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सरकारी स्कूलों की सूरत बदलने की राह पर चला कारवां

नागौर. बिना किसी सरकारी मदद लिए राजकीय स्कूलों की सूरत बदली जा सकती है। जिले में स्थापित कई स्कूलों ने इसे साबित भी किया है। राजकीय स्कूलों की सूरत बदलने की मुहिम में कुछ संस्था प्रधानों से शिक्षकों के ड्रेस कोड के संबंध में बात करने पर वे खुलकर इसके समर्थन में आए।
उनका कहना था कि इससे शिक्षकों को न केवल एक नई पहचान मिलेगी, बल्कि बच्चे भी अपने शिक्षकों को ड्रेस कोड में देखकर सुखद अहसास करेंगे और पढ़ाई का बेहतर वातावरण भी बनेगा। संस्था प्रधानों का मानना है कि अब सरकार नहीं, हम खुद बदलेंगे सरकारी स्कूलों की तस्वीर राजस्थान पत्रिका एवं जिला प्रशासन की सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदलने की मुहिम को अब राजकीय स्कूलों के संस्था प्रधानों का समर्थन भी मिलने लगा है। जिले के सेठ किशनलाल कांकरिया राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, श्री रतन बहन राजकीय गल्र्स उच्च माध्यमिक विद्यालय, कुचामन के राजकीय उत्कृष्ट उच्च प्राथमिक विद्यालय, कुमावतो की ढाणी पांचवां के संस्था प्रधान ड्रेस कोड के समर्थन में आगे आए हैं। संस्था प्रधान सेठ किशनलाल के शंकरलाल शर्मा, रतन बहन राजकीय गल्र्स उच्च माध्यमिक विद्यालय के ओमप्रकाश शर्मा व राजकीय उत्कृष्ट उच्च प्राथमिक विद्यालय के संस्था प्रधान भंवर अली खान का कहना है कि सरकारी मदद का इंतजार नहीं किया जाएगा अब वे विद्यालय की सूरत बदलेंगे।
इनमें से कुछ विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए न केवल ड्रेस, आईकार्ड तथा फर्नीचर व रंगरोग की व्यवस्था भामाशाहों की मदद से की गई है, बल्कि कम्प्यूटर लैब के साथ अत्याधुनिक गार्डन भी बनाए गए हैं। संस्था प्रधानों का कहना है कि प्रयास रहेगा नया सत्र शुरू होने पर स्टॉफ व शिक्षकों के साथ चर्चा कर उनका ड्रेस कोड लागू किया जाए। ताकि बच्चे भी शिक्षकों को नए गणवेश में पाकर उत्साहित हो सकें।
यह आए समर्थन में
रतन बहन राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय के शांतिस्वरूप सारस्वत, रघुवीरसिंह, मनोहर नागौरा, रवि चौधरी एवं गुलाब जोशी आदि मंत्रालयिक स्टॉफ में हैं, लेकिन पूरी तरह से ड्रेस कोड के समर्थन में खड़े नजर आए। इनका कहना था कि विद्यालय के शिक्षक ही नहीं, बल्कि विद्यालय के समस्त स्टॉफ को ड्रेस कोड में आना चाहिए। इससे निििश्चत रूप से विद्यार्थियों को ही नहीं, बल्कि सरकारी विद्यालयों को भी संजीवनी मिल जाएगी।
&शिक्षकों एवं अन्य स्टॉफ के लिए ड्रेस कोड होना चाहिए। शिक्षक डे्रस कोड में आएंगे तो विद्यालय में एक स्वस्थ माहौल का भी निर्माण होगा। इस संबंध में जल्द ही स्टॉफ से चर्चा कर क्रियान्वयन करने का पूरा प्रयास किया जाएगा।
शंकरलाल शर्मा, प्रधानाचार्य एवं नोडल प्रभारी, सेठ किशनलाल कांकरिया राउमा. विद्यालय, नागौर
& ड्रेस कोड तो बहुत पहले ही लागू हो जाना चाहिए था। इसे अपनाने से शिक्षकों एवं संस्था प्रधानों को परहेज नहीं बरतना चाहिए। पढ़ाने का काम करने के साथ ही पढ़ाई का वातावरण बनाने का नैतिक दायित्व भी शिक्षकों का होता है। हम तो इस मुहिम में साथ हैं। जल्द ही विद्यालय खुलने पर इसे अमलीजामा पहनाने की कोशिश की जाएगी। निजी शिक्षण संस्थानों में अल्प वेतन पर काम करने वाले खुद के पैसे से ड्रेस पहनकर आ सकते हैं तो फिर सरकारी शिक्षण संस्थानों के अध्यापक क्यों नहीं पहन सकते। शिक्षकों का अस्तित्व विद्यालयों के बच्चों से ही है। ।
ओमप्रकाश शर्मा, रतन बहन रा.बा.उ.मा.विद्यालय, नागौर
&विद्यालयों में निश्चित रूप से ड्रेस कोड लागू होना चाहिए। नया सत्र शुरू होने पर मैं तो खुद ही ड्रेस कोड में आने के साथ अन्य शिक्षक व स्टॉफ को इसके लिए प्रेरित करने का प्रयास करूंगा। यह वास्तव में काफी सुखद रहेगा, केवल शिक्षकों के लिए नहीं, बल्कि बच्चों के लिए भी। शिक्षक एक नए रूप में नजर आएंगे।
भंवरअली खान, प्रधानाध्यापक उ.प्रा.विद्यालय ढाणी पांचवा, कुचामन

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