जयपुर।
राजस्थान में अजमेर-अलवर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में बेरोज़गार युवा भी ताल ठोकने की तैयारी कर चुके हैं। इसके लिए बरोज़गार युवाओं के संगठन राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ ने इन तीनों सीटों पर बाकायदा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
इसके तहत ये संगठन अपने प्रतिनिधियों को बतौर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने जा रहा है।
इन सीटों पर प्रत्याशियों की हुई घोषणा
बेरोज़गार संगठन की ओर से फिलहाल दो सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है। घोषित किये गए दोनों ही प्रत्याशी बेरोज़गार हैं। अजमेर लोकसभा सीट पर हरीश चंद्र त्रिपाठी नाम के बेरोज़गार युवा को चुनाव मैदान में उतारा जा रहा है। हरीश पढ़े-लिखे बेरोज़गार हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरीश ने बीए-बीएड किया है। डिग्री लेने के बाद भी हरीश अब तक नौकरी की बाट जोह रहा है। लिहाज़ा वो खुद जैसे बाकी हज़ारों-लाखों बेरोज़गारों का प्रतिनिधि बनकर चुनाव लड़ने जा रहा है।
वहीं मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए भी बेरोज़गार संगठन ने प्रत्याशी का चयन कर नाम का ऐलान कर दिया है। इस सीट से हरिलाल जाट नाम के बेरोज़गार युवा को चुनाव मैदान में उतारा जा रहा है। इससे पहले हरिलाल एबीवीपी संगठन से जुड़ा रहा था। हरीलाल ने साल 2015 में शिवचरण माथुर महाविद्यालय से अध्यक्ष पद पर छात्रसंघ चुनाव जीता था। अब बेरोज़गारों के प्रति सरकार के रवैय्ये से उकताकर हरिलाल ने एबीवीपी छोड़कर बेरोज़गार संगठन से नाता जोड़ा है।
अलवर से प्रत्याशी उतारा जाना बाकी
राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ ने फिलहाल अलवर सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर डॉक्टर करण सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं बीजेपी ने कुछ नामों का पैनल बना लिया है लेकिन किसी एक नाम की घोषणा नहीं की है। ऐसे में बेरोज़गार महासंघ बीजेपी के प्रत्याशी का नाम घोषित होने के बाद ही अपने पत्ते खोलने का मन बना चुका है।
सूत्रों के मुताबिक़ यदि इस सीट पर कांग्रेस के करण यादव के सामने बीजेपी के जसवंत यादव उतारे जाते हैं तो बेरोज़गार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव खुद चुनाव मैदान में उतरेंगे।
सरकार का अड़ियल रवैय्या बना वजह
दरअसल, बेरोज़गारों ने उनकी मांगों पर सरकार के अड़ियल रवैय्ये के चलते चुनाव में ताल ठोकने का फैसला लिया है। राजस्थान में ये पहली बार है जब बेरोज़गारों के प्रतिनिधि बतौर प्रत्याशी किसी चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस जैसे प्रमुख सियासी संगठनों के प्रत्याशियों को चुनौती देंगें।
जीतेंगे नहीं तो नुकसान पहुंचाएंगे बेरोज़गार!
