राजस्थान लोकसेवा आयोग की ओर से 2004 में की गई शिक्षक भर्ती में क्षैतिज
आरक्षण की पालना न करने के प्रकरण में अब चयनित शिक्षक संघर्ष समिति ने
सीबीआई जांच की मांग उठाई है।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि अब भी सरकार ने वंचित अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं किया तो वंचित शिक्षक मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाएंगे। संघर्ष समिति के प्रवक्ता डूंगरदान चारण ने बताया कि राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल ने 31 मई 1999 में एक परिपत्र जारी कर निर्देशित किया था कि सरकार चयन प्रक्रिया में आरक्षण 50 प्रतिशत तक ही रखें। सभी विभागों को पत्र जारी कर निर्देशित किया जाए कि चयन प्रक्रिया में महिलाओं, भूतपूर्व सैनिकों ,दिव्यांगों को क्षैतिज आरक्षण में रखा जाए।
जिसके परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के कार्मिक विभाग ने आयोग को उसी दिन राज्यपाल के परिपत्र के तहत क्षैतिज आरक्षण नियमों की पालना करने के निर्देश जारी किए मगर फिर भी 2004 की शिक्षक भर्ती में गलत आरक्षण देकर 2354 पदों पर महिलाओं को भर्ती दे दी गई थी जबकि ये सभी पुरुषों के लिए आवंटित थे और आरक्षण के तहत पुरुष अभ्यर्थी ही हकदार थे। इस भर्ती में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक होकर असंवैधानिक हो गया था। शिक्षक नेता चारण ने बताया कि आयोग में अब तक 300 से अधिक वंचित अभ्यर्थियों ने परिवेदनाएं पेश कर रखी है। बीते दिनों 5 अगस्त को प्री-लिटिगेशन के तहत सुनवाई मगर वह औपचारिक रही क्योंकि 300 परिवेदनाओं में से मात्र 3 अभ्यर्थियों को ही सुना गया। अब वंचित अभ्यर्थियों ने इस प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठाई है।
संघर्ष समिति ने चेतावनी दी है कि यदि अब भी सरकार ने वंचित अभ्यर्थियों के साथ न्याय नहीं किया तो वंचित शिक्षक मानवाधिकार आयोग का दरवाजा खटखटाएंगे। संघर्ष समिति के प्रवक्ता डूंगरदान चारण ने बताया कि राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल ने 31 मई 1999 में एक परिपत्र जारी कर निर्देशित किया था कि सरकार चयन प्रक्रिया में आरक्षण 50 प्रतिशत तक ही रखें। सभी विभागों को पत्र जारी कर निर्देशित किया जाए कि चयन प्रक्रिया में महिलाओं, भूतपूर्व सैनिकों ,दिव्यांगों को क्षैतिज आरक्षण में रखा जाए।
जिसके परिप्रेक्ष्य में प्रदेश के कार्मिक विभाग ने आयोग को उसी दिन राज्यपाल के परिपत्र के तहत क्षैतिज आरक्षण नियमों की पालना करने के निर्देश जारी किए मगर फिर भी 2004 की शिक्षक भर्ती में गलत आरक्षण देकर 2354 पदों पर महिलाओं को भर्ती दे दी गई थी जबकि ये सभी पुरुषों के लिए आवंटित थे और आरक्षण के तहत पुरुष अभ्यर्थी ही हकदार थे। इस भर्ती में आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक होकर असंवैधानिक हो गया था। शिक्षक नेता चारण ने बताया कि आयोग में अब तक 300 से अधिक वंचित अभ्यर्थियों ने परिवेदनाएं पेश कर रखी है। बीते दिनों 5 अगस्त को प्री-लिटिगेशन के तहत सुनवाई मगर वह औपचारिक रही क्योंकि 300 परिवेदनाओं में से मात्र 3 अभ्यर्थियों को ही सुना गया। अब वंचित अभ्यर्थियों ने इस प्रकरण की सीबीआई से जांच कराने की मांग उठाई है।
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