भास्कर संवाददाता | चित्तौड़गढ़ ब्लाक से जिला, जिले से प्रदेश एवं प्रदेश से केंद्र स्तर तक शिक्षा
विभाग की योजनाएं फर्जी या भ्रामक आंकड़ों के भरोसे चल रही है। इसका उदाहरण
मिड-डे मील की मॉनिटरिंग के लिए बनी वेबसाइट है। जिस पर अकेले चित्तौड़गढ़
जिले के 44 स्कूल अधिक बता रखे हैं।
ऐसे में आंकड़ों के आधार पर बनने वाली सरकारी योजनाओं और बजट पर भी सवालिया निशान लगता है।
जूनमें हो गए थे कई स्कूल मर्ज : कमनामांकन वाले कई स्कूल जून या इससे पहले मर्ज हो गए थे। इसके बाद भी वेबसाइट पर वे चल रहे हैं। मर्ज हुए स्कूलों का संचालन संबंधित स्कूलों में शुरू भी हाे गया है।
300 से अधिक स्कूलों की एसएमएस करने में रुचि नहीं...जिले के1851 स्कूलों में से अभी भी 300 से अधिक स्कूलों के शिक्षक प्रतिदिन एसएमस तक नहीं भेज पा रहे हैं। मासिक प्रविष्टी पर भी 853 स्कूल ही काम कर रहे है, जबकि 1026 से अधिक स्कूलों की इस रिपोर्ट का अता-पता नहीं है।
उच्चस्तर का मामला है, हमने सूचना भेजी
^वेबसाइटपर स्कूलों की संख्या अधिक होने का मुख्य कारण अपडेशन नहीं होना है। यह केंद्र स्तर का मामला है तथा दूसरा मामला डीईओ की आईडी लॉगिन चेंज कराने का है। इसके संबंध में प्रदेश स्तर पर रिक्वेस्ट भेज दी है। जगदीशचंद्रपालीवाल, डीईओ, प्रारंभिक शिक्षा, चित्तौड़गढ़
सफाई यह, अब मार्च तक तो ऐसा ही चलेगा...प्रारंभिक शिक्षाअधिकारियों के अनुसार मिड डे मील की वेबसाइट पर स्कूलों की वास्तविक संख्या ही दर्शाने के लिए दिल्ली स्थित मिड डे मील कार्यालय में संपर्क भी किया, लेकिन वहां से जवाब मिल रहा है कि अब मार्च पूरा हो जाने दो। नए वित्तीय वर्ष तक ऐसा ही चलेगा।
स्थानीय स्तर पर भी डाटा फीडिंग में हुई गलती...भास्कर पड़तालमें पता चला कि वेबसाइट पर डाटा फीडिंग के समय ही इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। कई स्कूलों एवं ब्लाक स्तर से आंकडे़ सही नहीं भेजे गए। मर्ज हुए स्कूलों का सही आंकड़ा भी अपलोड नहीं करा पाए। डाइस कोर्ड पर भी आंकड़े सही फीडिंग नहीं कराए।
पड़ताल में एक और बात सामने आई है। डीईईओ लक्ष्मी चौबीसा का तबादला दिसंबर में ही हो गया था। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इसके बाद नई आईडी लॉगिन बनवाने के लिए आयुक्तालय मिड डे मील को चार बार रिक्वेस्ट भेंजी, लेकिन अभी तक नहीं बन पाई है। इस कारण प्रतिदिन पोषाहार कार्यक्रम की ऑनलाइन माॅनिटरिंग की प्रक्रिया भी अटकी हुई है।
ऐसे में आंकड़ों के आधार पर बनने वाली सरकारी योजनाओं और बजट पर भी सवालिया निशान लगता है।
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जूनमें हो गए थे कई स्कूल मर्ज : कमनामांकन वाले कई स्कूल जून या इससे पहले मर्ज हो गए थे। इसके बाद भी वेबसाइट पर वे चल रहे हैं। मर्ज हुए स्कूलों का संचालन संबंधित स्कूलों में शुरू भी हाे गया है।
300 से अधिक स्कूलों की एसएमएस करने में रुचि नहीं...जिले के1851 स्कूलों में से अभी भी 300 से अधिक स्कूलों के शिक्षक प्रतिदिन एसएमस तक नहीं भेज पा रहे हैं। मासिक प्रविष्टी पर भी 853 स्कूल ही काम कर रहे है, जबकि 1026 से अधिक स्कूलों की इस रिपोर्ट का अता-पता नहीं है।
उच्चस्तर का मामला है, हमने सूचना भेजी
^वेबसाइटपर स्कूलों की संख्या अधिक होने का मुख्य कारण अपडेशन नहीं होना है। यह केंद्र स्तर का मामला है तथा दूसरा मामला डीईओ की आईडी लॉगिन चेंज कराने का है। इसके संबंध में प्रदेश स्तर पर रिक्वेस्ट भेज दी है। जगदीशचंद्रपालीवाल, डीईओ, प्रारंभिक शिक्षा, चित्तौड़गढ़
सफाई यह, अब मार्च तक तो ऐसा ही चलेगा...प्रारंभिक शिक्षाअधिकारियों के अनुसार मिड डे मील की वेबसाइट पर स्कूलों की वास्तविक संख्या ही दर्शाने के लिए दिल्ली स्थित मिड डे मील कार्यालय में संपर्क भी किया, लेकिन वहां से जवाब मिल रहा है कि अब मार्च पूरा हो जाने दो। नए वित्तीय वर्ष तक ऐसा ही चलेगा।
स्थानीय स्तर पर भी डाटा फीडिंग में हुई गलती...भास्कर पड़तालमें पता चला कि वेबसाइट पर डाटा फीडिंग के समय ही इसे गंभीरता से नहीं लिया गया। कई स्कूलों एवं ब्लाक स्तर से आंकडे़ सही नहीं भेजे गए। मर्ज हुए स्कूलों का सही आंकड़ा भी अपलोड नहीं करा पाए। डाइस कोर्ड पर भी आंकड़े सही फीडिंग नहीं कराए।
पड़ताल में एक और बात सामने आई है। डीईईओ लक्ष्मी चौबीसा का तबादला दिसंबर में ही हो गया था। प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने इसके बाद नई आईडी लॉगिन बनवाने के लिए आयुक्तालय मिड डे मील को चार बार रिक्वेस्ट भेंजी, लेकिन अभी तक नहीं बन पाई है। इस कारण प्रतिदिन पोषाहार कार्यक्रम की ऑनलाइन माॅनिटरिंग की प्रक्रिया भी अटकी हुई है।
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