उपचुनाव वाली सीटों पर पहली बार चुनाव लड़ रहे बेरोज़गार प्रत्याशियों से मुकाबला रोचक बन गया है। हालांकि तीनों सीटों पर हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर बनी रहेगी, लेकिन बेरोज़गार युवाओं की ताकत को कम आंकना इन दोनों ही दलों के लिए भारी पड़ सकता है। बेरोज़गार युवाओं का वोट बैंक इतना ज़रूर है कि ये चुनाव को प्रभावित करने का माद्दा भी रखता है। लिहाज़ा बेरोज़गार प्रतिनिधि इन सीटों पर खासतौर से बीजेपी प्रत्याशी के वोट में सेंध लगा सकते हैं। इससे उन्हें खासा नुक्सान पहुंच सकता है।
गली-गली घूमकर कर रहे जनसम्पर्क
उपचुनाव में बेरोज़गार युवा जीत के मकसद से सघन जनसम्पर्क अभियान में जुटे हुए हैं। पिछले करीब दो महीने से ही बेरोज़गार युवा चुनाव क्षेत्रों में हर गली हर मोहल्ले में जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। कार्यकर्ता लोगों से सरकार के खिलाफ वोट कर उनके प्रत्याशी को जिताने की अपील कर रहे हैं।
ये तो ट्रेलर रहेगा: उपेन
राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि तीन सीटों पर होने वाले ये चुनाव हमारा ट्रेलर होगा, इसकी पिक्चर हम विधानसभा चुनाव में दिखाएंगे।उपचुनाव में ही हम सरकार को बता देंगें कि बेरोज़गारों की अनदेखी करने का क्या नतीजा रहता है।
ये हैं बेरोज़गारों की मांगें
- सभी लंबित भर्तियों जैसे रीट सेकंड लेवल 2016, शिक्षक भर्ती 2014, एलडीसी 2013, विद्यालय सहायक, स्टेनोग्राफर 2011, शिक्षक भर्ती पंजाबी सहित सभी लंबित भर्तियों की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर नियुक्ति दी जाए।
- सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2016 के बेरोज़गारों को जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए।
- राजस्थान के बाहर के अभ्यर्थियों के लिए 5 प्रतिशत का ही कोटा फिक्स किया जाए और 51 प्रतिशत पदों पर बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को मौक़ा नहीं दिया जाए।
- राजस्थान के प्रत्येक विभाग में रिक्त पदों पर नई भर्तियां निकाली जाएँ।
- बेरोज़गार बोर्ड का गठन हो और सिस्टम में सुधार किया जाये।
- सभी भर्तियों का कलेण्डर पहले जारी किया जाए।
- रीट शिक्षक भर्ती और राजस्थान पुलिस भर्ती में पद बढ़ाए जाएं
- संविदाकर्मियों को नियमित किया जाए और मानदेय बढ़ाया जाए। पूर्व में कार्यरत अनुभवी कम्प्युटर शिक्षकों को स्थाई किया जाए।
- बेरोज़गारों के ऊपर लगे सभी मुकदमों को वापस लिया जाए।
- PPP मोड पर स्कूलों को दिए जाने का फैसला रद्द किया जाए।
राजस्थान में अजमेर-अलवर लोकसभा और मांडलगढ़ विधानसभा सीटों के लिए हो रहे उपचुनाव में बेरोज़गार युवा भी ताल ठोकने की तैयारी कर चुके हैं। इसके लिए बरोज़गार युवाओं के संगठन राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ ने इन तीनों सीटों पर बाकायदा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
इसके तहत ये संगठन अपने प्रतिनिधियों को बतौर प्रत्याशी चुनाव मैदान में उतारने जा रहा है।
इन सीटों पर प्रत्याशियों की हुई घोषणा
बेरोज़गार संगठन की ओर से फिलहाल दो सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है। घोषित किये गए दोनों ही प्रत्याशी बेरोज़गार हैं। अजमेर लोकसभा सीट पर हरीश चंद्र त्रिपाठी नाम के बेरोज़गार युवा को चुनाव मैदान में उतारा जा रहा है। हरीश पढ़े-लिखे बेरोज़गार हैं। किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले हरीश ने बीए-बीएड किया है। डिग्री लेने के बाद भी हरीश अब तक नौकरी की बाट जोह रहा है। लिहाज़ा वो खुद जैसे बाकी हज़ारों-लाखों बेरोज़गारों का प्रतिनिधि बनकर चुनाव लड़ने जा रहा है।
वहीं मांडलगढ़ विधानसभा सीट के लिए भी बेरोज़गार संगठन ने प्रत्याशी का चयन कर नाम का ऐलान कर दिया है। इस सीट से हरिलाल जाट नाम के बेरोज़गार युवा को चुनाव मैदान में उतारा जा रहा है। इससे पहले हरिलाल एबीवीपी संगठन से जुड़ा रहा था। हरीलाल ने साल 2015 में शिवचरण माथुर महाविद्यालय से अध्यक्ष पद पर छात्रसंघ चुनाव जीता था। अब बेरोज़गारों के प्रति सरकार के रवैय्ये से उकताकर हरिलाल ने एबीवीपी छोड़कर बेरोज़गार संगठन से नाता जोड़ा है।
अलवर से प्रत्याशी उतारा जाना बाकी
राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ ने फिलहाल अलवर सीट पर प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। गौरतलब है कि कांग्रेस पार्टी ने इस सीट पर डॉक्टर करण सिंह यादव को प्रत्याशी बनाया है तो वहीं बीजेपी ने कुछ नामों का पैनल बना लिया है लेकिन किसी एक नाम की घोषणा नहीं की है। ऐसे में बेरोज़गार महासंघ बीजेपी के प्रत्याशी का नाम घोषित होने के बाद ही अपने पत्ते खोलने का मन बना चुका है।
सूत्रों के मुताबिक़ यदि इस सीट पर कांग्रेस के करण यादव के सामने बीजेपी के जसवंत यादव उतारे जाते हैं तो बेरोज़गार महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव खुद चुनाव मैदान में उतरेंगे।
सरकार का अड़ियल रवैय्या बना वजह
दरअसल, बेरोज़गारों ने उनकी मांगों पर सरकार के अड़ियल रवैय्ये के चलते चुनाव में ताल ठोकने का फैसला लिया है। राजस्थान में ये पहली बार है जब बेरोज़गारों के प्रतिनिधि बतौर प्रत्याशी किसी चुनाव में बीजेपी-कांग्रेस जैसे प्रमुख सियासी संगठनों के प्रत्याशियों को चुनौती देंगें।
जीतेंगे नहीं तो नुकसान पहुंचाएंगे बेरोज़गार!
