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SI भर्ती परीक्षा: 18 से 22 लाख रुपये खर्च करने पर मिलते हैं फर्जी अभ्यर्थी, जयपुर, बीकानेर और कोटा हर जगह सक्रिय है गिरोह

 जयपुर. राजस्थान (Rajasthan) में एसआई भर्ती परीक्षा (SI Recruitment Exam) में बॉलीवुड फिल्म ‘मुन्ना भाई एमबीबीएस’ की तर्ज पर फर्जी अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा दिलवाने वाला पूरा एक गिरोह (Gang) प्रदेश में सक्रिय है.

गिरोह राजधानी जयपुर, बीकानेर, कोटा समेत पूरे प्रदेश में कहीं भी काम करने के लिए तैयार रहता है. सिर्फ एसआई ही नहीं बल्कि दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी ये गिरोह सौदेबाजी करता है. एसआई भर्ती परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थी से परीक्षा दिलवाने के एवज में मूल अभ्यर्थियों से 18 से 22 लाख रुपये तक में सौदा किया गया था. गड़बड़ी पकड़े जाने के बाद जांच कर रही पुलिस टीम के सामने ऐसे ही तमाम तथ्य आए हैं.

राजधानी जयपुर की ब्रह्मपुरी थाना पुलिस ने परीक्षा में धांधली करने वाले एक ऐसे गिरोह का खुलासा किया है, जो कि परीक्षा में फर्जी अभ्यर्थियों को बिठाकर परीक्षा दिलवा रहा था. दरअसल पुलिस को ब्रह्मपुरी इलाके के परीक्षा केन्द्र ध्रुव बाल निकेतन स्कूल में एक फर्जी अभ्यर्थी द्वारा परीक्षा देने की सूचना मिली थी. इसके बाद पुलिस ने परीक्षा देने वाले युवक को डिटेन कर पूछताछ की तब पूरे मामले का खुलासा हुआ. पुलिस ने जांच शुरू की तो सामने आया कि फर्जी अभ्यर्थी को परीक्षा में बिठाने के लिए एक पूरा गिरोह काम कर रहा है,  जिसके बाद पुलिस की अलग अलग टीमों ने अलग अलग जगहों पर छापेमारी करते हुए 3 फर्जी परीक्षार्थी चनणाराम विश्नोई, हनुमान विश्नोई व महादेव विश्नोई को गिरफ्तार किया.

गिरोह में शिक्षक भी शामिल
पुलिस ने बताया कि गिरोह का मुख्य सरगना नेतराम मीणा है जो कि सवाईमाधोपुर के खंडार स्कूल में सरकारी स्कूल में व्याख्याता है. पुलिस ने नेतराम के सहयोगी भंवरलाल को भी गिरफ्तार किया है जो कि बाड़मेर में सरकारी स्कूल का शिक्षक है. पूछताछ में सामने आया कि गिरोह की ओर से सब इंस्पेक्टर परीक्षा में 8 अभ्यर्थियों की जगह पर चार डमी कैंडिडेट्स को बिठाया गया था. अलग अलग दिन होने के कारण चारों डमी कैंडिडेट ने 8 अभ्यर्थियों की परीक्षा दी. परीक्षा के लिए सौदा 22 लाख रुपये तक में हुआ था.

ऐसे होता था पैसों का बंटवारा
पुलिस के मुताबिक अभ्यर्थियों से 1 लाख 80 हजार रुपये एडवांस लिये गये थे. मुख्य सरगना नेतराम करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर, दौसा के अभ्यर्थियों से संपर्क कर उनकी जगह पर फर्जी अभ्यर्थी बिठाता था. गिरोह के सदस्यों की ओर से अभ्यर्थी के दस्तावेजों में कम्प्यूटर तकनिक के जरिये कांट छांट कर डमी अभ्यर्थियों की फोटो लगाकर कूटरचित आधार कार्ड तैयार किये जाते थे. अभ्यर्थियों से ली गयी 18 से 22 लाख रुपये की राशी में से 5 लाख रुपये फर्जी अभ्यर्थी को, 5 लाख रुपये मध्यस्थ को दिये जाते थे. शेष 10 से 12 लाख रुपये नेतराम खुद रख लेता था. पुलिस ने बताया कि बीकानेर,जयपुर और कोटा में आठ फर्जी कैडिंडेट ने परीक्षा दी है. पुलिस के अनुसार डमी कैंडिडेट कम्पेटेटिव परीक्षा की तैयारी कर रहे थे. इस परीक्षा के बाद आगामी परीक्षाओं में इसी तरह डमी कैंडिडेट बिठाने का प्लान था.

संतुष्ट होने पर ही होता था पैसे का लेनदेन
डमी परीक्षार्थी पेपर देने के बाद पेपर बूक और ओएमआर शीट मध्यस्थ के माध्यम से मुख्य सरगना नेतराम तक पहुंचाते थे. जिसके बाद नेतराम सही अभ्यर्थियों को ओएमआर शीट देता था. इसके बाद आंसर की जारी होने के बाद मिलान होने पर मूल अभ्यर्थी द्वारा तय राशि मुख्य सरगना नेतराम को दिए जाने का प्लान था.

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