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Tuesday 27 December 2016

विशेष सामग्री-सर्वांगीण विकास के लिए शैक्षिक उन्नयन के हुए प्रयास

जयपुर, 27 दिसम्बर,2016 शिक्षा का उद्देश्य है, सर्वांगीण विकास पर इस उद्देश्य की पूर्ति तभी संभव है जब गूणवत्तापूर्ण शिक्षा हर गांव-ढाणी में उपलब्ध हो। पिछले तीन वर्षों में राजस्थान सरकार ने शिक्षा क्षेत्र में
महत्ती पहल कर नवाचार अपनाते हुए प्रदेश की हर ग्राम पंचायत में कक्षा 1 से 12 तक के विद्यालयों की समुचित व्यवस्था की है। हर ग्राम पंचायत में एक उच्च माध्यमिक विद्यालय खुले, इसके लिए 5 हजार माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक विद्यालयों में क्रमोन्नत किया है। इसी का परिणाम है कि वर्ष 2013 तक जहां प्रदेश में मात्र 4435 राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय थे, वह बढ़कर अब 9435 हो गए हैं।
नवाचारों से बढ़ा नामांकनशिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए जो नवाचार राजस्थान में अपनाए गए, उनके कारण सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन तेजी से बढ़ा है, बाकायदा इसके लिए विशेष अभियान चलाया गया। विद्यालयों में आधारभूत सुविधाओं का विकास करने के साथ ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को सुनिश्चि किया गया। परिणाम यह हुआ कि 15 लाख के करीब नए विद्यार्थियों का सरकारी विद्यालयों में नामांकन हुआ। यही नहीं बोर्ड परीक्षा परिणामों में भी अपेक्षाकृत तेजी से सुधार हुआ है। कक्षा 10 में परीक्षा परिणाम 66 से बढ़कर 73 प्रतिशत हो गया और कक्षा 12 में 78 से बढ़कर यह 88 प्रतिशत हो गया है, माने राजस्थान में लम्बे अन्तराल के बाद राजकीय विद्यालयों का परीक्षा परिणाम निजी विद्यालयों से कहीं बेहतर रहा है। स्पष्ट है शिक्षा क्षेत्र में सुधार और सकारात्मक बदलाव के परिणाम सामने आने लगे हैं।
शिक्षित राजस्थान विकसित राजस्थान मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल पर शिक्षित राजस्थान, विकसित राजस्थान की परिकल्पना को साकार करने के लिए राज्य में शैक्षिक विकास के नए आयाम स्थापित किए गए हैं। शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए राज्य में पंचायत स्तर पर 9 हजार 895 आदर्श उच्च माध्यमिक विद्यालयों में पहली से 12वीं तक की शिक्षा एक ही स्कूल में दिए जाने की पहल की गई है। इसके साथ ही, 9 हजार 610 उत्कृष्ट विद्यालयों में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई एक ही स्कूल में अब कराई जा रही है। शिक्षा के क्षेत्र में पिछड़ी पंचायत समितियों में स्वामी विवेकानन्द राजकीय मॉडल स्कूलों की स्थापना की गई है। सीबीएसई पैटर्न के इन विद्यालयों में अच्छी प्रयोगशालाएं, अच्छे क्लास रूम्स और खेल मैदान हैं। इससे विद्यार्थियों को अंग्रेजी माध्यम में पढ़ाई की सुविधा मिल रही है ताकि वह प्रतिस्पर्धा में किसी से पीछे नहीं रहें।
बालिकाओं को शिक्षा बालिकाओं को आवासीय सुविधा के साथ स्कूलों में उच्च शिक्षा के लिए शारदे बालिका छात्रावासों का निर्माण किया गया है। कक्षा 6 से 12 तक की 28 हजार बालिकाओं को निःशुल्क आवास, शिक्षा, भोजन एवं दैनिक सामग्री की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। मुख्यमंत्री हमारी बेटियां योजना, अपनी बेटी योजना तथा राजश्री जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सुधार के साथ ही स्कूली छात्राओं को आत्मरक्षा की ट्रेनिंग दिलाने की दिशा में भी विशेष पहल हुई है। गत वर्ष करीब 48 हजार छात्राओं ने यह ट्रेनिंग ली है। इस वर्ष करीब 2 लाख लड़कियां सेल्फ डिफेंस की ट्रेनिंग ले रही हैं, इस तरह राजस्थान की बालिकाएं पढ़ने के साथ-साथ आत्मरक्षा के गुर भी विद्यालयों में सीख रही हैं।
