25 साल से इनकी फिजिक्स पढ़ रहे हैं हम, अब जातक कहानियों से समझाएंगे - The Rajasthan Teachers Blog - राजस्थान - शिक्षकों का ब्लॉग

Subscribe Us

ads

Hot

Post Top Ad

Your Ad Spot

Sunday 9 July 2017

25 साल से इनकी फिजिक्स पढ़ रहे हैं हम, अब जातक कहानियों से समझाएंगे

पटनासाइंस कॉलेज। करीब 1984 की बात है। यहां पढ़ाने वाले एक शिक्षक उस दिन बहुत विचलित थे। उनके बच्चे फिजिक्स को समझ नहीं पा रहे हैं।
उन्होंने छात्रों से रेस्निक-हेलीडे की फिजिक्स की किताब पढ़ने को कहा। अमेरिकी लेखकों की यह किताब फिजिक्स की सबसे प्रामाणिक किताब मानी जाती है, लेकिन दो-तीन वर्षों के बाद उन्हें लगा कि छात्रों को इससे ज्यादा फायदा नहीं हो रहा। कारण जानने की कोशिश की तो पता चला कि किताब में जिन उदाहरणों के जरिये फिजिक्स के सिद्धांतों को समझाया गया है, वे विदेशी हैं और छात्र इसलिए उनसे जुड़ नहीं पाते। तब उन्होंने फैसला किया कि फिजिक्स की किताब लिखेंगे, जिसके उदाहरण रोजाना की जिंदगी से जुड़े हों।

ये हैं मशहूर प्रोफेसर एचसी वर्मा। इसमें उन्हें आठ साल लग गए, लेकिन 1992 में जब कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स बाजार में आई तो वे पूरे देश में मशहूर हो गए। इस किताब की खासियत यह है कि 25 साल बीतने के बाद भी इसके रिवाइज्ड एडीशन की जरूरत नहीं पड़ी है और आज भी इसके उदाहरण उतने ही उपयोगी हैं। हाल ही में वे आईआईटी कानपुर से रिटायर हुए हैं। अब वे एक नई किताब लिख रहे हैं। जिसका नाम है फिजिक्स थ्रू स्टोरीज। इस किताब में जातक कथाओं, पंचतंत्र की कहानियां और अन्य पौराणिक ग्रंथों की कहानियों के जरिये फिजिक्स के सिद्धांतों को बताया जाएगा।

अगले 3-4 महीनों में यह किताब बाजार में जाएगी। इसके अलावा वे कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स के हिंदी वर्जन की भी तैयारी कर रहे हैं। स्कूली छात्र हों या आईआईटी पास इंजीनियर, डॉ. एच सी वर्मा के नाम से सभी परिचित हैं। फिजिक्स के छात्रों के लिए उनका नाम इतना ही जाना-पहचाना है, जितना न्यूटन के गति के नियम। सच्चाई यह है कि पिछले 25 वर्षों से छात्र उनकी किताब पढ़कर फिजिक्स की बारीकियों को समझ रहे हैं। बोर्ड परीक्षा हो या आईआईटी प्रवेश परीक्षा, डॉ. वर्मा की लिखी कॉन्सेप्ट्स ऑफ फिजिक्स छात्रों की तैयारी का अहम हिस्सा होता है। शायद यही कारण है कि पिछले सप्ताह 1 जुलाई को जब डॉ. वर्मा 38 वर्षों के शिक्षण कार्य के बाद आईआईटी, कानपुर से रिटायर हुए तो केवल छात्र ही नहीं, शिक्षक समुदाय भी उनकी तारीफ करते नहीं थका। साल 1952 में बिहार के दरभंगा में जन्में हुए वर्मा की अधिकांश स्कूली शिक्षा पटना से हुई। प्रोफेसर वर्मा बताते हैं कि स्कूल के दिनों में पढ़ाई में बेहद कमजोर था। बड़ी मुश्किल से दसवीं की परीक्षा करने के बाद पटना साइंस कॉलेज में एडमिशन लिया। यहीं से मेरी जिंदगी बदल गई। वर्मा कहते हैं कि स्कूल में पढ़ाई के दौरान किसी शिक्षक ने यह नहीं पूछा कि मुझे क्या पढ़ने में अच्छा लगता है। मुझे खुद भी अपनी रुचि का पता नहीं था, लेकिन पटना साइंस कॉलेज के शिक्षकों ने केवल इसको पहचाना, बल्कि मुझे पढ़ाई का सही तरीका भी समझाया। पटना साइंस कॉलेज के शिक्षक और पढ़ाई के तरीकों ने उन्हें इतना प्रभावित किया कि उसी समय उन्होंने शिक्षण कार्य को अपना लक्ष्य बना लिया था।

आईआईटी, कानपुर से फिजिक्स में एमएससी करने के बाद लोगों ने उन्हें विदेश जाने या किसी दूसरे कॅरिअर के चुनाव का दबाव दिया, लेकिन वर्मा नहीं माने। वे बताते हैं कि मुझे मेरे शिक्षकों ने ही गढ़ा। अपने ही उदाहरण से मुझे पता चला कि शिक्षक छात्र और समाज के लिए कितना उपयोगी हो सकता है। तभी मैंने तय कर लिया था कि टीचर ही बनूंगा और वो भी पटना साइंस कॉलेज में ही। ऐसा ही हुआ और 1979 में उन्होंने यहीं से टीचिंग कॅरिअर की शुरुआत की। डॉ. वर्मा 1994 में आईआईटी, कानपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर बने, लेकिन इससे पहले ही वे देशभर के छात्रों के बीच लोकप्रिय हो चुके थे। डॉ. वर्मा के पढ़ाने का अपना अलग तरीका है।

उनकी एक छात्रा कल्पना ने बताया कि उसने 2010 में आईआईटी, कानपुर में बीटेक में एडमिशन लिया था, लेकिन छह साल बाद भी कोर्स पूरा नहीं कर पाई। 2017 में उसके लिए आखिरी मौका था वरना उसे डिग्री नहीं मिलती। वह डॉ. वर्मा के केबिन में पहुंची और अपनी समस्या बताई। डॉ. वर्मा ने पांच-छह दिन उसे पढ़ाया।

पढ़ाने से ज्यादा विश्वास जगाया और इस साल अच्छे नंबरों के साथ वह अपनी डिग्री पूरी करने में सफल रही। डॉ. वर्मा बिहार के बेगूसराय में एक छात्र रामनरेश की कहानी बताते हैं, जो पिता के दबाव के बावजूद बारहवीं के बाद पढ़ाई करने को राजी नहीं हुआ और गांव में खेती करने लगा। एक दिन वह खरीदारी करने शहर आया तो उसकी नजर वर्मा की लिखी किताब पर पड़ी। किताब अच्छी लगी तो उसने खरीद ली। इसे पढ़कर उसे इतना अच्छा लगा कि पढ़ाई में फिर से रुचि जग गई। उसने फिजिक्स से बीएससी और एमएससी किया और आज उसके पढ़ाए सैकड़ों बच्चे आईआईटी में पढ़ रहे हैं। ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं। वर्मा कहते हैं कि इनसे संतोष मिलता है, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। 

No comments:

Post a Comment

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Advertisement

Important News

Popular Posts

Post Top Ad

Your Ad Spot

Copyright © 2019 Tech Location BD. All Right Reserved