जोधपुर.राज्य
सरकार एक के बाद एक ट्रांसफर्स के चक्कर में शिक्षकों को पिसने में लगी
है। हाल यह है कि पिछले एक साल में करीब दस हजार शिक्षकों को स्टाफिंग
पैटर्न, समानीकरण, पदोन्नति, सीधी भर्ती, स्थानांतरण व काउंसलिंग के नाम पर
इधर-उधर किया गया। उदाहरण के तौर पर रामावि पुलिस लाइन में कार्यरत
नेत्रहीन रामेश्वर प्रसाद पुरोहित को 100 किमी दूर रामावि भाकरो की ढाणी
थोब में लगा दिया।
ये ब्रेन
लिपि के टीचर हैं, और जहां इनको लगाया गया है वहां ब्रेन लिपि है ही नहीं।
अब इन्हें रोजाना सौ किमी दूर बस में अप-डाउन करना होगा। इनका नाम
प्रारंभिक से सैकंडरी की काउंसलिंग में था ही नहीं, फिर भी विभाग ने इन्हें
थ्री-बी में मानते हुए पोस्टिंग दे दी। इन्होंने परिवेदना भी दी है, लेकिन
अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद भी शिक्षा विभाग में प्रयोगों का
दौर जारी है। यही वजह है कि अब माध्यमिक से प्रारंभिक की काउंसलिंग की
तैयारी की जा रही है। इसमें प्रदेश के बीस हजार शिक्षकों को हटाकर
प्रारंभिक शिक्षा में भेजा जाएगा। यह सूचना शनिवार तक तैयार करनी है। इसके
बाद एक सप्ताह में काउंसलिंग की तारीख भी आ जाएगी, जबकि इसको लेकर शिक्षकों
को कोई जानकारी नहीं है।
शिक्षक नेता शिक्षक नेता भंवरलाल काला,
शंभूसिंह मेड़तिया, भंवराराम जाखड़, डॉ.राजूराम चौधरी व हापूराम चौधरी का
कहना है कि सरकार ने पिछले एक साल से प्रयोगशाला के नाम में हर दूसरे
शिक्षकों हटाया है और किसी भी कार्य को योजनाबद्ध तरीके से नहीं करने के
कारण शिक्षकों को विभाग, नेताओं, कोर्ट के चक्कर काटने पड़े। माध्यमिक
शिक्षा की उपनिदेशक नूतन बाला कपिला, का कहना है कि स्टाफिंग पैटर्न,
पदोन्नति, समायोजन सभी में हमें तो सरकार के आदेशों की पालना करनी थीं,
जिसे हमने पूरा करने की कोशिश की। अब सरकार माध्यमिक से प्रारंभिक समायोजन
की तैयारी कर रही है। इसके लिए हमने शिक्षकों और स्कूलों की लिस्ट लगभग
तैयार कर ली है और रिपोर्ट बना लेंगे।
1. स्टाफिंग पैटर्न
स्कूलों
में बेहतर शिक्षण व्यवस्था और विषयाध्यापकों की पूर्ति करने के लिए।
अप्रैल से अक्टूबर तक चला। व्याख्याता से तृतीय श्रेणी के 3500 शिक्षक
प्रभावित।
हुअा क्या- अधिशेष और विषय अध्यापकों को एक से दूसरी स्कूल में भेजा गया।
असर - दोहरा पदस्थापन कर पद विरुद्ध या पद नहीं होने पर भी लगा दिया। परिवेदना आईं तो बदला। वेतन में समस्याएं आई।
2. समायोजन
स्टाफिंग
पैटर्न की गड़बड़ी सुधारने व इससे प्रभावित अधिशेष शिक्षकों को समायोजित
करना। जुलाई से अक्टूबर तक चला। 1000 शिक्षक इधर-उधर हुए।
हुअा क्या- अधिशेष और इससे प्रभावित शिक्षकों के वेतन की व्यवस्था पद विरुद्ध लगाकर की गई।
असर -
विभाग के पास जानकारी नहीं थी। इसलिए एक ही पद पर 2-2 विषयाध्यापक लगाए।
नेताओं के चक्कर लगाने पड़े। फिर दो से तीन ट्रांसफर ऑर्डर किए गए।
3. पदोन्नति
स्कूलों
में खाली पद, तालाबंदी रोकने, प्रमोशन का इंतजार करने वालोंे को लाभ देने
के लिए। जुलाई से अक्टूबर तक चला। 2000 हुए प्रभावित।
