निर्णायक वोटर फिर भी 25 साल में एक भी छात्रा नहीं बनी यूनिवर्सिटी प्रेसिडेंट
उदयपुर। मेवाड़ से भले ही प्रदेश और देश की राजनीति में महिलाओं की अहम हिस्सेदारी रही हो लेकिन सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के 25 साल के इतिहास में छात्र राजनीति के शीर्ष मुकाम अध्यक्ष पद पर अब तक कोई छात्रा नहीं पहुंची है। यूनिवर्सिटी में पिछले साल के ही आंकड़ों की बात करें तो 10 हजार 817 वोटरों में से साढ़े चार हजार से ज्यादा छात्राएं थीं। इस साल एडमिशन प्रक्रिया अभी चल रही है।
उदयपुर। मेवाड़ से भले ही प्रदेश और देश की राजनीति में महिलाओं की अहम हिस्सेदारी रही हो लेकिन सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ के 25 साल के इतिहास में छात्र राजनीति के शीर्ष मुकाम अध्यक्ष पद पर अब तक कोई छात्रा नहीं पहुंची है। यूनिवर्सिटी में पिछले साल के ही आंकड़ों की बात करें तो 10 हजार 817 वोटरों में से साढ़े चार हजार से ज्यादा छात्राएं थीं। इस साल एडमिशन प्रक्रिया अभी चल रही है।
सीटें बढ़ने के कारण छात्राओं की संख्या भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ने की संभावना है। इस लिहाज से छात्राओं का हर वोट निर्णायक है, लेकिन जब बात छात्रसंघ अध्यक्ष जैसे अहम पद पर इनकी दावेदारी की आती है तो इन्हें पीछे छोड़ दिया जाता है। इस साल केंद्रीय कार्यकारिणी के लिए सिर्फ दो छात्राएं दावेदार मानी जा रही हैं वे भी महासचिव स्तर के पद के लिए।
कॉलेज स्तर तक ही सक्रिय : केंद्रीय कार्यकारिणी के मुकाबले कॉलेज स्तर पर छात्राएं सक्रिय रहती हैं। इस साल कॉलेज स्तर पर भी उनकी मौजूदगी कम है।
कॉलेज स्तर तक ही सक्रिय : केंद्रीय कार्यकारिणी के मुकाबले कॉलेज स्तर पर छात्राएं सक्रिय रहती हैं। इस साल कॉलेज स्तर पर भी उनकी मौजूदगी कम है।
साइंस-आर्ट्स कॉलेज में तो एक भी दावेदार नहीं
कॉमर्स कॉलेज से पूजा साल्वी को उपाध्यक्ष और हर्षिता सांखला को महासचिव का दावेदार माना जा रहा है। लॉ कॉलेज में महासचिव के लिए प्रियंका और टीना सुथार के नाम हैं। साइंस-आर्ट्स कॉलेज में कोई दावेदार नहीं है। केंद्रीय कार्यकारिणी के लिए नेहा गोस्वामी और हिमांशा राठौड़ की महासचिव के लिए दावेदारी की संभावना है।
कॉमर्स कॉलेज से पूजा साल्वी को उपाध्यक्ष और हर्षिता सांखला को महासचिव का दावेदार माना जा रहा है। लॉ कॉलेज में महासचिव के लिए प्रियंका और टीना सुथार के नाम हैं। साइंस-आर्ट्स कॉलेज में कोई दावेदार नहीं है। केंद्रीय कार्यकारिणी के लिए नेहा गोस्वामी और हिमांशा राठौड़ की महासचिव के लिए दावेदारी की संभावना है।
राजनीति से दूरी के ये तीन बड़े कारण
-धनबल-भुजबल और हिंसक संघर्ष को देखते हुए अभिभावक और छात्राएं इच्छुक नहीं रहती हैं।
-विश्वविद्यालय का दायरा बड़ा रहता है, ऐसे में दूर दराज में जाकर कैंपेन करना छात्राओं के लिए चुनौती है।
-धनबल-भुजबल और हिंसक संघर्ष को देखते हुए अभिभावक और छात्राएं इच्छुक नहीं रहती हैं।
-विश्वविद्यालय का दायरा बड़ा रहता है, ऐसे में दूर दराज में जाकर कैंपेन करना छात्राओं के लिए चुनौती है।
- विश्वविद्यालय में सालभर सक्रिय रहना पड़ता है, ऐसे में संगठन अध्यक्ष जैसे अहम पद के लिए तवज्जो देते हैं।
विश्व राजनीति में
भारत } 12 फीसदी महिलाएं संसद में
विश्व : 22 फीसदी
महिलाएं संसद में
विश्व में : 10 महिला
राज्य की प्रमुख
भारत } 12 फीसदी महिलाएं संसद में
विश्व : 22 फीसदी
महिलाएं संसद में
विश्व में : 10 महिला
राज्य की प्रमुख
महिलाओं का आईक्यू पुरुषों से ज्यादा
आईक्यू टेस्टिंग एक्सपर्ट जेम्स फ्लाइन के एक अध्ययन के अनुसार, पहली बार 2012 में हुए परीक्षण में महिलाओं का आईक्यू पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पाया गया।
-छत्तीसगढ़ में छात्रसंघ चुनावों में छात्राओं को 33 फीसदी आरक्षण
आईक्यू टेस्टिंग एक्सपर्ट जेम्स फ्लाइन के एक अध्ययन के अनुसार, पहली बार 2012 में हुए परीक्षण में महिलाओं का आईक्यू पुरुषों के मुकाबले ज्यादा पाया गया।
-छत्तीसगढ़ में छात्रसंघ चुनावों में छात्राओं को 33 फीसदी आरक्षण
देेश-प्रदेश की राजनीति में मेवाड़ की दिग्गज महिलाएं विधानसभा सदस्य
कमला लसाड़िया, गिरिजा व्यास उदयपुर, लक्ष्मी कुमारी भीम, कमला भील सागवाड़ा, किरण माहेश्वरी राजसमंद, निर्मला कुमारी चितौड़गढ़, मधु दाधीच निंबाहेड़ा, 1953 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की यशोदा बांसवाड़ा और जनता पार्टी की श्यामा कुमारी कपासन से विधायक रहीं
कमला लसाड़िया, गिरिजा व्यास उदयपुर, लक्ष्मी कुमारी भीम, कमला भील सागवाड़ा, किरण माहेश्वरी राजसमंद, निर्मला कुमारी चितौड़गढ़, मधु दाधीच निंबाहेड़ा, 1953 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी की यशोदा बांसवाड़ा और जनता पार्टी की श्यामा कुमारी कपासन से विधायक रहीं
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