राजस्थान सरकार निजी और सरकारी स्कूलों में तीसरी भाषा के तौर पर चौथी से 10वीं कक्षा तक संस्कृत अनिवार्य करने की तैयारी कर रही है. फिलहाल राज्य के स्कूलों में बच्चों को संस्कृत, पंजााबी, गुजराती, उर्दू, सिंधी और बंगाली में से किसी एक को तीसरी भाषा के तौर चुनने का विकल्प मिला हुआ है.