अजमेर तृतीय श्रेणी शिक्षक बनने के लिए अब अभ्यर्थियों को तीन की जगह दो ही परीक्षाओं से गुजरना होगा। एक परीक्षा बीएड या एसटीसी की पास करनी होगी और उसके बाद दूसरी परीक्षा राजस्थान एलिजिबिलिटी एग्जाम फॉर टीचर्स (रीट) को उत्तीर्ण करना होगा। रीट का आयोजन माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की ओर से किया जाएगा। रीट के अंकों के आधार पर ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती करेगा।
आरटेट लागू होने के बाद से प्रदेश में तृतीय श्रेणी शिक्षक बनने के लिए पहले बीएड या एसटीसी की परीक्षा उत्तीर्ण करनी होती थी। उसके बाद आरटेट परीक्षा को न्यूनतम 55 से 60 प्रतिशत अंक के साथ उत्तीर्ण करना जरूरी था। तीसरे दौर में पंचायतीराज विभाग की ओर से जिला परिषद के जरिए आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा देनी पड़ रही थी।
राज्य सरकार ने नियमों में संशोधन कर अब बीएड या एसटीसी के बाद केवल रीट की परीक्षा करना तय किया है। रीट के अंक के आधार पर ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग तृतीय श्रेणी शिक्षकों की नियुक्ति करेगा। रीट में 60 प्रतिशत या इससे अधिक अंक लाने वाले अभ्यर्थी भर्ती के लिए पात्र होंगे। मेरिट के आधार पर भर्ती की प्रक्रिया होगी। राज्य सरकार 15 हजार तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती के लिए रीट की जिम्मेदारी राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को दी गई है।
बोर्ड सिर्फ कराएगा परीक्षा
अध्यक्ष प्रो. बी. एल. चौधरी ने बताया कि सरकार ने माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को सिर्फ रीट कराने की जिम्मेदारी है। बोर्ड परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों की वरीयता सूची बनाकर सरकार और शिक्षा विभाग को सौंपेगा।
अभ्यर्थियों में असमंजस
रीट को लेकर अभ्यर्थियों में असमंजस बरकरार है। जिस तरह रीट का पाठ्यक्रम आरटेट की तरह रखना तय हुआ है, उससे अभ्यर्थी सहमत नहीं हैं। अभ्यर्थी भरत चौहान ने बताया कि आरटेट के पाठ्यक्रम में राजस्थान से जुड़ा भाग बिल्कुल नहीं रखा गया। इससे अभ्यर्थियों को नुकसान होगा। बोर्ड को नियुक्तियां देने का अधिकार नहीं है। तृतीय श्रेणी शिक्षकों की भर्ती आरपीएससी, जिला परिषद या शिक्षा विभाग से होगी इसको लेकर स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए
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