सीकर. तीन लाल बत्तियों वाले सीकर जिले के सरकारी विद्यालयों की शिक्षा
की नींव कमजोर हो रही है। शिक्षक पहले से कई कार्यों में व्यस्त हैं, उन पर
अनेक प्रकार के बोझ और डाले जा रहे हैं, जबकि पदों की संख्या घटती जा रही
है। नींव कमजोर होने का सबसे बड़ा कारण है खाली पद।
जिले में विद्यालय के मुखियाओं के पद खाली हैं तो कहीं व्याख्याताओं व शिक्षकों के। जिले में (प्रावि व उप्रावि को छोड़कर) माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों की कुल संख्या 554 है। लेकिन यहां भी प्राचार्य के चार तथा प्रधानाध्यापकों के 24 पद खाली हैं। सबसे ज्यादा समस्या व्याख्याताओं की है। जिले में 266 व्याख्याताओं के पद खाली होने से विषय विशेषज्ञ पढ़ाई नहीं करवा पा रहे। कहीं जुगाड़ से द्वितीय श्रेणी शिक्षक व्याख्याता का कार्य कर रहे हैं तो कहीं तृतीय श्रेणी शिक्षकों से यह कार्य करवाया जा रहा है। शिक्षक नेता उपेन्द्र कुमार का कहना है कि सरकारी विद्यालयों में जल्द ही पद भरे जाने चाहिए, ताकि सरकारी विद्यालयों के स्तर में और सुधार करवाया जाए। वहीं शिक्षक नेता मुकेश निठारवाल ने बताया कि पद खाली होने से शिक्षण कार्य निश्चित रूप से प्रभावित हो रहा है। रिक्त पदों को जल्द भरा जाना चाहिए।
समय पर नहीं हो रही भर्ती
जानकारों के अनुसार पद खाली होने का सबसे बड़ा कारण भर्ती प्रक्रिया है। प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होने से आए दिन भर्ती कोर्ट में अटक रही है। समय पर परीक्षा नहीं हो रही। परीक्षा का समय जारी होने के बाद उसे अचानक बदला जा रहा है। परीक्षा समय पर भी हो जाए तो परिणाम जारी नहीं हो रहे। रीट के माध्यम से 15 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो रही। परिणाम जारी हुए कई माह हो गए, लेकिन उनकी नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है। कुछ ऐसा ही हाल व्याख्याता भर्ती का है। परिणाम आए कई माह हो गए। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवानानी ने दिवाली से पहले चूरू में दावा किया था कि दिवाली से पहले व्याख्याताओं को नियुक्ति दे दी जाएगी। दिवाली के बाद होली निकल गई, लेकिन उनका वादा भी पूरा नहीं हो रहा।
आंकड़ों से समझिए जिले में शिक्षा के हाल
पद मंजूर खाली
प्राचार्य 285 04
प्रधानाध्यापक 269 24
व्याख्याता 1635 266
द्वि.श्रेणी शिक्षक 2814 286
तृतीय श्रेणी एल एक 1326 165
तृतीय श्रेणी एल दो 1477 410
जिले में विद्यालय के मुखियाओं के पद खाली हैं तो कहीं व्याख्याताओं व शिक्षकों के। जिले में (प्रावि व उप्रावि को छोड़कर) माध्यमिक व उच्च माध्यमिक विद्यालयों की कुल संख्या 554 है। लेकिन यहां भी प्राचार्य के चार तथा प्रधानाध्यापकों के 24 पद खाली हैं। सबसे ज्यादा समस्या व्याख्याताओं की है। जिले में 266 व्याख्याताओं के पद खाली होने से विषय विशेषज्ञ पढ़ाई नहीं करवा पा रहे। कहीं जुगाड़ से द्वितीय श्रेणी शिक्षक व्याख्याता का कार्य कर रहे हैं तो कहीं तृतीय श्रेणी शिक्षकों से यह कार्य करवाया जा रहा है। शिक्षक नेता उपेन्द्र कुमार का कहना है कि सरकारी विद्यालयों में जल्द ही पद भरे जाने चाहिए, ताकि सरकारी विद्यालयों के स्तर में और सुधार करवाया जाए। वहीं शिक्षक नेता मुकेश निठारवाल ने बताया कि पद खाली होने से शिक्षण कार्य निश्चित रूप से प्रभावित हो रहा है। रिक्त पदों को जल्द भरा जाना चाहिए।
समय पर नहीं हो रही भर्ती
जानकारों के अनुसार पद खाली होने का सबसे बड़ा कारण भर्ती प्रक्रिया है। प्रक्रिया में पारदर्शिता नहीं होने से आए दिन भर्ती कोर्ट में अटक रही है। समय पर परीक्षा नहीं हो रही। परीक्षा का समय जारी होने के बाद उसे अचानक बदला जा रहा है। परीक्षा समय पर भी हो जाए तो परिणाम जारी नहीं हो रहे। रीट के माध्यम से 15 हजार शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी पूरी नहीं हो रही। परिणाम जारी हुए कई माह हो गए, लेकिन उनकी नियुक्ति प्रक्रिया अटकी हुई है। कुछ ऐसा ही हाल व्याख्याता भर्ती का है। परिणाम आए कई माह हो गए। शिक्षा राज्य मंत्री वासुदेव देवानानी ने दिवाली से पहले चूरू में दावा किया था कि दिवाली से पहले व्याख्याताओं को नियुक्ति दे दी जाएगी। दिवाली के बाद होली निकल गई, लेकिन उनका वादा भी पूरा नहीं हो रहा।
आंकड़ों से समझिए जिले में शिक्षा के हाल
पद मंजूर खाली
प्राचार्य 285 04
प्रधानाध्यापक 269 24
व्याख्याता 1635 266
द्वि.श्रेणी शिक्षक 2814 286
तृतीय श्रेणी एल एक 1326 165
तृतीय श्रेणी एल दो 1477 410
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