सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ीं, लेकिन नामांकन घटा
एजुकेशन रिपोर्टर | भीलवाड़ा सरकारीस्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सुविधाएं देने के बावजूद नामांकन बढ़ने की बजाय घटता जा रहा है। स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं पर नजर डालें तो अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए कोई ज्यादा राशि खर्च करने की जरूरत नहीं है, इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्र नहीं रहे हैं। इस साल विभाग को 36 हजार पांच सौ बच्चों को स्कूलों से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया था। इसके मुकाबले 11 हजार 903 बच्चे ही स्कूलों में लाए जा सके। मतलब यह है कि विभाग ने मात्र 32 फीसदी ही लक्ष्य पूरा किया, इसमें भी करीब छह हजार बच्चे ड्रॉपआउट थे जो स्कूलों से नहीं जुड़े। टोटल नामांकन पर नजर डालें तो भी हर साल सरकारी स्कूलों में नामांकन घट रहा है।
सरकारी स्कूलों में क्या सुविधाएं मिलती है, इस पर एक नजर।
एजुकेशन रिपोर्टर | भीलवाड़ा सरकारीस्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को सुविधाएं देने के बावजूद नामांकन बढ़ने की बजाय घटता जा रहा है। स्कूल में उपलब्ध सुविधाओं पर नजर डालें तो अभिभावकों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाने के लिए कोई ज्यादा राशि खर्च करने की जरूरत नहीं है, इसके बावजूद सरकारी स्कूलों में छात्र नहीं रहे हैं। इस साल विभाग को 36 हजार पांच सौ बच्चों को स्कूलों से जोड़ने का लक्ष्य दिया गया था। इसके मुकाबले 11 हजार 903 बच्चे ही स्कूलों में लाए जा सके। मतलब यह है कि विभाग ने मात्र 32 फीसदी ही लक्ष्य पूरा किया, इसमें भी करीब छह हजार बच्चे ड्रॉपआउट थे जो स्कूलों से नहीं जुड़े। टोटल नामांकन पर नजर डालें तो भी हर साल सरकारी स्कूलों में नामांकन घट रहा है।
सरकारी स्कूलों में क्या सुविधाएं मिलती है, इस पर एक नजर।
यह मिलती है सरकारी स्कूलों में सुविधाएं
{किसी भी बच्चे से फीस नहीं ली जाती।
{ स्कूल में बच्चे को ड्रेस, स्टेशनरी बुक्स बिल्कुल फ्री दी जाती है।
{ बच्चों को रोज पोषाहार सप्ताह में एक बार मिठाई फल भी देंगे।
{ आठवीं तक किसी भी बच्चे को फेल नहीं करेंगे।
{ छात्रवृत्ति, विकलांग भत्ता, इंस्पायर अवार्ड, आपकी बेटी जैसी योजना में नकद राशि।
{ छात्राओं को घर से आने-जाने के लिए साइकिल।
{ हर माह हेल्थ चेकअप, आयरन की गोलियां, सर्जरी भी कराई जाती है।
{ शैक्षणिक भ्रमण की सुविधा।
निरीक्षण रिपोर्ट
आधेसे ज्यादा बच्चों को नहीं आता हिंदी पढ़ना
जिलेके 411 सरकारी स्कूलों में पचास फीसदी बच्चे ऐसे हैं जो सी ग्रेड में आते हैं। रीडिंग कैंपेन की रिपोर्ट के मुताबिक इन बच्चों को हिंदी भी ढंग से पढऩा-लिखना नहीं आता है। इन बच्चों का शैक्षणिक स्तर सुधारने के लिए टारगेट दिए थे, परंतु सत्र समाप्त होने पर भी यह बच्चे ग्रेड में नहीं पाए। 17 स्कूल तो ऐसी हैं जिनके सभी बच्चे सी ग्रेड में आते हैं। शिक्षा संबलन में सामने आया कि आठवीं कक्षा के अधिकांश बच्चे कक्षा स्तर के अनुसार कमजोर है।
^सरकारी स्कूलों में नामांकन कम होने के पीछ़े प्राइवेट स्कूल खुलना भी एक बड़ा कारण है। शैक्षणिक स्तर भी कमजोर होने से अभिभावक रुचि नहीं ले रहे हैं। अब वापस सुधार के प्रयास कर रहे हैं। विष्णुकुमार चाष्टा, डीईओ प्रारंभिक
फ्री एडमिशन के बाद खाना, छात्रवृत्ति, साइकिल जैसे लाभ देने के बावजूद रुचि नहीं
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