हुअा क्या- अंग्रेजी-गणित के खाली पद होते हुए भी विषयाध्यापकों को मिडिल स्कूलों का हैडमास्टर बना दिया।
असर - नेताओं की डिजायर लेने के लिए घूमते रहे। स्टाफिंग पैटर्न, समायोजन के बाद पदोन्नति से प्रभावित होने वाले कोर्ट में गए।
4. सीधी भर्ती
जोधपुर
मंडल की दूर-दराज गांवों की स्कूलों में सैकंड ग्रेड विषयाध्यापकों के
पदों को भरने के लिए। अगस्त से सितंबर तक। जिले से 300 शिक्षक।
हुअा क्या-70 शिक्षकों को संबंधित विषय का दूसरा शिक्षक हाेते हुए भी लगा दिया। इससे स्कूलों में एक विषय के 2-2 अध्यापक हो गए।
असर - बाड़मेर-जैसलमेर जाने वालों को जोधपुर में लगाया। तबादला कर इन स्कूलों में लगने वालों को दूरस्थ स्कूलों में भेजा।
5. तबादला
सभी
व्यवस्थाओं से प्रभावित व गड़बड़ियां रोकने फर्स्ट व सैकंड ग्रेड शिक्षकों
की ट्रांसफर्स की। सितंबर से नवंबर तक चला। 3000 शिक्षक प्रभावित।
हुअा क्या-अभी पुराने काम ही पूरे नहीं हुए कि यह प्रक्रिया शुरू होने से दफ्तर में फाइलों की संख्या बढ़ गई। काम प्रभावित होने लगा।
असर - दूर-दराज की स्कूलों में भेज दिया। इससे शिक्षक स्कूलें छोड़ नेताओं के पास डिजायर करवाने चले गए। बच्चों की पढ़ाई पर असर पड़ा।
6. काउंसलिंग
स्थानांतरण पॉलिसी में पारदर्शिता लाने के लिए। शिविर में मनपसंद जगह पोस्टिंग दी गई।
हुअा
क्या| जूनियर की बजाय सीनियर हटाए। लेवल-1 में लेवल-2 के शिक्षक लगा दिए।
पोस्टिंग देने में गड़बड़ी, दिव्यांग, महिला, विधवा को दूर पोस्टिंग दे दी।
असर -200 शिक्षक कोर्ट की शरण में गए। काउंसलिंग आगे खिसकने से रिलीविंग-ज्वॉइनिंग में भी देरी हुई। स्कूलों में पढ़ाई नहीं हो पाई।
एक और प्रयोग...यानि इस सत्र में भी पढ़ाई होगी प्रभावित
सैकंडरी
व सीसै स्कूलाें से प्रबोधक, पैराटीचर, शिक्षाकर्मी, 2012 में भर्ती हुए
अध्यापकों सहित 20 हजार शिक्षकों को प्रारंभिक शिक्षा में भेजा जाएगा। ये
वे हैं, जिन्हें एकीकरण के तहत माध्यमिक सेटअप में मर्ज किया था।
असर क्या-जिन
गांव-ढाणियों में स्कूल नहीं थीं, वहां पैराटीचर-शिक्षाकर्मी लगा स्कूल
खुलवाए, क्रमोन्नत कर मर्ज किया। शिक्षकों ने यहां ज्वॉइन भी कर लिया। एक
साल बाद इन्हें वापस दूसरी स्कूलों में भेजने की तैयारी हो रही है।
... और असर यह कि पढ़ाई-रैंकिंग सब में पिछड़े
50% से कम रिजल्ट देने पर चार्जशीट का नियम लागू कर दिया जबकि शिक्षक इतना व्यस्त हाे गए कि समय पर कोर्स भी पूरा नहीं करवा पाए।
60
दिन ही पढ़ा पाए पूरे सत्र में। दिसंबर-जनवरी ही पढ़ाने का समय मिला। फरवरी
में बोर्ड प्रेक्टिकल, मार्च से अप्रैल बोर्ड परीक्षाएं चली। अद्धवार्षिक
परीक्षाएं, तीन टेस्ट और विभागीय शैक्षणिक और सह शैक्षणिक गतिविधियां
संचालित करनी पड़ी।
1.63%
पिछले रिजल्ट गिरा कला वर्ग में पिछले साल। पिछले साल जोधपुर 82.87% के
साथ मारवाड़ में 5वें नंबर पर था। इस साल 80.54% के साथ एक पायदान नीचे चला
गया।
500 शिक्षक पिछले एक साल में न्याय पाने के लिए कोर्ट में चले गए। इसमें से आधे तो काउंसलिंग से प्रभावित थे।
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