर्थिक भार बढ़ रहा था। इस पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा विभाग ने इस साल आरटीई में प्रवेश के लिए कांग्रेस शासन में तय किए गए प्रावधानों को बदल दिया था। इसमें दुर्बल वर्ग कैटेगरी में ढाई लाख रुपए की आय सीमा का प्रावधान हटाते हुए सामान्य,ओबीसी और एसबीसी के केवल बीपीएल को ही निशुल्क प्रवेश के लिए पात्र माना था। साथ ही असुविधाग्रस्त कैटेगरी में एससी,एसटी,विकलांग,अनाथ,गंभीर रोग से पीड़ित और युद्ध विधवाओं के बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश के लिए पात्र माना गया था। पहले ढाई लाख रुपए से कम आय वाले अभिभावकों के बच्चे निशुल्क प्रवेश के लिए पात्र होते थे। भले ही वे सामान्य कैटेगरी के हों या ओबीसी या एसबीसी के। नए प्रावधानों से इन वर्गों में केवल बीपीएल अभिभावक के बच्चे ही आवेदन कर पाए। इससे प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी एक ही साल में गिरावट गई। सरकार ने निशुल्क प्रवेश पाने वालों के नाम आरटीई पोर्टल पर फीड करने के लिए 31 जुलाई अंतिम तिथि तय कर रखी है। लेकिन अब तक केवल 78,388 विद्यार्थियों के प्रवेश की सूचना ही अपलोड की गई है। पोर्टल पर नाम फीड करने की तिथि दो बार बढ़ने के कारण अब इस संख्या में अधिक बदलाव की संभावना नहीं है।
आवेदन भी घटे,प्रवेश पाने वाले भी
सत्रआवेदनों की संख्या प्रवेश पाने वाले
2013-14-216110
2014-15 326642 173916
2015-16 346748 165940
2016-17 159063 78388
जयपुर में सबसे अधिक,जैसलमेर में सबसे कम निशुल्क प्रवेश
अजमेरमें 2498,अलवर में 2328,बारां में 1315,बांसवाड़ा में 2285,बाड़मेर में 1402,भरतपुर में 2975,भीलवाड़ा में 1650,बीकानेर में 2551,बूंदी में 1208,चित्तौडगढ में 1246,चूरू में 2651,दौसा में 2280,धौलपुर में 2772,डूंगरपुर में 974,श्रीगंगानगर में 2762,हनुमानगढ़ में 3285,जयपुर में 12392,जैसलमेर में 582,जालौर में 2141,झालावाड़ में 1820,झुंझुनूं में 1920,जोधपुर में 5093,करौली में 2145,कोटा में 3617,नागौर में 4310,पाली में 1248,प्रतापगढ़ में 674,राजसमंद में 1209,सवाईमाधोपुर में 1863,सीकर में 1665,सिरोही में 966,टोंक में 1091 और उदयपुर में 1470 विद्यार्थियों को निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश मिला है।
ऐसेबढ़ जा रहा था सरकार पर भार:आरटीईके तहत एक बार प्रवेश होने पर 8वीं तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। ऐसे में हर साल पढ़ाई के बदले निजी स्कूलों को दी जा रही पुनर्भरण राशि का खर्चा बढ़ता जा रहा था। सत्र 2013-14 में 79 करोड़ रुपए,2014-15 में 172 करोड़ रुपए और 2015-16 में 279 करोड़ रुपए का निजी स्कूलों को भुगतान किया गया। पिछले साल की तरह ही इस साल भी प्रवेश हो जाते तो यह राशि और अधिक बढ़ जाती। लेकिन एक लाख विद्यार्थियों के प्रवेश कम होने से सरकार को करीब 100 करोड़ रुपए की बचत होना तय है।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
