राजस्थान सरकार निजी और सरकारी स्कूलों में तीसरी भाषा के तौर पर चौथी से 10वीं कक्षा तक संस्कृत अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है. फिलहाल राज्य के स्कूलों में बच्चों को संस्कृत, पंजााबी, गुजराती, उर्दू, सिंधी और बंगाली में से किसी एक को तीसरी भाषा के तौर चुनने का विकल्प मिला हुआ है.

द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक राजस्थान के स्कूल शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा है, ‘संस्कृत अनिवार्य करने की संभावना पर विभाग विचार कर रहा है. जल्द ही इस बाबत विस्तृत प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से चर्चा की जाएगी. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर से भी बात की जाएगी. विभाग इस बाबत पाठ्यक्रम और शिक्षण शैली भी विकसित करेगा और अध्ययन-अध्यापन का ऐसा इंतजाम किया जाएगा जो रोजगारोन्मुख हो.’
ख़बर के मुताबिक सरकार ने अगर संस्कृत अनिवार्य करने का फैसला किया तो राज्य के 13,983 माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक तथा 20,744 सरकारी उच्च-प्राथमिक स्कूलों पर असर पड़ेगा. इसके अलावा निजी क्षेत्र के 16,239 उच्च-प्राथमिक तथा 14,227 उच्चतर माध्यमिक स्कूलों पर भी असर होगा. गौरतलब है कि सरकार ने अभी हाल में ही 13,500 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया भी शुरू की है. इनमें से 5,000 संस्कृत शिक्षक हैं.