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बाड़मेर में 10वीं के बाद पिछड़ रही पछाडऩे वाली बेटियां

रतन दवे@बाड़मेर 10वीं के परिणाम में जिले की 79.01 बेटियों ने मेट्रिक उत्तीर्ण कर ली है। 8641 बेटियां पास हुई। राज्य की वरीयता में बाड़मेर की बेटी चौथे स्थान पर है और जिला वरीयता में 31 में से 14 बेटियां।
यानि बेटियां किसी से कम नहीं। बेटों के परिणाम के करीब और कई बार पछाडऩे वाली इन बेटियों का परिणाम देखकर तो नाज होता है, लेकिन चिंता की बात है कि फिर क्या हो जाता है, जो 10वीं तक पढऩे वाली आधी से ज्यादा बेटियां 12वीं की पढ़ाई नहीं कर पाती। न विद्यालय में दाखिला और न ही प्राइवेट। क्यों छूट जाती है इनकी पढ़ाई? बेटियों की पढ़ाई को लेकर बड़ी-बड़ी बातें करने वाली सरकारें, शिक्षा महकमा, प्रशासन और तमाम तबके इस ओर गौर ही नहीं कर रहे हैं। 8641 बेटियों के लिए पूरा जिला एकजुट होकर उन्हें पढ़ाने के कदम उठाए, इसी उम्मीद के साथ आज से थार की बेटियों को समर्पित 'पत्रिका' का यह अभियान...।
सीमावर्ती बाड़मेर जिला शिक्षा की दृष्टि से कमजोर रहा है, लेकिन अब है नहीं। भौगोलिक परिस्थितियां और दुरुह रेगिस्तान जरूर है, लेकिन अब परिवहन के साधनों की कमी नहीं। हर ग्राम पंचायत पर अब विद्यालय खुल चुके हैं। एेसे में बेटियों का पढ़ाई से दूर रहना शिक्षा विभाग की कमजोरी को दर्शाता है। माध्यमिक शिक्षा की ओर से इतने प्रयास ही नहीं किए जाते कि 10वीं करने वाली सारी बेटियों पर ध्यान केन्द्रित कर उनके अभिभावकों से काउंसलिंग की जाए और बेटी का प्रवेश सुनिश्चित हो। विभाग के पास सभी 10वीं उत्तीर्ण करने वालों की सूची मौजूद है। बावजूद इसके प्रयासों की कमी आधी बेटियों को विद्यालय छोडऩे को मजबूर कर रही है।
यह कारण बन रहे बेटियों की शिक्षा में बाधक
अभिभावक-शिक्षकों में नहीं तालमेल
अभिभावक अभी भी बेटियों को सयानी समझकर 11वीं में दाखिला नहीं करवाते। विद्यालय कुछ मील दूर होने पर भी बेटियां वहां नहीं जाती और संबंधित विद्यालयों के संस्था प्रधान इसको लेकर अभिभावकों से संपर्क ही नहीं करते। इस कारण बेटियों की पढ़ाई छूट रही है।
प्राइवेट पढ़ाई को तवज्जो
अभिभावक पहले से ही मानस बना लेते हैं कि 10वीं कर ली है, अब प्राइवेट 12वीं करवा लेंगे। इसके लिए एक साल का अंतराल रखना होता है। दूसरे साल प्राइवेट परीक्षा देनी होती है। एक बार पढ़ाई छूटने के बाद फिर आगे पढऩे का बेटियां मानस छोड़ देती है और इस कारण कइयों की पढ़ाई छूट रही है।
बालिका विद्यालय कम
बालिकाओं को बालिका विद्यालय में ही पढ़ाने की मंशा अभिभावकों की रहती है, लेकिन जिले में बालिका विद्यालय कम होने से इन बेटियों को अन्य विद्यालयों में प्रवेश करवाना पड़ता है। यह कई अभिभावकों को अभी भी मंजूर नहीं है।
यह करें तो बेटियां करेंगी नाम रोशन
शिक्षा विभाग ले दायित्व
सबसे पहला दायित्व शिक्षा विभाग का है कि वह 10वीं उत्तीर्ण करने वाली सारी बालिकाओं की सूची लेकर जिस विद्यालय से बालिका ने 10वीं उत्तीर्ण की है, उसको जिम्मेदारी दे कि वह लड़कियों का 11वीं में दाखिला सुनिश्चित करें।
टी.सी. के साथ प्रवेश की जिम्मेदारी लें
बालिका 10वीं के बाद टी.सी. ले रही है तो टी.सी. देने वाला शिक्षक अभिभावक से काउंसलिंग कर उसका दूसरे विद्यालय में प्रवेश करवाने की जिम्मेदारी ले और इसकी रिपोर्ट जिला शिक्षा अधिकारी को करे।
जिला शिक्षा अधिकारी करे मॉनिटरिंग
जिला शिक्षा अधिकारी माध्यमिक शिक्षा इसकी मॉनिटरिंग करें कि किस विद्यालय से कितनी बेटियों ने 10वीं की और पढ़ाई छोड़ रही है। संभव हो तो जिला शिक्षा अधिकारी खुद बेटियों के घर पहुंचकर उनका 11वीं में दाखिला करवाए। यह पहल अधिकांश बेटियों को आगे बढ़ा सकती है।
यह है स्थिति
वर्ष 10वीं उत्तीर्ण 12वीं उत्तीर्ण
2013 7037 3876
2014 7489 3908
2015 9331 5039
इस वर्ष की स्थिति
प्रथम श्रेणी 2858
द्वितीया श्रेणी 4560
तृतीया श्रेणी 1225
कुल 8641
नोडल अधिकारियों को करेंगे पाबंद
यह प्रयास किया जाएगा कि एक भी बालिका इस बार 10वीं उत्तीर्ण करने के बाद पढ़ाई नहीं छोड़े। इसके लिए मेरे व्यक्तिगत प्रयास भी रहेंगे। इसके लिए सभी नोडल अधिकारियों को भी पाबंद किया जाएगा।
गोरधनलाल सुथार, जिला शिक्षा अधिकारी (माशि), बाड़मेर
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