राजस्थान हाईकोर्ट ने विभिन्न रिट याचिकाएं निस्तारित करते हुए तृतीय
श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2006 के तहत चयनित बीएड योग्यताधारी
अभ्यर्थियों की वेतन वृद्धि संबंधी विसंगति दूर करने के संबंध में
याचिकाकर्ताओं के प्रतिवेदन कंसीडर कर निर्णय करने के आदेश दिए हैं। यह
प्रक्रिया तीन महीने में पूरी करने के निर्देश दिए।
याचिकाकर्ता मनोहर सिंह और अन्य की ओर से अधिवक्ता टंवरसिंह राठौड़ ने रिट याचिकाएं दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता आरपीएससी द्वारा आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2006 में शरीक हुए और उत्तीर्ण हुए। चयनित बीएसटीसी योग्यताधारी अभ्यर्थियों को सितंबर 2007 में नियुक्ति दे दी गई, जबकि बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को जनवरी 2008 में नियुक्ति दी गई। इससे बीएसटीसी योग्यताधारी शिक्षकों को दो साल पूर्ण होने पर वेतनवृद्धि जुलाई 2010 में ही दे दी गई, जबकि उसी भर्ती में चयनित बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को जुलाई 2011 में साढ़े तीन साल के बाद प्रथम वेतनवृद्धि दी गई।
अधिवक्ता राठौड़ ने कोर्ट से कहा कि एक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को एक वर्ष की वार्षिक वृद्धि की विसंगति बनी हुई है। जिसकी जिम्मेदारी विभाग की थी। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों की नियुक्ति में देरी विभाग द्वारा की गई थी। जिसके कारण वर्तमान मूल वेतन 42,500 है, जबकि इसी भर्ती में चयनित बीएसटीसी योग्यताधारी शिक्षकों की मूल वेतन 43, 800 रुपए है। उन्होंने यह भी कोर्ट को बताया कि इस संबंध में विभाग को बार-बार परिवेदना व व्यक्तिगत रूप से जाकर बताया, लेकिन विभाग द्वारा इस पर कोई उचित कार्रवाई नहीं की और संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया गया।
जस्टिस पीएस भाटी ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए शिक्षा विभाग के सचिव व प्रारंभिक शिक्षा के निदेशक व संबंधी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला परिषद को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत परिवेदना को कंसीडर कर तीन महीने में निर्णय करें।
याचिकाकर्ता मनोहर सिंह और अन्य की ओर से अधिवक्ता टंवरसिंह राठौड़ ने रिट याचिकाएं दायर कर कोर्ट को बताया कि याचिकाकर्ता आरपीएससी द्वारा आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2006 में शरीक हुए और उत्तीर्ण हुए। चयनित बीएसटीसी योग्यताधारी अभ्यर्थियों को सितंबर 2007 में नियुक्ति दे दी गई, जबकि बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को जनवरी 2008 में नियुक्ति दी गई। इससे बीएसटीसी योग्यताधारी शिक्षकों को दो साल पूर्ण होने पर वेतनवृद्धि जुलाई 2010 में ही दे दी गई, जबकि उसी भर्ती में चयनित बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों को जुलाई 2011 में साढ़े तीन साल के बाद प्रथम वेतनवृद्धि दी गई।
अधिवक्ता राठौड़ ने कोर्ट से कहा कि एक भर्ती में चयनित अभ्यर्थियों को एक वर्ष की वार्षिक वृद्धि की विसंगति बनी हुई है। जिसकी जिम्मेदारी विभाग की थी। चयन प्रक्रिया पूरी होने के बाद भी बीएड योग्यताधारी अभ्यर्थियों की नियुक्ति में देरी विभाग द्वारा की गई थी। जिसके कारण वर्तमान मूल वेतन 42,500 है, जबकि इसी भर्ती में चयनित बीएसटीसी योग्यताधारी शिक्षकों की मूल वेतन 43, 800 रुपए है। उन्होंने यह भी कोर्ट को बताया कि इस संबंध में विभाग को बार-बार परिवेदना व व्यक्तिगत रूप से जाकर बताया, लेकिन विभाग द्वारा इस पर कोई उचित कार्रवाई नहीं की और संतुष्टिपूर्ण जवाब नहीं दिया गया।
जस्टिस पीएस भाटी ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए शिक्षा विभाग के सचिव व प्रारंभिक शिक्षा के निदेशक व संबंधी जिला शिक्षा अधिकारी व जिला परिषद को निर्देश दिए कि याचिकाकर्ताओं द्वारा प्रस्तुत परिवेदना को कंसीडर कर तीन महीने में निर्णय करें।
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