जैसलमेर. प्रदेश भर में जहां शिक्षा की अलख प्रत्येक क्षेत्र में रहने वाले हरेक वंचित बच्चे तक पहुंचाने के दावे किए जा रहे हैं, वहीं सरहदी जैसलमेर जिले के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक सरकारी विद्यालयों में हकीकत जुदा है। गत वर्ष की तुलना में नामांकन में आई कमी शिक्षा की निराशाजनक स्थिति की ओर से इशारा कर रही है।
सरकारी विद्यालयों में नामांकन में गिरावट को जिम्मेदारों की लापरवाही मानें या फिर अभिभावकों व बच्चों की किन्हीं कारणों से शिक्षा के प्रति घटती रुचि, लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई है कि सरकारी विद्यालयों में गत वर्ष की तुलना में नामांकन कम हुआ है। वहीं जिले भर में शिक्षकों की कमी का असर भी नामांकन पर पड़ता नजर आ रहा है।
नहरी क्षेत्रों में स्थिति निराशाजनक
जिले के नहरी क्षेत्रों में बसी ढाणियों में स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों के 10 से कम नामांकन हुए है। जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय 10 एनयूडी चिन्नू व राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय अर्जुनसिंह झाला की ढाणी में केवल 3 बच्चों का ही नामांकन इस वर्ष हुआ है। अन्य कई जगहों पर भी स्थितियां संतोषप्रद नहीं कही जा सकती।
....और घट गया नामांकन
जिले के तीनों ब्लॉक्स में ४८४२ विद्यार्थियों का नामांकन कम हुआ है। वर्ष २०१५-१६ में कुल नामांकन ६०८२३ था, जो कि वर्ष २०१६-१७ में ५५९८१ रह गया है।
कारण यह भी
सरकारी विद्यालयों में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम हुए नामांकन को लेकर कई कारण सामने आए हैं। जानकारों के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों का मर्ज होना घटते नामांकन को लेकर प्रमुख कारण है। गांवों व ढाणियों में जहां पूर्व में कम दूरी तय कर विद्यालय जाने में आसानी होती थी, वहीं विद्यालयों के मर्ज होने के बाद 5-7 किमी. की दूरी तय कर जाना छोटी कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों के लिए मुश्किल भरा साबित हो गया है। जिससे नामांकन पर असर पड़ा है। इसके अलावा जिम्मेदारों की उदासीनता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रत्येक अध्यापक को घर-घर जाकर अभिभावकों व बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उनके द्वारा प्रभावी प्रयास नहीं करने के कारण यह नकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
निजी विद्यालयों की ओर बढ़ता रूझान
जिले में सरकारी विद्यालयों में कम होते नामांकन का एक कारण अभिभावकों व विद्यार्थियों का निजी व अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों की ओर बढ़ता रुझान भी माना जा रहा है। अधिकांश अभिभावक सरकारी विद्यालयों में होने वाले शिक्षण कार्य से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में वह अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भर्ती करा रहे हैं।
नामांकन की स्थिति
ब्लॉक विद्यालय वर्ष २०१५-१६ २०१६-१७
जैसलमेर२८६१६८३६ १६२२६
पोकरण४१४२३४६८ २०९०२
सम३३६२०५१९ १८८५३
कुल -१०३६६०८२३ ५५९८१
शिक्षकों की स्थिति -
ब्लॉक शिक्षक
जैसलमेर६०९
पोकरण७५५
सम ६९८
कुल -२०६२
फर्जी नामांकन कम हुआ
जैसलमेर जिले में प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों के नामांकन में कमी अवश्य आई है। इसके लिए प्राथमिक सेटअप के विद्यालयों का माध्यमिक में मर्ज होना और फर्जी नामांकन में कमी आने जैसे कारण हो सकते हैं।
-बंशीलाल रोत, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक, जैसलमेर
सरकारी विद्यालयों में नामांकन में गिरावट को जिम्मेदारों की लापरवाही मानें या फिर अभिभावकों व बच्चों की किन्हीं कारणों से शिक्षा के प्रति घटती रुचि, लेकिन इससे एक बात तो साफ हो गई है कि सरकारी विद्यालयों में गत वर्ष की तुलना में नामांकन कम हुआ है। वहीं जिले भर में शिक्षकों की कमी का असर भी नामांकन पर पड़ता नजर आ रहा है।
नहरी क्षेत्रों में स्थिति निराशाजनक
जिले के नहरी क्षेत्रों में बसी ढाणियों में स्थित प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों के 10 से कम नामांकन हुए है। जिले के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय 10 एनयूडी चिन्नू व राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय अर्जुनसिंह झाला की ढाणी में केवल 3 बच्चों का ही नामांकन इस वर्ष हुआ है। अन्य कई जगहों पर भी स्थितियां संतोषप्रद नहीं कही जा सकती।
....और घट गया नामांकन
जिले के तीनों ब्लॉक्स में ४८४२ विद्यार्थियों का नामांकन कम हुआ है। वर्ष २०१५-१६ में कुल नामांकन ६०८२३ था, जो कि वर्ष २०१६-१७ में ५५९८१ रह गया है।
कारण यह भी
सरकारी विद्यालयों में गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष कम हुए नामांकन को लेकर कई कारण सामने आए हैं। जानकारों के अनुसार प्राथमिक विद्यालयों का मर्ज होना घटते नामांकन को लेकर प्रमुख कारण है। गांवों व ढाणियों में जहां पूर्व में कम दूरी तय कर विद्यालय जाने में आसानी होती थी, वहीं विद्यालयों के मर्ज होने के बाद 5-7 किमी. की दूरी तय कर जाना छोटी कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों के लिए मुश्किल भरा साबित हो गया है। जिससे नामांकन पर असर पड़ा है। इसके अलावा जिम्मेदारों की उदासीनता को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।सरकारी विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से प्रत्येक अध्यापक को घर-घर जाकर अभिभावकों व बच्चों को शिक्षा के प्रति प्रेरित करने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन उनके द्वारा प्रभावी प्रयास नहीं करने के कारण यह नकारात्मक परिणाम देखने को मिल रहे हैं।
निजी विद्यालयों की ओर बढ़ता रूझान
जिले में सरकारी विद्यालयों में कम होते नामांकन का एक कारण अभिभावकों व विद्यार्थियों का निजी व अंग्रेजी माध्यम वाले स्कूलों की ओर बढ़ता रुझान भी माना जा रहा है। अधिकांश अभिभावक सरकारी विद्यालयों में होने वाले शिक्षण कार्य से संतुष्ट नहीं है। ऐसे में वह अपने बच्चों को निजी विद्यालयों में भर्ती करा रहे हैं।
नामांकन की स्थिति
ब्लॉक विद्यालय वर्ष २०१५-१६ २०१६-१७
जैसलमेर२८६१६८३६ १६२२६
पोकरण४१४२३४६८ २०९०२
सम३३६२०५१९ १८८५३
कुल -१०३६६०८२३ ५५९८१
शिक्षकों की स्थिति -
ब्लॉक शिक्षक
जैसलमेर६०९
पोकरण७५५
सम ६९८
कुल -२०६२
फर्जी नामांकन कम हुआ
जैसलमेर जिले में प्रारंभिक शिक्षा के अंतर्गत विद्यार्थियों के नामांकन में कमी अवश्य आई है। इसके लिए प्राथमिक सेटअप के विद्यालयों का माध्यमिक में मर्ज होना और फर्जी नामांकन में कमी आने जैसे कारण हो सकते हैं।
-बंशीलाल रोत, जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक, जैसलमेर
No comments:
Post a Comment