हम पहले ऑफिस से शुरूआत करेंगे बाद में सभी से आह्वान
दूसरीओर, इस पूरे मामले में डीईओ अनोपसिंह ने बताया कि हम इसको लेकर पहले हमारे ऑफिस में सभी से आग्रह करेंगे और बाद में पूरे जिले की स्कूलों का आह्वान करेंगे।
लेकिन, हम किसी को बाध्य नहीं करेंगे। वैसे भी आदेश में कोई बाध्यता नहीं है, केवल अनुरोध किया हुआ है। जो भी दे, उसका स्वागत है। इसी थीम पर आदेश की पालना की जाएगी।
विभागीय सूत्रों के अनुसार सभी स्कूलों की ओर से रमसा की निदेशक के आदेश की पालना की जाती है तो एक दिन में डूंगरपुर जिले के समस्त कर्मचारियों को मिलाकर करीब 25 लाख रुपए से ज्यादा की राशि बनती है। इस राशि को मुख्यमंत्री विद्या कोष में जमा कराना है। यह काम डीईओ कार्यालय के लेवल पर होगा। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक पीसी किशन ने कहा था कि स्कूलों की माली हालत को सुधारने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपए की आवश्यकता है, लेकिन यह फंड सरकार की ओर से विभाग को उपलब्ध होता है तो निश्चित ही सुधार आएगा, लेकिन फंड है नहीं।
सवाल - सर्व शिक्षा और रमसा होने के बाद भी फंड की जरूरत क्यों?
राज्यसरकार के इस विभाग को फंड जुटाने के लिए अपने ही महकमे के अधिकारी, कर्मचारियों से एक दिन के वेतन की आवश्यकता क्यों पड़ी। जबकि सरकार के पास सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान है, जिसमें करीब 65 प्रतिशत तक बजट केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराया जाता है और महज 35 प्रतिशत तक ही राज्य सरकार बजट देता है। ऐसे में सवाल यही है कि इनके जिम्मे केवल स्कूलों में सुविधाओं और संसाधन मुहैया कराना है। इसके बावजूद विभाग की ओर से आदेश जारी करना अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है।
हेमंत पंड्या| डूंगरपुर
राज्यसरकार के अधीन शिक्षा विभाग के पास स्कूलों में साधन सुविधाएं जुटाने के लिए आवश्यक फंड नहीं है, इसलिए अब सरकारी स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों के ऊपर एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री विद्या कोष में जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है।
इसी के चलते राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की परियोजना निदेशक आनंदी ने हाल ही में 2 नवंबर को आदेश जारी कर इस संबंध में सभी संस्था प्रधानों, प्रधानाचार्यों को इसके लिए निर्देश दिए हैं। दूसरी ओर, शिक्षा विभाग के पास यह निर्देश मिलने के बाद कुछ संस्थाप्रधानों ने आपत्ति भी की, लेकिन विभागीय कर्मचारी होने के नाते सीधे तौर पर विरोध करने से बच रहे हैं। लेकिन, अंदरूनी रूप से कई अन्य कर्मचारी भी इस बात का विरोध जता रहे हैं कि सरकार का यह फरमान भले ही कागजों या आदेशों में दबाव नहीं है, लेकिन अघोषित रूप से दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि विभाग दबाव नहीं मान रहा है, लेकिन सवाल है कि फंड की आवश्यकता क्यों पड़ी।
इधर,शिक्षक संगठन बोला, दबाव बना रहा है विभाग
शिक्षकसंघ प्राथमिक और माध्यमिक के वरिष्ठ पदाधिकारी लालसिंह चौहान ने बताया कि एक तरह से यह दबाव ही है। हालांकि यह बात भले ही विभाग ने आदेश में नहीं लिखा है, वैसे भी लिख नहीं सकते हैं।
