नई दिल्ली: राजस्थान में करीब आते विधानसभा चुनाव के साथ विपक्षी दल जमीनी मुद्दों पर सरकार को लगातार घेरते जा रहे हैं.
विपक्षी दलों ने अब सरकार से राजस्थान के शिक्षा सुधार पर उठाए गए कदमों
के बाबत सवाल पूछना शुरू कर दिया है.
विपक्षी दलों का आरोप है कि बीते पांच साल में राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है. आलम यह है कि राजस्थान में बीते पांच साल में 25000 से अधिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं और शिक्षकों के करीब 50 हजार पदों को खत्म कर दिया गया है.
विपक्ष का आरोप है कि राजस्थान के सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा के लिए करीब 1.76 लाख शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. वहीं मौजूदा समय में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के करीब 70 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं. सरकार ने शिक्षकों की भर्ती करने की जगह अपनी नीति में ही बदलाव कर दिया. राजस्थान की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूलों में एक कक्षा-एक शिक्षक की नई नीति अपनाई है. इस नीति से शिक्षण व्यवस्था का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाना बेहद सहज है.
विपक्ष का आरोप बीते साढ़े चार सालों में नहीं खुला एक भी स्कूल
राजस्थान कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता के अनुसार, बीते पांच साल में सिर्फ माध्यमिक शिक्षा के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्रों की संख्या में करीब 19 लाख का इजाफा हुआ है. छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार ने बीते साढ़े चार सालों के दौरान एक भी नया स्कूल नहीं खोला है. शिक्षण सुधार के नाम पर राज्य सरकार ने 7200 स्कूलों को माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के तौर पर सिर्फ क्रमोत्तर किया है. उन्होंने बताया कि क्रमोत्तर किए गए स्कूलों में अब तक विषय वार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी पूरी नहीं की जा सकी है. लिहाजा, इन स्कूलों में मौजूदा शिक्षक की नियुक्ति किसी अन्य विषय के लिए हुई थी, जबकि उसे पढ़ाना दूसरा विषय पड़ रहा है.
राजस्थान में यह है विद्यालयों में शिक्षकों की मौजूदगी का हाल
प्रदेश के वरिष्ठ विपक्षी नेता के अनुसार, प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कितनी संजीदा थी, उसका प्रमाण आपको स्कूल में मौजूद शिक्षकों की संख्या में मिल जाएगा. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, गणित और कामर्स के लिए करीब 11 हजार शिक्षकों की जरूरत है. इस जरूरत के अनुपात में महज 1016 शिक्षक ही उपलब्ध हैं. इसी तरह, प्राथमिक स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान और गणित के अध्यापन के लिए करीब 53 हजार शिक्षकों की आवश्यकता है. वहीं स्कूलों में इन विषयों के लिए करीब 11 हजार शिक्षक ही मौजूद हैं.
स्कूलों को डिजिटल करने की योजना तो बनी, लेकिन बिजली नहीं पहुंची
राजस्थान के वरिष्ठ नेता ने बताया कि सरकार ने स्कूलों के डिजिटल बनाने के लिए 'डिजिटल स्थान' नामक योजना की शुरुआत की थी. इस योजना की हालत यह है कि राजस्थान के 50 फीसदी स्कूलों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. बिना बिजली डिजिटल क्लास रूम और इंटरनेट कैसे चलेगा, इसका जवाब तो बीजेपी ही दे सकती है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में कुल स्कूलों की संख्या करीब 64971 है. जिसमें करीब 35996 स्कूलों तक बिजली नहीं पहुंची है. सबसे बुरा हाल राजस्थान के प्राथमिक स्कूलों का है. प्रदेश के 90 फीसदी स्कूल आज भी ऐसे हैं, जहां पर बिजली आज तक नहीं पहुंची है.
विपक्ष के आरोपों पर सरकार ने बताया हमने की 12 लाख छात्राओं को साइकिल
वहीं शिक्षा व्यवस्था के सुधार पर राजस्थान सरकार ने 12 लाख छात्राओं को साइकिल देने की बात कही है. राज्य सरकार के अनुसार, उन्होंने स्कूल का सफर आसान करने के लिए 12 लाख छात्राओं को साइकिल और 15400 छात्राओं को स्कूटी प्रदान की गई है. इसके अलावा, 50 हजार छात्राओं को ट्रासपोर्ट बाउचर प्रदान किया गया है. बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए 200 आवासीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गए हैं, जिससे करीब 20 हजार छात्रओं को लाभ मिला है. इतना ही नहीं सरकार ने अपने शासनकाल के दौरान 184 गर्ल्स हॉस्टल खोले हैं, जिसमें करीब 13 हजार छात्राएं रह रही हैं. वहीं शिक्षकों की भर्ती के बाबत सरकार के एक बयान में कहा गया है कि कांग्रेस के शासन काल में शिक्षकों के करीब 52 फीसदी पद रिक्त थे. मौजूदा समय में करीब 22 फीसदी पद खाली है. भर्ती प्रक्रिया चल रही है. इसके पूरा होते ही रिक्त पदों का प्रतिशत 8 से 9 फीसदी के बीच रह जाएगा. सरकार ने बीते सालों में करीब एक लाख शिक्षकों का प्रमोशन भी किया है.
विपक्षी दलों का आरोप है कि बीते पांच साल में राजस्थान की शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से बदहाल हो चुकी है. आलम यह है कि राजस्थान में बीते पांच साल में 25000 से अधिक स्कूल बंद कर दिए गए हैं और शिक्षकों के करीब 50 हजार पदों को खत्म कर दिया गया है.
