जयपुर, 30 मार्च। महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती अनीता भदेल ने कहा कि अब आंगनबाड़ी केन्द्र बेहतर पोषण के साथ बेहतरीन शिक्षा का भी केंद्र बनेंगे। उन्होंने कहा कि विभाग ने 3 से 6 साल तक की उम्र के बच्चों के लिए नवाचारों से भरी ऎसी खास पुस्तकें केद्रों पहुंचाई हैं, जो न केवल बेहद रूचिकर हैं बल्कि सर्वांगीण विकास में मददगार होंगी।
श्रीमती भदेल गुरूवार को आमेर स्थित ठाठर कॉलोनी में आयोजित प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षण (ईसीई) का शुभांरभ एवं अभिभावक-कार्यकर्ता बैठक (पीटीएम) के समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने केंद्र पर आने वाले सभी अभिभावकों से अपील की कि वे लगातार केंद्र पर आएं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहें ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और अध्यापक और अभिभावकों के बीच सामंजस्य भी बना रहे।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहली बार प्री स्कूल वर्क बुक्स के माध्यम से ‘प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम’ लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अन्तर्गत प्रदेश के लगभग 61 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों को जीवन्त प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा केन्द्र बनाने के लिए ‘आंगनबाड़ी पाठशाला’ के रूप में विकसित किया जाएगा।
श्रीमती भदेल ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को और अधिक आकर्षक बनाने और आधारभूत सुविधाएं जैसे-टेबिल, कुर्सी, ग्रीन बोर्ड, डिस्प्ले बोर्ड इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए 40 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह राशि केन्द्र को ‘आंगनबाड़ी पाठशाला‘ के रूप में और अधिक सुव्यस्थित व बाल सुलभ गतिविधियों को सशक्त बनाने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र पर पंजीकृत सभी शाला पूर्व शिक्षा के लाभार्थियों के विकास व क्षमताओं का सतत् आकलन निर्धारित प्रपत्र में त्रैमासिक किया जाएगा। प्रत्येक अमावस्या को होने वाली अभिभावक बैठक में बच्चों की प्रगति व विकास पर चर्चा की जाएगी व सत्र के अन्त में जो बच्चे अनौपचारिक शिक्षा पूर्ण कर लेंगे, उन्हें प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो कि स्कूल में प्रवेश के लिए तैयार होने का प्रमाण पत्र होगा।
विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री कुलदीप रांका ने कहा कि राजस्थान दिवस के मौके पर विभाग द्वारा किए जा रहे इस नवाचार से न केवल आमजनता में जागरूकता बढ़ेगी साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों का नामांकन भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर तीन समूह जैसे 3-4 वर्ष के बच्चों के लिए ‘किलकारी’, 4-5 वर्ष के बच्चों के लिए ‘उमंग’ तथा 5-6 वर्ष तक के बच्चों के लिए ‘तरंग’ वर्कबुक से प्री-स्कूलशिक्षा प्रदान की जाएगी।
इस अवसर पर समेकित बाल विकास सेवाएं के निदेशक श्री समित शर्मा ने कहा कि विभाग ने सितम्बर, 2016 में यूनिसेफ राजस्थान की सहायता से राज्य के 4200 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के प्रारम्भिक शिक्षा विकास के लिए ईसीई पायलेट रूप में संचालित किया गया था, जिसके निष्कर्षों के आधार पर राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए आयु आधारित वर्कबुक के माध्यम से प्री-स्कूलशिक्षा प्रारम्भ की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कदम छोटे बच्चोें के सपनों को नया आसमान भी देगा।
श्रीमती भदेल ने केंद्र पर उपस्थित कुछ बच्चों को किलकारी, उमंग और तरंग पुस्तकों के सैट वितरित किए। उन्होंने इस मौके पर बच्चों को टॉफी, चॉकलेट और उपहार भी वितरित किए। इस अवसर पर जिला प्रमुख श्री मूलचंद मीणा, श्री सतीश पूनिया, यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ श्रीमती सुलगना रॉक्स सहित कई अन्य जन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि इस तरह के कार्यक्रम प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों पर जिला कलेक्टर और जन प्रतिनिधियों के उपस्थिति में सम्पन्न हुए हैं।