उपचुनाव वाली सीटों पर पहली बार चुनाव लड़ रहे बेरोज़गार प्रत्याशियों से मुकाबला रोचक बन गया है। हालांकि तीनों सीटों पर हर बार की तरह इस बार भी बीजेपी-कांग्रेस के प्रत्याशियों के बीच सीधी टक्कर बनी रहेगी, लेकिन बेरोज़गार युवाओं की ताकत को कम आंकना इन दोनों ही दलों के लिए भारी पड़ सकता है। बेरोज़गार युवाओं का वोट बैंक इतना ज़रूर है कि ये चुनाव को प्रभावित करने का माद्दा भी रखता है। लिहाज़ा बेरोज़गार प्रतिनिधि इन सीटों पर खासतौर से बीजेपी प्रत्याशी के वोट में सेंध लगा सकते हैं। इससे उन्हें खासा नुक्सान पहुंच सकता है।
गली-गली घूमकर कर रहे जनसम्पर्क
उपचुनाव में बेरोज़गार युवा जीत के मकसद से सघन जनसम्पर्क अभियान में जुटे हुए हैं। पिछले करीब दो महीने से ही बेरोज़गार युवा चुनाव क्षेत्रों में हर गली हर मोहल्ले में जाकर लोगों से संपर्क कर रहे हैं। कार्यकर्ता लोगों से सरकार के खिलाफ वोट कर उनके प्रत्याशी को जिताने की अपील कर रहे हैं।
ये तो ट्रेलर रहेगा: उपेन
राजस्थान बेरोज़गार एकीकृत महासंघ के अध्यक्ष उपेन यादव का कहना है कि तीन सीटों पर होने वाले ये चुनाव हमारा ट्रेलर होगा, इसकी पिक्चर हम विधानसभा चुनाव में दिखाएंगे।उपचुनाव में ही हम सरकार को बता देंगें कि बेरोज़गारों की अनदेखी करने का क्या नतीजा रहता है।
ये हैं बेरोज़गारों की मांगें
- सभी लंबित भर्तियों जैसे रीट सेकंड लेवल 2016, शिक्षक भर्ती 2014, एलडीसी 2013, विद्यालय सहायक, स्टेनोग्राफर 2011, शिक्षक भर्ती पंजाबी सहित सभी लंबित भर्तियों की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी कर नियुक्ति दी जाए।
- सेकंड ग्रेड शिक्षक भर्ती 2016 के बेरोज़गारों को जल्द से जल्द नियुक्ति दी जाए।
- राजस्थान के बाहर के अभ्यर्थियों के लिए 5 प्रतिशत का ही कोटा फिक्स किया जाए और 51 प्रतिशत पदों पर बाहरी राज्यों के अभ्यर्थियों को मौक़ा नहीं दिया जाए।
- राजस्थान के प्रत्येक विभाग में रिक्त पदों पर नई भर्तियां निकाली जाएँ।
- बेरोज़गार बोर्ड का गठन हो और सिस्टम में सुधार किया जाये।
- सभी भर्तियों का कलेण्डर पहले जारी किया जाए।
- रीट शिक्षक भर्ती और राजस्थान पुलिस भर्ती में पद बढ़ाए जाएं
- संविदाकर्मियों को नियमित किया जाए और मानदेय बढ़ाया जाए। पूर्व में कार्यरत अनुभवी कम्प्युटर शिक्षकों को स्थाई किया जाए।
- बेरोज़गारों के ऊपर लगे सभी मुकदमों को वापस लिया जाए।
- PPP मोड पर स्कूलों को दिए जाने का फैसला रद्द किया जाए।
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