गरीब की शिक्षा को सम्बल, पोथी का बजट बढ़ा
बांसवाड़ा. । प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत निजी शिक्षण सस्थाओं में प्रवेशित दुर्बल एवं असुविधाग्रस्त समूह के बालक-बालिकाओं के लिए अच्छी खबर है।
बांसवाड़ा. । प्रदेश में निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के तहत निजी शिक्षण सस्थाओं में प्रवेशित दुर्बल एवं असुविधाग्रस्त समूह के बालक-बालिकाओं के लिए अच्छी खबर है।
निजी शिक्षण संस्थाओं की ओर से पोथी को लेकर लगाए जाने वाले अडंगे एवं पुनर्भरण राशि कम होने को लेकर जताई जाने वाली आपत्ति पर अब कुछ विराम लगेगा। सरकार ने इन बच्चों की शिक्षा के पुनर्भरण व पोथी के शुल्क में बढ़ोतरी की स्वीकृति जारी की है, जिसमें पुनर्भरण प्रति बालक व्यय 17582 रुपए कर दिया गया है।
वहीं निशुल्क पाठ्य पुस्तकों की कीमत 150 रुपए की है, जो संस्थाओं को दी जाएगी। यह यूनिट कॉस्ट सत्र 2015-16 से प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों पर लागू होगी। इस यूनिट कॉस्ट में निजी विद्यालयों की ओर से वसूल किए जा रहे समस्त प्रकार के शुल्क शामिल कर दिए गए हैं। संस्थाएं विभिन्न अवसरों पर शुल्क को लेकर भी किसी प्रकार की मांग इन बच्चों से नहीं कर सकेगी। सरकार ने यूनिट कॉस्ट में विद्यार्थियों के लिए निर्धारित विद्यालय गणवेश पर होने वाला व्यय सम्मिलित नहीं है।यह रखा जाएगा पुनर्भरण में ध्यान
प्रविष्ट किए गए बालक-बालिकाओं का सत्यापन संबंधित जिला शिक्षा अधिकारी अपने-अपने नियंत्रणाधीन विद्यालयों से कराएंगे। सत्यापन कार्य में प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता व विद्यार्थियों की नियमित उपस्थिति का ध्यान भी रखना होगा। निजी विद्यालय इस अधिनियम के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर निशुल्क प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों व अन्य सीटों पर प्रवेशित विद्यार्थियों के मध्य विद्यालय सुविधाओं के उपयोग के नाम पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करने के निर्देश भी दिए हैं। बांसवाड़ा जिले में करीब 6 हजार बालक-बालिकाएं निशुल्क प्रवेशित हैं।
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