राज्य में बालिका शिक्षा प्रोत्साहन के महत्ती प्रयास किए गए हैं। राजकीय विद्यालयों की कक्षा 9 में अध्ययनरत बालिकाओं को 5.36 लाख साईकिलें जहां वितरीत की गई वहीं ग्रामीण क्षेत्र के राजकीय विद्यालयों की कक्षा 6 से 12 में अध्ययनरत बालिकाओं को विद्यालय आने व जाने के लिए ट्रांसपोर्ट वाउचर की सुविधा दी जा रही है। इस वर्ष 25 हजार बालिकाओं को यह सुविधा दी गई है। विद्यालयों में भौतिक संसाधनों का विकास करते हुए 250 करोड़ की अतिरिक्त राशि राज्य सरकार ने स्वीकृत कर राज्य का अंश बढ़ाया है। उद्देश्य यही है कि प्रदेश में शैक्षिक उन्नयन को सभी स्तरों पर सुनिश्चित किया जा सके। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी कहते हैं, ‘शिक्षा के साथ-साथ बच्चों को संस्कारित करने की दिशा में भी राजस्थान में विशेष प्रयास किए गए हैं। प्रदेश के विद्यालयों में महापुरूषों की प्रेरणा देने वाली जीवनियों का समावेश किया गया है वहीं राष्ट्रभक्ति से ओत-प्रोत करने वाले पाठ्यक्रम को तैयार कर उसे विद्यालयों में लागू किया गया है। यह सच है, शिक्षा से ही व्यक्ति जीवन में आगे बढ़ने के अवसर प्राप्त करता है और यह शिक्षा यदि संस्कारयुक्त हो तो समाज का सही मायने में विकास होता है।
शिक्षक पदस्थापन में पारदर्शिता शिक्षकों के पदस्थापन के लिए भी प्रदेश में पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई गई है, देशभर में जिसकी खासतौर से सराहना हुई है। यह प्रक्रिया है, काउन्सिलंग से पदस्थापन। इसके अंतर्गत पदोन्नत शिक्षकों को अपने विद्यालय स्वयं चुनने का अधिकार मिला है। यही नहीं स्टाफिंग पैटर्न से शिक्षक और विद्यार्थी अनुपात निर्धारित करते हुए ऎसी व्यवस्था पहली बार हुई कि दूरदराज के गांव-ढाणियों में भी शिक्षकों का पदस्थान सुनिश्चित हुआ है। प्रत्येक विद्यालय में विषय के अनुसार अध्यापकों का पदस्थापन किया गया है। प्रधानध्यापकों के कभी 61 प्रतिशत पद राजस्थान में रिक्त हुआ करते थे, आज स्थिति यह है कि लगभग सभी स्थानेां पर प्रधानाध्यापकों का पदस्थापन हो गया है। इसी प्रकार जिला शिक्षा अधिकारियों के पद जो पहले 60 प्रतिशत से अधिक रिक्त थे वह अब शत-प्रतिशत भर दिए गए हैं। यह सब संभव इसलिए हो पाया कि राज्य सरकार ने शिक्षकों को रिकॉर्ड 84 हजार के करीब पदोन्नति का लाभ दिया है। अकेले शिक्षा विभाग में यह प्रदेश की सर्वाधिक पदोन्नतियां है। यह सही है, शिक्षा समाज में विकास का सबसे प्रभावी मार्ग है। राजस्थान में शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधार के लिए इसीलिए विशेष प्रयास पिछले तीन वर्षों में किए गए हैं। राजकीय विद्यालयों में बढ़े नामांकन, बोर्ड परीक्षा परिणाम के प्रतिशत में वृद्धि और गांव-ढाणी तक शिक्षा की पहुंच के लिए स्थापित आदर्श और उत्कृष्ट विद्यालयों के प्रति बढ़ा जन विश्वास इसी का द्योतक है। सेन्ट्रल डेस्क न्यूज

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