सीकर. शिक्षक की छुट्टी या किसी स्कूल में विषय अध्यापक का रिक्त पद भी अब प्रदेश के सरकारी स्कूलों के विद्यार्थियों की पढ़ाई में बाधा नहीं बनेगा। कोरोनाकाल की आपदा को एक अवसर के रूप में लेते हुए शिक्षा विभाग ने शाला संवाद कार्यक्रम के तहत ई-शिक्षा की तरफ कदमताल की है।
विभाग का दावा है कि देश में इस तरह का नवाचार करने वाला राजस्थान पहला राज्य है। इस प्रोजेक्ट के जरिए शिक्षा विभाग ने कोरोनाकाल में निजी स्कूलों की ऑनलाइन एजुकेशन को भी सीधे तौर पर टक्कर देने की तैयारी कर ली है। विभाग के एक हजार से अधिक शिक्षकों ने लगभग चार हजार से अधिक वीडियो तैयार कर लिए हैं। फिलहाल ई-शिक्षा के जरिए कक्षा छठी से बारहवीं के विद्यार्थी किसी भी विषय की आसानी से पढ़ाई कर सकेंगे। इनको यू-ट्यूब पर लॉन्च किया जा चुका है। अगले चरण में इन वीडियो को शाला दर्पण से जोड़ा जाएगा। वीडियो कंटेंट टीवी व वाट्सएप ग्रुपों में भी काम आ सकेगा। प्रदेश के जिन स्कूलों में आइसीटी लैब है वहां भी ई-शिक्षा का मैटर हार्डडिस्क के जरिए भिजवाया जाएगा। यदि कोई शिक्षक अवकाश पर है तो भी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होगी।
कबाड़ होता स्टूडियो देख आया आइडिया
कोरोनाकाल
से पहले शिक्षा मंत्री के बीकानेर निदेशालय के दौरे में सामने आया था कि
लैब में लाखों रुपए की सामग्री कबाड़ में बदल रही है। इस पर उन्होंने
ऑनलाइन शिक्षा के लिए एप बनाकर पढ़ाई कराने के निर्देश दिए थे। इसके बाद
लॉकडाउन हो गया। फिर विभाग की ओर से इस दिशा में तेजी से काम किया गया।
वेदांता केयर्न फाउण्डेशन के सीएसआर व मिशन ज्ञान के तकनीकी सहयोग से इस
कार्य को अंजाम दिया जा सका।
फिलहाल इन तरीकों से पढ़ाई
विभाग
की ओर से फिलहाल स्माइल वाट्सएप गु्रप, रेडियो व टीवी सहित अन्य माध्यमों
से पढ़ाई करवाई जा रही है। स्माइल गु्रप में रोजाना कक्षाओं के हिसाब से
अलग-अलग विषयों की शिक्षण सामग्री आती है। इसको संबंधित विषय अध्यापक
बच्चों के वाट्सएप नंबर पर भेजते हैं। गृहकार्य भी ऑनलाइन दिया जाता है।
यह भी होंगे नवाचार
1. एक लाख स्कूलों में ऑडियो-वीडियो कंटेंट : प्रदेश के एक लाख से अधिक स्कूलों में योजना के तहत ऑडियो-वीडियो कंटेंट की लाइब्रेरी तैयार होगी।
2. राजीव गांधी केन्द्रों पर टीवी: प्रदेश के चुनिंदा राजीव गांधी सेवा केन्द्रों पर टीवी लगाए जाएंगे। इलाके के विद्यार्थी सोशल डिस्टेंस रखकर विभिन्न विषयों की पढ़ाई कर सकेंगे।
50 से अधिक शिक्षकों का एक्सपर्ट पैनल
दरअसल,
विभाग के सैकड़ों शिक्षकों की ओर से सोशल मीडिया पर अलग-अलग तरीके से
वीडियो अपलोड किए जा रहे थे, लेकिन इनका पूरा फायदा विद्यार्थियों को नहीं
मिल पा रहा। इस पर शिक्षकों से वीडियो मांगे गए। इनमें से सर्वश्रेष्ठ
वीडियो को ई-कंटेंट में चयनित किया गया है। वहीं 50 शिक्षकों का एक्सपर्ट
पैनल भी बनाया गया है।
कोरोनाकाल में विद्यार्थियों को मिलेगा फायदा
कोरोनाकाल में विभाग ने ऑनलाइन शिक्षण की
दिशा में कई नवाचार किए हैं। विभाग में पहले से स्टूडियो तैयार थे, लेकिन
इनकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। सरकार ने इन स्टूडियो की उपयोगिता समझते हुए
ई-शिक्षा प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इससे विद्यार्थियों को कोरोनकाल में
पढ़ाई में काफी मदद मिलेगी।
गोविन्द सिंह डोटासरा, शिक्षा मंत्री
नेट नहीं होने पर हार्डडिस्क से पढ़ाई
कई ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट नहीं
होने की समस्या आ रही है। ऐसे में ई-शिक्षा प्रोजेक्ट के तहत सरकारी
स्कूलों के संस्था प्रधानों को हार्डडिस्क में शिक्षण सामग्री दी जाएगी।
इससे वे विद्यार्थियों को आसानी से ऑफलाइन भी पढ़ाई करा सकेंगे। राजस्थान
इस तरह का नवाचार करने वाला देश में पहला राज्य है।
सौरभ स्वामी, निदेशक, शिक्षा विभाग
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