शिक्षा विभाग के इतिहास में संभवत:यह पहली बार हुआ कि जिले के 650 शिक्षक एक साथ पदस्थापन के आदेश की प्रतीक्षा(एपीओ)में हैं। हालांकि इन्हें सरकार ने ‘एपीओ’ नहीं कर रखा है लेकिन इनकी स्थिति इससे कम भी नहीं है। प्रारंभिक शिक्षा के ये शिक्षक,पीटीआई,प्रबोधक,शिक्षाकर्मी तथा पैराटीचर हैं जो स्टाफिंग पैटर्न से पहले माध्यमिक शिक्षा में थे।
ये स्टाफिंग पैटर्न के नियम ‘6 डी’ के तहत नहीं रहे थे। नतीजतन इन्हें माध्यमिक शिक्षा ने वापस प्रारंभिक शिक्षा विभाग के लिए रिलीव कर दिया। 20 जून को सत्र शुरू होने के बाद तीन दिन से ये शिक्षक बीईईओ ऑफिस में केवल दस्तखत करके घर चले जाते हैं। इससे सरकार को तो राजस्व नुकसान हो ही रहा है,छात्रों का शिक्षण प्रवेशोत्सव भी प्रभावित है। पदस्थापन नहीं होने से प्रदेशभर में यही स्थिति है। जबकि कई स्कूलों में पद खाली पड़े हैं।
‘बैठी फौज खा रही खर्चा’
इनशिक्षकों की हालत ‘बैठी फौज खा रही खर्चा’ कहावत की तरह है। प्रत्येक ब्लॉक में औसतन ऐसे शिक्षकों की संख्या 40 से 80 तक है। प्रतिदिन की तनख्वाह का हिसाब लगाया जाए तो यह आंकड़ा लाखों रुपए हो जाता है। इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी छात्रों को फायदा नहीं हो रहा है।
इसकारण बने हालात
सूत्रोंके अनुसार ये सभी शिक्षक प्राथमिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में पदस्थापित थे। इनका स्कूल या तो क्रमोन्नत हो गया या फिर माध्यमिक उच्च माध्यमिक में मर्ज। माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न लागू होने से इन्हें वापस प्रारंभिक शिक्षा को सौंप दिया गया।
शिक्षकों का गणित
शिक्षक-385
प्रबोधक-236
पीटीआई-2
पैराटीचर-23
शिक्षाकर्मी-4
^निदेशालय से ऐसे शिक्षकों के संबंध में मार्ग दर्शन मांगा गया है। वहां से शीघ्र इनके पदस्थापन के निर्देश जारी होने की जानकारी दी गई। अशोकपारीक,एडीईओ(प्रारंभिक)भीलवाड़ा
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
ये स्टाफिंग पैटर्न के नियम ‘6 डी’ के तहत नहीं रहे थे। नतीजतन इन्हें माध्यमिक शिक्षा ने वापस प्रारंभिक शिक्षा विभाग के लिए रिलीव कर दिया। 20 जून को सत्र शुरू होने के बाद तीन दिन से ये शिक्षक बीईईओ ऑफिस में केवल दस्तखत करके घर चले जाते हैं। इससे सरकार को तो राजस्व नुकसान हो ही रहा है,छात्रों का शिक्षण प्रवेशोत्सव भी प्रभावित है। पदस्थापन नहीं होने से प्रदेशभर में यही स्थिति है। जबकि कई स्कूलों में पद खाली पड़े हैं।
‘बैठी फौज खा रही खर्चा’
इनशिक्षकों की हालत ‘बैठी फौज खा रही खर्चा’ कहावत की तरह है। प्रत्येक ब्लॉक में औसतन ऐसे शिक्षकों की संख्या 40 से 80 तक है। प्रतिदिन की तनख्वाह का हिसाब लगाया जाए तो यह आंकड़ा लाखों रुपए हो जाता है। इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी छात्रों को फायदा नहीं हो रहा है।
इसकारण बने हालात
सूत्रोंके अनुसार ये सभी शिक्षक प्राथमिक उच्च प्राथमिक स्कूलों में पदस्थापित थे। इनका स्कूल या तो क्रमोन्नत हो गया या फिर माध्यमिक उच्च माध्यमिक में मर्ज। माध्यमिक शिक्षा में स्टाफिंग पैटर्न लागू होने से इन्हें वापस प्रारंभिक शिक्षा को सौंप दिया गया।
शिक्षकों का गणित
शिक्षक-385
प्रबोधक-236
पीटीआई-2
पैराटीचर-23
शिक्षाकर्मी-4
^निदेशालय से ऐसे शिक्षकों के संबंध में मार्ग दर्शन मांगा गया है। वहां से शीघ्र इनके पदस्थापन के निर्देश जारी होने की जानकारी दी गई। अशोकपारीक,एडीईओ(प्रारंभिक)भीलवाड़ा
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