जयपुर। इसे खुशखबरी समझें या फिर राजस्थान की शिक्षा का बदलता या बिगड़ता
स्वरूप। जो रिपोर्ट असर ने पेश की है, उससे लगता है कि राजस्थान सरकार की
चिंता जरूर बढ़ सकती है। देश की शिक्षा पर सबसे बड़ी सर्वे रिपोर्ट तैयार
करने वाली संस्था असर ने अपनी रिपोर्ट
जारी की है।
इस रिपोर्ट में शिक्षा से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां सामने आई है, जिनमें शिक्षा के स्तर और हालात पता चलते हैं। प्रदेश के लिहाज से इस रिपोर्ट में पिछले सालों की तुलना में काफी सुधार देखा गया, लेकिन इसके बाद प्राथमिक शिक्षा पर काफी ध्यान देने की जरूरत है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 6 से 14 साल के 4.3 प्रतिशत बच्चे स्कूल ही नहीं जाते हैं। प्राइमरी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति 70% है, वहीं 30% विद्यार्थी अनुपस्थित रहते हैं। स्कूलों में 86% मास्टर साहब उपस्थित होते हैं। 18 प्रतिशत स्कूलों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। 4.7% प्रतिशत स्कूलों में सेपरेट गर्ल्स टॉयलेट नहीं हैं, जबकि 29% स्कूलों में अभी भी रोशनी का इंतज़ार किया जा रहा हैं। हालांकि सर्वे करने वाली संस्था असर के प्रतिनिधियों की मानें तो राजस्थान ने पिछले सालों की तुलना में तरक्की की है।
इस रिपोर्ट में शिक्षा से जुड़ी कई ऐसी जानकारियां सामने आई है, जिनमें शिक्षा के स्तर और हालात पता चलते हैं। प्रदेश के लिहाज से इस रिपोर्ट में पिछले सालों की तुलना में काफी सुधार देखा गया, लेकिन इसके बाद प्राथमिक शिक्षा पर काफी ध्यान देने की जरूरत है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 6 से 14 साल के 4.3 प्रतिशत बच्चे स्कूल ही नहीं जाते हैं। प्राइमरी स्कूलों में विद्यार्थियों की उपस्थिति 70% है, वहीं 30% विद्यार्थी अनुपस्थित रहते हैं। स्कूलों में 86% मास्टर साहब उपस्थित होते हैं। 18 प्रतिशत स्कूलों में पीने का पानी उपलब्ध नहीं है। 4.7% प्रतिशत स्कूलों में सेपरेट गर्ल्स टॉयलेट नहीं हैं, जबकि 29% स्कूलों में अभी भी रोशनी का इंतज़ार किया जा रहा हैं। हालांकि सर्वे करने वाली संस्था असर के प्रतिनिधियों की मानें तो राजस्थान ने पिछले सालों की तुलना में तरक्की की है।
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