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Monday 5 March 2018

राज्य के 2.5 लाख बच्चों को मिलेगा ट्रांसपोर्ट वाउचर का लाभ-देवनानी

जयपुर। शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने राज्य विधानसभा में घोषणा की है कि राज्य में प्रबोधक लेवल प्रथम और प्रबोधक लेवल द्वितीय को क्रमशः तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल प्रथम और तृतीय श्रेणी अध्यापक लेवल द्वितीय एवं प्रबोधक शारीरिक शिक्षक को तृतीय श्रेणी शारीरिक शिक्षक के समकक्ष माना जाएगा।


उन्होंने प्रबोधक संवर्ग के कार्मिकों को ए.सी.पी. का लाभ देने और उनकी पदोन्नति के लिए समिति गठित कर कार्यवाही करने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि प्रबोधकों के स्थानान्तरण पंचायती राज नियमों के अनुसार तृतीय श्रेणी अध्यापकों के समबन्ध में प्रचलित नीति अनुसार किए जाएंगे। उन्हांेने प्रदेष के हर विद्यालय में जन सहयोग द्वारा एक खिलौना बैंक की स्थापना किए जाने की भी घोषणा की तथा कहा कि यह खिलौना बैंक विद्यालय में समन्वित आंगनबाडी के बालकों के उपयोग के लिए होंगी। प्रत्येक विद्यालय में पानी ओर स्थान की उपलब्धता के आधार पर हरित क्षेत्र विकसित करने, विद्यालयों में स स्वप्रेरित एवं स्वैछिक ‘‘स्थानीय प्रतिभा विद्यादान योजना‘‘ व्यवस्था लागू करने तथा अध्यापक प्रशिक्षण शिविरों का नामकरण प. श्री दीनदयाल उपाध्याय के नाम पर करने की भी उन्होंने विधानसभा में घोषणा की।


ढाई लाख से ज्यादा बच्चों को मिलेगा ट्रांसपोर्ट वाउचर का लाभ
देवनानी प्रो. देवनानी राज्य विधानसभा में सोमवार को शिक्षा विभाग की मांग पर हुई बहस का जवाब दे रहे थे। बहस के बाद सदन ने शिक्षा विभाग की अनुदान मांगे ध्वनित मत से पारित कर दी। उन्होंने प्रारम्भिक शिक्षा में कक्षा 1 से 8 के 2 लाख 88 हजार 484 विद्यार्थियों को ट्रान्सपोर्ट वाउचर स्कीम का लाभ दिए जाने की भी घोषणा की। उन्होंने शिक्षा संकुल परिसर में 1 करोड़ 44 लाख 24 हजार रूपये की लागत से ई-लर्निंग स्टूडियो स्थापित करने, राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड में निष्पक्ष मूल्यांकन के लिए केन्द्रीयकृत मूल्यांकन व्यवस्था लागू किए जाने की भी घोषणा की।

उन्होंने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए शिक्षक प्रशिक्षण के अंतर्गत राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान को राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण परिषद् के रूप में पुर्नगठित कर इसे सेंटर आॅफ एक्सीलेंस बनाए जाने की भी घोषणा की। उन्होंने कहा कि राज्य शैक्षिक एवं प्रशिक्षण परिषद में केन्द्र एवं राज्य का व्यय अनुपात 60ः40 का होगा। उन्होंने विद्यालयों में स्वतः स्फूर्त अभिभावकों, शिक्षकों एवं विद्यार्थियों द्वारा भारत दर्शन गलियारा बनाये जाने, विद्यालयों में 14 फरवरी को मातृ-पितृ पूजन दिवस के रूप में मनाने की शुरूआत करने की भी सदन में घोषणा की। उन्होंने कहा कि कुशल कार्य सम्पादन हेतु सभी 9 हजार 894 पीईईओ तथा 784 नोडल अधिकारियों को लैपटाॅप उपलब्ध कराए जा रहे हैं तथा अतिरिक्त संस्थाप्रधानों को 3 हजार 92 टैबलेट दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा प्रदेश के 23 जिला केन्द्रों पर विद्यार्थी सेवा केन्द्रों की शुरूआत की जा चुकी है तथा शेष 10 जिलों में आगामी दिनों में केन्द्र प्रारम्भ कर दिए जाएंगे।

देवनानी ने कहा कि कक्षा 9वीं एवं 10वीं की पाठ्य पुस्तकों में क्यू.आर. कोड छपवाए जाऐंगे। इन पुस्तकों में कुल 389 क्यू.आर. कोड लगवाए जाऐंगे। प्रत्येक क्यू.आर. कोड एक हार्ड स्पाॅट के लिए होगा। इनके माध्यम से विद्यार्थी स्वंय अपनी समस्या के समाधान हेतु सन्दर्भ सामग्री, वीडियो, चित्र आदि देख सकेगा। उन्होंने कहा कि कोटा स्थित एल.एन. कोचिंग संस्थान से एम.ओ.यू. किया है जिसका लाभ सभी बच्चों को दिया जाएगा।

श्री देवनानी ने कहा कि शिक्षा विभाग एक बहुत बडा परिवार है जिसके 65 हजार राजकीय विद्यालयों में 84 लाख विद्यार्थी तथा विद्यालयों में 4 लाख 65 हजार से अधिक शिक्षक और कार्मिक हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान जो शिक्षा क्षेत्र में कभी देष में 18 वें स्थान पर था आज देशभर में 3 स्थान पर आ गया है। इसका कारण है कि हमारे शिक्षकों ने, कार्मिकों ने टीम भावना से काम किया। शासन सचिव से सहायक कर्मचारी तक एक साथ जुटे परिणाम आज आपके सामने है।


शिक्षा विभाग में हुई पदोन्नतियों की चर्चा करते हुए देवनानी ने कहा कि पिछले चार सालों में अकेले शिक्षा विभाग में 1 लाख 9 हजार 622 शिक्षकों और कार्मिकों को पदोन्नति का लाभ दिया गया है। इसके अलावा 67 हजार 991 शिक्षकों और कार्मिकों को नियुक्ति प्रदान की गयी है। उन्होंने कहा कि स्वयंसेवी संस्था ‘असर’ और नेषनी अचीवमेंट सर्वे के अंतर्गत राजस्थान में गुणवत्तापूर्ण षिक्षा में तेजी से वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि राजकीय विद्यालयों में प्रवेश की न्यूनतम आयु सीमा 6 वर्ष निर्धारित थी जबकि निजी स्कूलों में लगभग तीन वर्ष की उम्र के बालकों का ही प्रवेश कर लिया जाता है। राजकीय स्कूलों में भी पूर्व प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करने का निर्णय लिया गया। इसके लिए राज्य में संचालित माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों के नजदीक संचालित आंगनबाडी़ केन्द्रों को इन विद्यालयों से जोडा़ गया है।

शिक्षा में हुए नवाचारों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि विद्यालयों में सामाजिक सहभागिता के अंतर्गत अक्षय पेटिकाओं के माध्यम से 2 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि प्राप्त हुई है। इसके साथ ही ज्ञान संर्पक पोर्टल एवं मुख्यमंत्री विद्यादान कोष की स्थापना की गई है। अभी तक इस कोष मंे 4 करोड़ 50 लाख रूपये प्राप्त हो चुके है। ग्रामीण क्षेत्र एवं राजकीय विद्यालयों के विद्यार्थी भी प्रतियोगी युग में आगे बढें इसके लिए हमने निःशुल्क कोचिंग सुविधा हेतु कोटा स्थित एल.एन. कोचिंग संस्थान से एम.ओ.यू. किया है।

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