राजीव दवे
Rajasthan Government Decision : पिछली सरकार की फ्लैगशिप योजना में शामिल महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों की नींव हिलती हुई नजर आ रही है। खुद शिक्षा मंत्री मदन दिलावर कई मौके पर महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम विद्यालयों की समीक्षा कराने की बात कह चुके हैं। सरकार ने विद्यालय विकास समितियों के जरिये विद्यालयों के रूपांतरण लिए आवेदन भी मांगे, लेकिन मामला सियासत में उलझ गया। महात्मा गांधी स्कूलों में पांच साल बाद भी स्थायी शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हो सकी। ऐसे महात्मा गांधी विद्यालयों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के भविष्य के लिए सिर्फ संविदा व शिक्षा विभाग की प्रतिनियुक्ति वाले शिक्षक ही सहारा हैं, क्योंकि सरकार पांच साल में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के स्थायी और अस्थायी दोनों तरह की एक भर्ती पूरी नहीं की है। इधर, अब महात्मा गांधी विद्यालयों के संविदा शिक्षकों को अब ग्रीष्मावकाश का मानदेय देने का सरकार ने फैसला लिया है। खास बात यह है कि बच्चों को अच्छी पढ़ाई कराने वाले संविदा शिक्षकों के मानदेय में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हो सकेगी।स्कूलों में शिक्षकों का टोटा…
1- प्रतिनियुक्ति : शिक्षकों ने दिखाया जमकर उत्साह तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले नहीं होने की वजह से महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में प्रतिनियुक्ति के लिए शिक्षा विभाग के शिक्षकों ने जमकर उत्साह दिखाया। प्रदेश के लगभग 87 हजार शिक्षकों ने परीक्षा दी। परिणाम अभी तक नहीं आया। 2- संविदा शिक्षका : 3500 से अधिक स्कूल, दस हजार की जरूरत मिले 4500
प्रदेश के लगभग 3500 से अधिक अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों के
नामांकन को देखते हुए सरकार ने दस हजार संविदा शिक्षकों लगाने की तैयारी की
थी, लेकिन अस्थायी नौकरी की वजह से बेरोजगारों ने संविदा शिक्षक के लिए
उत्साह नहीं दिखाया। पूरे प्रदेश में महज 4500 संविदा शिक्षक लगाए जा सके।
अभी भी संविदा के 5500 शिक्षकों के पद खाली है।
पिछली सरकार ने लिए साक्षात्कार, अब लिखित परीक्षा का मॉडल
पिछली सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में अस्थायी शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति के लिए साक्षात्कार लिए थे। नई सरकार ने आते ही साक्षात्कार के बजाय लिखित परीक्षा के जरिये शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति करने का ऐलान किया। परिणाम अटकने से जहां शिक्षकों का गृह जिलों में जाने का सपना टूट रहा है। वहीं अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है।अभिभावकों का दर्द : यही हालात रहे तो टीसी कटानी पड़ेगी
निजी स्कूलों से टीसी कटाकर महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूलों में बच्चों का दाखिला कराने वाले अभिभावक सुरेन्द्र कुमावत व अंकित सहारण का कहना है कि अच्छे संसाधन और अच्छे शिक्षक मिलने की उम्मीद में दाखिला कराया था। लेकिन अभी तक बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की ही सुविधा नहीं मिल रही है। ऐसे में अब अगले सत्र में टीसी कटाना मजबूरी हो गया है।संसाधनों के मामले में स्कूल फिसड्डी
1- महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल अभी संसाधनों के मामले में काफी फिसड्डी है। क्योंकि ज्यादातर अंग्रेजी माध्यम स्कूल हिन्दी माध्यम के भवनों में ही संचालित है। 2- प्री प्राइमरी स्कूलों में अभी खेल-खेल में पढ़ाई के लिए लर्निंग मैटेरियल का काफी अभाव है। 3- अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के संचालन के लिए सरकार की नीति स्पष्ट नहीं।
मानदेय मिलने से संविदाकर्मियों को होगा लाभ
कार्मिकों के सबसे लम्बे अवकाश ग्रीष्मकालीन ही होते हैं। उसका मानदेय मिलने से संविदाकर्मियों को लाभ होगा। पांच प्रतिशत बढ़ोतरी से मानदेय हर साल बढ़ेगा। रिछपालसिंह, संयुक्त निदेशक, शिक्षा मंडल, पाली
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