नए प्रावधानों के कारण बड़ी संख्या में जरूरतमंद विद्यार्थी भले ही निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश से वंचित हो गए हो,लेकिन शिक्षा विभाग के आला अधिकारी इन आंकड़ों से बेहद खुश हैं। कम प्रवेश से सरकार को इस साल 100 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है।
आरटीई में हर साल विद्यार्थियों की बढ़ती संख्या के कारण सरकार पर भी आर्थिक भार बढ़ रहा था। इस पर अंकुश लगाने के लिए शिक्षा विभाग ने इस साल आरटीई में प्रवेश के लिए कांग्रेस शासन में तय किए गए प्रावधानों को बदल दिया था। इसमें दुर्बल वर्ग कैटेगरी में ढाई लाख रुपए की आय सीमा का प्रावधान हटाते हुए सामान्य,ओबीसी और एसबीसी के केवल बीपीएल को ही निशुल्क प्रवेश के लिए पात्र माना था। साथ ही असुविधाग्रस्त कैटेगरी में एससी,एसटी,विकलांग,अनाथ,गंभीर रोग से पीड़ित और युद्ध विधवाओं के बच्चों को आरटीई के तहत प्रवेश के लिए पात्र माना गया था। पहले ढाई लाख रुपए से कम आय वाले अभिभावकों के बच्चे निशुल्क प्रवेश के लिए पात्र होते थे। भले ही वे सामान्य कैटेगरी के हों या ओबीसी या एसबीसी के। नए प्रावधानों से इन वर्गों में केवल बीपीएल अभिभावक के बच्चे ही आवेदन कर पाए। इससे प्रवेश पाने वाले विद्यार्थियों की संख्या में भी एक ही साल में गिरावट गई। सरकार ने निशुल्क प्रवेश पाने वालों के नाम आरटीई पोर्टल पर फीड करने के लिए 31 जुलाई अंतिम तिथि तय कर रखी है। लेकिन अब तक केवल 78,388 विद्यार्थियों के प्रवेश की सूचना ही अपलोड की गई है। पोर्टल पर नाम फीड करने की तिथि दो बार बढ़ने के कारण अब इस संख्या में अधिक बदलाव की संभावना नहीं है।
आवेदन भी घटे,प्रवेश पाने वाले भी
सत्रआवेदनों की संख्या प्रवेश पाने वाले
2013-14-216110
2014-15 326642 173916
2015-16 346748 165940
2016-17 159063 78388
जयपुर में सबसे अधिक,जैसलमेर में सबसे कम निशुल्क प्रवेश
अजमेरमें 2498,अलवर में 2328,बारां में 1315,बांसवाड़ा में 2285,बाड़मेर में 1402,भरतपुर में 2975,भीलवाड़ा में 1650,बीकानेर में 2551,बूंदी में 1208,चित्तौडगढ में 1246,चूरू में 2651,दौसा में 2280,धौलपुर में 2772,डूंगरपुर में 974,श्रीगंगानगर में 2762,हनुमानगढ़ में 3285,जयपुर में 12392,जैसलमेर में 582,जालौर में 2141,झालावाड़ में 1820,झुंझुनूं में 1920,जोधपुर में 5093,करौली में 2145,कोटा में 3617,नागौर में 4310,पाली में 1248,प्रतापगढ़ में 674,राजसमंद में 1209,सवाईमाधोपुर में 1863,सीकर में 1665,सिरोही में 966,टोंक में 1091 और उदयपुर में 1470 विद्यार्थियों को निजी स्कूलों में निशुल्क प्रवेश मिला है।
ऐसेबढ़ जा रहा था सरकार पर भार:आरटीईके तहत एक बार प्रवेश होने पर 8वीं तक निशुल्क शिक्षा का प्रावधान है। ऐसे में हर साल पढ़ाई के बदले निजी स्कूलों को दी जा रही पुनर्भरण राशि का खर्चा बढ़ता जा रहा था। सत्र 2013-14 में 79 करोड़ रुपए,2014-15 में 172 करोड़ रुपए और 2015-16 में 279 करोड़ रुपए का निजी स्कूलों को भुगतान किया गया। पिछले साल की तरह ही इस साल भी प्रवेश हो जाते तो यह राशि और अधिक बढ़ जाती। लेकिन एक लाख विद्यार्थियों के प्रवेश कम होने से सरकार को करीब 100 करोड़ रुपए की बचत होना तय है।
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