जोधपुर.जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय की ओर से 2013 में
नियुक्त हुए दो असिस्टेंट प्रोफेसर्स को एसीबी की ओर से गिरफ्तार किए किए
जाने के बाद निलंबित कर दिया गया है। उनका निलंबन न्यायिक अभिरक्षा में 48
घंटे से अधिक रहने की वजह से किया गया है। एसीबी ने दो असिस्टेंट
प्रोफेसर्स को लाभार्थी मानते हुए गिरफ्तार कर शुक्रवार को एसीबी कोर्ट में
पेश किया था जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया।
इनमें
पूर्व सीएम अशोक गहलोत के भांजे जसवंत कच्छवाह की सिफारिश पर नियुक्ति
पाने वाले ऋषभ गहलोत व अंग्रेजी विभाग के विवेक खटीक शामिल थे। इस संबंध
में नियमानुसार कार्रवाई करते हुए इन दोनों को आगामी आदेश तक निलंबित कर
दिया गया है। नियमानुसार न्यायिक अभिरक्षा में 48 घंटे से अधिक रहने पर
निलंबन किया जाता है।
उधर,
जेएनवीयू में इस शिक्षक भर्ती में नियुक्त 26 असिस्टेंट प्रोफेसर्स को
नोटिस देने की तैयारी कर रहा है। ये नोटिस जारी करने की कार्रवाई के लिए
सोमवार शाम 7:00 बजे तक कुलसचिव जीएस सांधू कार्यालय में बैठे थे। नोटिस भी
तैयार हो गए थे लेकिन एक एडवोकेट कुलसचिव से मिलने अाया और उसके बाद नोटिस
भेजने का निर्णय बदल गया। कुलपति प्रो. आरपी सिंह ने बताया कि अभी इस
मामले में विधिक राय ली जा रही है तथा इसके बाद ही काेई कार्रवाई होगी।
हालांकि राजभवन से मिले निर्देश व तीन सदस्यीय कमेटी की रिपोर्ट मिलने के
बावजूद कार्रवाई में देरी पर सवाल उठने लगे हैं। गौरतलब है कि 11 जनवरी को
राज्य सरकार ने जेएनवीयू शिक्षक भर्ती की तथ्यात्मक रिपोर्ट के साथ कुलपति
को जयपुर बुलाया था।
सरकार ने
पूरे मामले का विधिक परीक्षण करवाया और फिर उच्च शिक्षा के अतिरिक्त मुख्य
सचिव राजहंस उपाध्याय ने राज्यपाल सचिवालय को पत्र भेजा है जिसमें यूजीसी
द्वारा निर्धारित योग्यता धारित नहीं होने वाले 26 अपात्र असिस्टेंट
प्रोफेसर को सेवा से पृथक करने की कार्रवाई करने को उचित ठहराया है। इसके
बाद कुलपति ने सिंडीकेट सदस्य प्रो. अवतारलाल मीणा के संयोजन में एक कमेटी
गठित की थी।
आवेदन की तिथि तक पीजी नहीं था ऋषभ
एसीबी
की चार्जशीट के अनुसार ऋषभ गहलोत आवेदन की अंतिम तिथि 25 जनवरी 2012 तक
एमए पास ही नहीं था। उसकी डिग्री 19 जुलाई 2012 को पूरी हुई। उसे स्क्रूटनी
कमेटी ने पहले अयोग्य माना था, लेकिन बाद में योग्य मान लिया गया क्योंकि
इस मामले में तत्कालीन कुलपति प्रो. बीएस राजपुरोहित का अादेश था। यूजीसी
के नियमानुसार आवेदन की तिथि तक अभ्यर्थी का एमए के साथ नेट, स्लेट, सैट व
पीएचडी क्लियर होना अनिवार्य था।
साक्षात्कार के एक दिन पहले ही योग्य हुआ था विवेक
एसीबी
की चार्जशीट के अनुसार विवेक के पास 25 जनवरी 2012 तक नेट, स्लेट सैट व
पीएचडी की डिग्री नहीं थी। उसने 24 जून 2012 को नेट की परीक्षा दी तथा 21
दिसंबर को नेट का प्रमाण पत्र जारी हुआ व 22 दिसंबर 2012 को उसका इंटरव्यू
कर सलेक्शन हो गया। इसके आवेदन को भी स्क्रूटनिंग कमेटी ने अयोग्य माना था,
लेकिन बाद में प्रो. राजपुरोहित के आदेश पर साक्षात्कार वाले दिन योग्य
मान लिया गया।
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