श्रीमती भदेल गुरूवार को आमेर स्थित ठाठर कॉलोनी में आयोजित प्रारंभिक बाल्यावस्था शिक्षण (ईसीई) का शुभांरभ एवं अभिभावक-कार्यकर्ता बैठक (पीटीएम) के समारोह को संबोधित कर रही थीं। उन्होंने केंद्र पर आने वाले सभी अभिभावकों से अपील की कि वे लगातार केंद्र पर आएं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से संपर्क में रहें ताकि बच्चों को बेहतर शिक्षा मिले और अध्यापक और अभिभावकों के बीच सामंजस्य भी बना रहे।
महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश में पहली बार प्री स्कूल वर्क बुक्स के माध्यम से ‘प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा कार्यक्रम’ लागू किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अन्तर्गत प्रदेश के लगभग 61 हजार से अधिक आंगनबाड़ी केन्द्रों को जीवन्त प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा केन्द्र बनाने के लिए ‘आंगनबाड़ी पाठशाला’ के रूप में विकसित किया जाएगा।
श्रीमती भदेल ने कहा कि आंगनबाड़ी केन्द्रों को और अधिक आकर्षक बनाने और आधारभूत सुविधाएं जैसे-टेबिल, कुर्सी, ग्रीन बोर्ड, डिस्प्ले बोर्ड इत्यादि उपलब्ध कराने के लिए 40 करोड़ का प्रावधान किया गया है। यह राशि केन्द्र को ‘आंगनबाड़ी पाठशाला‘ के रूप में और अधिक सुव्यस्थित व बाल सुलभ गतिविधियों को सशक्त बनाने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र पर पंजीकृत सभी शाला पूर्व शिक्षा के लाभार्थियों के विकास व क्षमताओं का सतत् आकलन निर्धारित प्रपत्र में त्रैमासिक किया जाएगा। प्रत्येक अमावस्या को होने वाली अभिभावक बैठक में बच्चों की प्रगति व विकास पर चर्चा की जाएगी व सत्र के अन्त में जो बच्चे अनौपचारिक शिक्षा पूर्ण कर लेंगे, उन्हें प्रारम्भिक बाल्यावस्था शिक्षा प्रमाण पत्र दिया जाएगा, जो कि स्कूल में प्रवेश के लिए तैयार होने का प्रमाण पत्र होगा।
विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री कुलदीप रांका ने कहा कि राजस्थान दिवस के मौके पर विभाग द्वारा किए जा रहे इस नवाचार से न केवल आमजनता में जागरूकता बढ़ेगी साथ ही आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों का नामांकन भी बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों पर तीन समूह जैसे 3-4 वर्ष के बच्चों के लिए ‘किलकारी’, 4-5 वर्ष के बच्चों के लिए ‘उमंग’ तथा 5-6 वर्ष तक के बच्चों के लिए ‘तरंग’ वर्कबुक से प्री-स्कूलशिक्षा प्रदान की जाएगी।
इस अवसर पर समेकित बाल विकास सेवाएं के निदेशक श्री समित शर्मा ने कहा कि विभाग ने सितम्बर, 2016 में यूनिसेफ राजस्थान की सहायता से राज्य के 4200 आंगनबाड़ी केन्द्रों पर बच्चों के प्रारम्भिक शिक्षा विकास के लिए ईसीई पायलेट रूप में संचालित किया गया था, जिसके निष्कर्षों के आधार पर राज्य के सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों के लिए आयु आधारित वर्कबुक के माध्यम से प्री-स्कूलशिक्षा प्रारम्भ की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह कदम छोटे बच्चोें के सपनों को नया आसमान भी देगा।
श्रीमती भदेल ने केंद्र पर उपस्थित कुछ बच्चों को किलकारी, उमंग और तरंग पुस्तकों के सैट वितरित किए। उन्होंने इस मौके पर बच्चों को टॉफी, चॉकलेट और उपहार भी वितरित किए। इस अवसर पर जिला प्रमुख श्री मूलचंद मीणा, श्री सतीश पूनिया, यूनिसेफ की शिक्षा विशेषज्ञ श्रीमती सुलगना रॉक्स सहित कई अन्य जन प्रतिनिधि भी उपस्थित रहे।
उल्लेखनीय है कि इस तरह के कार्यक्रम प्रदेश के सभी जिला मुख्यालय और आंगनबाड़ी केंद्रों पर जिला कलेक्टर और जन प्रतिनिधियों के उपस्थिति में सम्पन्न हुए हैं।
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