विपक्ष का आरोप है कि राजस्थान के सरकारी स्कूलों में प्रारंभिक शिक्षा के लिए करीब 1.76 लाख शिक्षकों के पद स्वीकृत हैं. वहीं मौजूदा समय में प्रदेश के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों के करीब 70 हजार पद रिक्त पड़े हुए हैं. सरकार ने शिक्षकों की भर्ती करने की जगह अपनी नीति में ही बदलाव कर दिया. राजस्थान की सत्तारूढ़ बीजेपी सरकार ने सरकारी स्कूलों में एक कक्षा-एक शिक्षक की नई नीति अपनाई है. इस नीति से शिक्षण व्यवस्था का क्या हाल होगा इसका अंदाजा लगाना बेहद सहज है.
विपक्ष का आरोप बीते साढ़े चार सालों में नहीं खुला एक भी स्कूल
राजस्थान कांग्रेस से जुड़े वरिष्ठ नेता के अनुसार, बीते पांच साल में सिर्फ माध्यमिक शिक्षा के लिए पंजीकरण कराने वाले छात्रों की संख्या में करीब 19 लाख का इजाफा हुआ है. छात्रों की बढ़ती संख्या को देखते हुए प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार ने बीते साढ़े चार सालों के दौरान एक भी नया स्कूल नहीं खोला है. शिक्षण सुधार के नाम पर राज्य सरकार ने 7200 स्कूलों को माध्यमिक और उच्च माध्यमिक के तौर पर सिर्फ क्रमोत्तर किया है. उन्होंने बताया कि क्रमोत्तर किए गए स्कूलों में अब तक विषय वार शिक्षकों की नियुक्ति की प्रक्रिया भी पूरी नहीं की जा सकी है. लिहाजा, इन स्कूलों में मौजूदा शिक्षक की नियुक्ति किसी अन्य विषय के लिए हुई थी, जबकि उसे पढ़ाना दूसरा विषय पड़ रहा है.
राजस्थान में यह है विद्यालयों में शिक्षकों की मौजूदगी का हाल
प्रदेश के वरिष्ठ विपक्षी नेता के अनुसार, प्रदेश सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को बेहतर करने के लिए कितनी संजीदा थी, उसका प्रमाण आपको स्कूल में मौजूद शिक्षकों की संख्या में मिल जाएगा. उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में फिजिक्स, केमेस्ट्री, बायोलॉजी, गणित और कामर्स के लिए करीब 11 हजार शिक्षकों की जरूरत है. इस जरूरत के अनुपात में महज 1016 शिक्षक ही उपलब्ध हैं. इसी तरह, प्राथमिक स्कूलों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान और गणित के अध्यापन के लिए करीब 53 हजार शिक्षकों की आवश्यकता है. वहीं स्कूलों में इन विषयों के लिए करीब 11 हजार शिक्षक ही मौजूद हैं.
स्कूलों को डिजिटल करने की योजना तो बनी, लेकिन बिजली नहीं पहुंची
राजस्थान के वरिष्ठ नेता ने बताया कि सरकार ने स्कूलों के डिजिटल बनाने के लिए 'डिजिटल स्थान' नामक योजना की शुरुआत की थी. इस योजना की हालत यह है कि राजस्थान के 50 फीसदी स्कूलों में अभी तक बिजली नहीं पहुंची है. बिना बिजली डिजिटल क्लास रूम और इंटरनेट कैसे चलेगा, इसका जवाब तो बीजेपी ही दे सकती है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में कुल स्कूलों की संख्या करीब 64971 है. जिसमें करीब 35996 स्कूलों तक बिजली नहीं पहुंची है. सबसे बुरा हाल राजस्थान के प्राथमिक स्कूलों का है. प्रदेश के 90 फीसदी स्कूल आज भी ऐसे हैं, जहां पर बिजली आज तक नहीं पहुंची है.
विपक्ष के आरोपों पर सरकार ने बताया हमने की 12 लाख छात्राओं को साइकिल
वहीं शिक्षा व्यवस्था के सुधार पर राजस्थान सरकार ने 12 लाख छात्राओं को साइकिल देने की बात कही है. राज्य सरकार के अनुसार, उन्होंने स्कूल का सफर आसान करने के लिए 12 लाख छात्राओं को साइकिल और 15400 छात्राओं को स्कूटी प्रदान की गई है. इसके अलावा, 50 हजार छात्राओं को ट्रासपोर्ट बाउचर प्रदान किया गया है. बेहतर शिक्षा प्रदान करने के लिए 200 आवासीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय खोले गए हैं, जिससे करीब 20 हजार छात्रओं को लाभ मिला है. इतना ही नहीं सरकार ने अपने शासनकाल के दौरान 184 गर्ल्स हॉस्टल खोले हैं, जिसमें करीब 13 हजार छात्राएं रह रही हैं. वहीं शिक्षकों की भर्ती के बाबत सरकार के एक बयान में कहा गया है कि कांग्रेस के शासन काल में शिक्षकों के करीब 52 फीसदी पद रिक्त थे. मौजूदा समय में करीब 22 फीसदी पद खाली है. भर्ती प्रक्रिया चल रही है. इसके पूरा होते ही रिक्त पदों का प्रतिशत 8 से 9 फीसदी के बीच रह जाएगा. सरकार ने बीते सालों में करीब एक लाख शिक्षकों का प्रमोशन भी किया है.
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