दूसरीओर, इस पूरे मामले में डीईओ अनोपसिंह ने बताया कि हम इसको लेकर पहले हमारे ऑफिस में सभी से आग्रह करेंगे और बाद में पूरे जिले की स्कूलों का आह्वान करेंगे।
लेकिन, हम किसी को बाध्य नहीं करेंगे। वैसे भी आदेश में कोई बाध्यता नहीं है, केवल अनुरोध किया हुआ है। जो भी दे, उसका स्वागत है। इसी थीम पर आदेश की पालना की जाएगी।
विभागीय सूत्रों के अनुसार सभी स्कूलों की ओर से रमसा की निदेशक के आदेश की पालना की जाती है तो एक दिन में डूंगरपुर जिले के समस्त कर्मचारियों को मिलाकर करीब 25 लाख रुपए से ज्यादा की राशि बनती है। इस राशि को मुख्यमंत्री विद्या कोष में जमा कराना है। यह काम डीईओ कार्यालय के लेवल पर होगा। गौरतलब है कि कुछ दिन पहले ही प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक पीसी किशन ने कहा था कि स्कूलों की माली हालत को सुधारने के लिए कम से कम 500 करोड़ रुपए की आवश्यकता है, लेकिन यह फंड सरकार की ओर से विभाग को उपलब्ध होता है तो निश्चित ही सुधार आएगा, लेकिन फंड है नहीं।
सवाल - सर्व शिक्षा और रमसा होने के बाद भी फंड की जरूरत क्यों?
राज्यसरकार के इस विभाग को फंड जुटाने के लिए अपने ही महकमे के अधिकारी, कर्मचारियों से एक दिन के वेतन की आवश्यकता क्यों पड़ी। जबकि सरकार के पास सर्व शिक्षा अभियान और राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान है, जिसमें करीब 65 प्रतिशत तक बजट केंद्र सरकार की ओर से मुहैया कराया जाता है और महज 35 प्रतिशत तक ही राज्य सरकार बजट देता है। ऐसे में सवाल यही है कि इनके जिम्मे केवल स्कूलों में सुविधाओं और संसाधन मुहैया कराना है। इसके बावजूद विभाग की ओर से आदेश जारी करना अपने आप में सवाल खड़े कर रहा है।
हेमंत पंड्या| डूंगरपुर
राज्यसरकार के अधीन शिक्षा विभाग के पास स्कूलों में साधन सुविधाएं जुटाने के लिए आवश्यक फंड नहीं है, इसलिए अब सरकारी स्कूलों के शिक्षक और कर्मचारियों के ऊपर एक दिन का वेतन मुख्यमंत्री विद्या कोष में जमा कराने का दबाव बनाया जा रहा है।
इसी के चलते राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान की परियोजना निदेशक आनंदी ने हाल ही में 2 नवंबर को आदेश जारी कर इस संबंध में सभी संस्था प्रधानों, प्रधानाचार्यों को इसके लिए निर्देश दिए हैं। दूसरी ओर, शिक्षा विभाग के पास यह निर्देश मिलने के बाद कुछ संस्थाप्रधानों ने आपत्ति भी की, लेकिन विभागीय कर्मचारी होने के नाते सीधे तौर पर विरोध करने से बच रहे हैं। लेकिन, अंदरूनी रूप से कई अन्य कर्मचारी भी इस बात का विरोध जता रहे हैं कि सरकार का यह फरमान भले ही कागजों या आदेशों में दबाव नहीं है, लेकिन अघोषित रूप से दबाव बनाया जा रहा है। हालांकि विभाग दबाव नहीं मान रहा है, लेकिन सवाल है कि फंड की आवश्यकता क्यों पड़ी।
इधर,शिक्षक संगठन बोला, दबाव बना रहा है विभाग
शिक्षकसंघ प्राथमिक और माध्यमिक के वरिष्ठ पदाधिकारी लालसिंह चौहान ने बताया कि एक तरह से यह दबाव ही है। हालांकि यह बात भले ही विभाग ने आदेश में नहीं लिखा है, वैसे भी लिख नहीं सकते हैं।
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