जोधपुर. अशोक गहलोत ने सोमवार को मुख्यमंत्री के रूप
में तीसरी बार प्रदेश की कमान संभाल ली है। गहलोत के मुख्यमंत्री बनते ही
उनके गृहनगर जोधपुर के लोगों की उम्मीदें परवान चढ़ने लगी है।
दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए विकास पुरुष का दर्जा हासिल कर चुके गहलोत ने जोधपुर में न केवल कई विकास कार्य करवाए बल्कि यहां इतने शिक्षण संस्थान खुलवाए कि जोधपुर एज्यूकेशन हब बन कर उभरने लगा है। महानगर में तब्दील होने जा रहा जोधपुर एक बार फिर पेयजल संकट के मुहाने पर पहुंच गया है। वहीं शहर की सड़कों पर बढ़ता यातायात दबाव परेशानी का कारण बन चुका है।
गहलोत से ये है उम्मीदें
पेयजल संकट झेलने को अभिशप्त जोधपुर शहर को इससे निजात गहलोत के प्रयास से मिल पाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से विशेष बजट स्वीकृत करवा कर उन्होंने लिफ्ट नहर का निर्माण शुरू कराया। हिमालय का पानी यहां पहुंचने के बाद जोधपुर शहर पेयजल के मामले में सबसे सुरक्षित हो गया। बाद में लिफ्ट नहर छोटी पड़ने लगी तो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते इसका दूसरा चरण शुरू कराया। इससे सैकड़ों गांवों तक मीठा पानी पहुंचना शुरू हुआ। अब लिफ्ट नहर की क्षमता कम पड़ने लगी है। शहर एक बार फिर पेयजल संकट की तरफ अग्रसर हो रहा है। ऐसे में तीसरे चरण की मांग लम्बे अरसे से की जा रही है। उम्मीद है कि गहलोत इसके लिए विशेष बजट स्वीकृत कराएंगे।
शहर की हार्ट लाइन मानी जाने वाली हाईकोर्ट रोड पर यातायात दबाव बहुत बढ़ गया है। इस सड़क को चौड़ा करना संभव नहीं है। ऐसे में आखलिया से लेकर महामंदिर तक एक फ्लाई ओवर की मांग बरसों से लम्बित है। इस सड़क पर जयपुर की तर्ज पर लम्बा फ्लाई ओवर बन जाए तो यातायात बहुत सुगम हो जाएगा। इसके अलावा शहर के आधारभूत ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए वृहद स्तर पर योजना तैयार कर काम शुरू किए जाने की दरकार है।
पचपदरा में रिफाइनरी की स्थापना करना गहलोत का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है, लेकिन यह बहुत मंथर गति से चल रहा है। करीब चालीस हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के शुरू होने पर मारवाड़ में औद्योगिक विकास बहुत तेजी से होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ऐसे में सभी को उम्मीद है कि गहलोत इसे सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर तेजी से काम पूरे कराएंगे।
नए क्षेत्र के अभाव में शहर का औद्योगिक विकास कई बरस से ठप पड़ा है। ऐसे में उद्योगों को उम्मीद है कि गहलोत के प्रयास से शहर को शीघ्र ही नया औद्योगिक क्षेत्र मिलेगा।
दिल्ली-मुंबई के बीच प्रस्तावित फ्रेट कॉरिडोर के किनारे पर पांच नए शहर विकसित करने की दीर्घकालीन योजना में जोधपुर का नाम भी गहलोत अपने पिछले कार्यकाल में शामिल करवा चुके है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि इस योजना के तहत जोधपुर-पाली में क्या काम शुरू होता है।
अब तक ये सौगात दे चुके है जोधपुर को
गहलोत जोधपुर को कई सौगात दे चुके है। इसमें राजीव गांधी लिफ्ट नहर के अलावा एम्स, आईआईटी उनके प्रयास से ही जोधपुर को मिले। वहीं यहां उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, पुलिस यूनिवर्सिटी, कृषि यूनिवर्सिटी, नेशनल फैशन इंस्टीट्यूट व नेशनल फुटवियर डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट सहित कुछ अन्य संस्थान खुलावाए। दिल्ली, मुंबई व कोलकाता जैसे मैट्रो शहरों के अलावा किसी अन्य शहर में एक साथ इतने शिक्षण संस्थान नहीं है।
इसके अलावा शहर के आधारभूत ढांचे को सुधारने के लिए उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में एशियन डवलपमेंट के सहयोग से शहर में दो सौ करोड़ से अधिक के विकास कार्य करवाए। शहर के औद्योगिक विकस को गति देने के लिए बोरानाड़ा में हस्तशिल्प का विशेष आर्थिक क्षेत्र के साथ ही कई औद्योगित पार्क विकसित कराए।
