दिव्यांग होना किसी की असफलता का कारण नहीं बन सकता। राजस्थान के धौलपुर (Dholpur) में रहने वाली एक बेटी ने यह साबित कर दिया। वह बोल और सुन नहीं सकती, लेकिन यह सारी बाधाएं उसकी सफलता में रुकावत नहीं बन सकीं। अपनी सफलता से उसने यह साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए तो कुछ भी किया जा सकता है।
हम बात करते रहे हैं 21 साल की प्रियांशी कुलश्रेष्ठ (priyanshi kulshrestha) की। प्रियांशी ने लिप रीडिंग (Lip Reading) के जरिए पढ़ाई कर 10वीं क्लास में 77 फीसदी और 12वीं में 75 फीसदी अंक हासिल किए। अब वह बीएड की पढ़ाई कर रही हैं। आइए जानते हैं प्रियांशी यहां तक कैसे पहुंची..?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रियांशी कुलश्रेष्ठ जगदीश टॉकीज के पास रहती है। उसके पिता ब्रजकिशोर कुलश्रेष्ठ सरकारी कर्मचारी हैं। उसकी मां का बीमारी के कारण 2017 में निधन हो गया था। प्रियांशी जन्म से ही बोलने और सुनने में असमर्थ थी। यह बात उनके परिजनों को पता चली तो उन्हें बच्ची के भविष्य की चिंता सताने लगी। बच्ची कैसे पढ़ेगी, कौन उसका हाथ थामेगा और वह अपनी जिंदगी कैसे जिएगी। इस तरह के कई सवाल परिवार वालों के सामने खड़े हो गए।
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