दो बार मुख्यमंत्री रहते हुए विकास पुरुष का दर्जा हासिल कर चुके गहलोत ने जोधपुर में न केवल कई विकास कार्य करवाए बल्कि यहां इतने शिक्षण संस्थान खुलवाए कि जोधपुर एज्यूकेशन हब बन कर उभरने लगा है। महानगर में तब्दील होने जा रहा जोधपुर एक बार फिर पेयजल संकट के मुहाने पर पहुंच गया है। वहीं शहर की सड़कों पर बढ़ता यातायात दबाव परेशानी का कारण बन चुका है।
गहलोत से ये है उम्मीदें
पेयजल संकट झेलने को अभिशप्त जोधपुर शहर को इससे निजात गहलोत के प्रयास से मिल पाई। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी से विशेष बजट स्वीकृत करवा कर उन्होंने लिफ्ट नहर का निर्माण शुरू कराया। हिमालय का पानी यहां पहुंचने के बाद जोधपुर शहर पेयजल के मामले में सबसे सुरक्षित हो गया। बाद में लिफ्ट नहर छोटी पड़ने लगी तो उन्होंने मुख्यमंत्री रहते इसका दूसरा चरण शुरू कराया। इससे सैकड़ों गांवों तक मीठा पानी पहुंचना शुरू हुआ। अब लिफ्ट नहर की क्षमता कम पड़ने लगी है। शहर एक बार फिर पेयजल संकट की तरफ अग्रसर हो रहा है। ऐसे में तीसरे चरण की मांग लम्बे अरसे से की जा रही है। उम्मीद है कि गहलोत इसके लिए विशेष बजट स्वीकृत कराएंगे।
शहर की हार्ट लाइन मानी जाने वाली हाईकोर्ट रोड पर यातायात दबाव बहुत बढ़ गया है। इस सड़क को चौड़ा करना संभव नहीं है। ऐसे में आखलिया से लेकर महामंदिर तक एक फ्लाई ओवर की मांग बरसों से लम्बित है। इस सड़क पर जयपुर की तर्ज पर लम्बा फ्लाई ओवर बन जाए तो यातायात बहुत सुगम हो जाएगा। इसके अलावा शहर के आधारभूत ढांचे को मजबूती प्रदान करने के लिए वृहद स्तर पर योजना तैयार कर काम शुरू किए जाने की दरकार है।
पचपदरा में रिफाइनरी की स्थापना करना गहलोत का ड्रीम प्रोजेक्ट माना जाता है, लेकिन यह बहुत मंथर गति से चल रहा है। करीब चालीस हजार करोड़ के इस प्रोजेक्ट के शुरू होने पर मारवाड़ में औद्योगिक विकास बहुत तेजी से होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। ऐसे में सभी को उम्मीद है कि गहलोत इसे सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान कर तेजी से काम पूरे कराएंगे।
नए क्षेत्र के अभाव में शहर का औद्योगिक विकास कई बरस से ठप पड़ा है। ऐसे में उद्योगों को उम्मीद है कि गहलोत के प्रयास से शहर को शीघ्र ही नया औद्योगिक क्षेत्र मिलेगा।
दिल्ली-मुंबई के बीच प्रस्तावित फ्रेट कॉरिडोर के किनारे पर पांच नए शहर विकसित करने की दीर्घकालीन योजना में जोधपुर का नाम भी गहलोत अपने पिछले कार्यकाल में शामिल करवा चुके है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि इस योजना के तहत जोधपुर-पाली में क्या काम शुरू होता है।
अब तक ये सौगात दे चुके है जोधपुर को
गहलोत जोधपुर को कई सौगात दे चुके है। इसमें राजीव गांधी लिफ्ट नहर के अलावा एम्स, आईआईटी उनके प्रयास से ही जोधपुर को मिले। वहीं यहां उन्होंने नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, आयुर्वेद यूनिवर्सिटी, पुलिस यूनिवर्सिटी, कृषि यूनिवर्सिटी, नेशनल फैशन इंस्टीट्यूट व नेशनल फुटवियर डिजाइनिंग इंस्टीट्यूट सहित कुछ अन्य संस्थान खुलावाए। दिल्ली, मुंबई व कोलकाता जैसे मैट्रो शहरों के अलावा किसी अन्य शहर में एक साथ इतने शिक्षण संस्थान नहीं है।
इसके अलावा शहर के आधारभूत ढांचे को सुधारने के लिए उन्होंने अपने पहले कार्यकाल में एशियन डवलपमेंट के सहयोग से शहर में दो सौ करोड़ से अधिक के विकास कार्य करवाए। शहर के औद्योगिक विकस को गति देने के लिए बोरानाड़ा में हस्तशिल्प का विशेष आर्थिक क्षेत्र के साथ ही कई औद्योगित पार्क विकसित कराए।
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