About Us

Sponsor

राजस्थान का 'गब्बर' मास्टर! नहीं पढ़ता बेटा तो मां कहती है पढ़ ले नहीं तो शान्तनु सर आ जाएंगे, जानें माजरा

 माता-पिता के बाद सही मार्ग चुनने और शिक्षा से ज्ञान की प्राप्ति के लिए हर व्यक्ति के जीवन में गुरु की एक अहम भूमिका होती है. हिंदू धर्म के अंदर तो गुरु का दर्जा भगवान से भी ऊपर बताया गया है. टीचर्स डे 2024 के मौके पर हम आपको एक ऐसे सरकारी शिक्षक से रूबरू कराने जा रहे हैं. जों गांव के सरकारी विद्यालय में बच्चों को पढाकर, रात को यह भी देखते हैं कि बच्चे घर पर पढ़ रहे हैं या नहीं.

वैसे तो सरकारी शिक्षकों के ऊपर आए दिन लापरवाही के मामल वायरल होते हैं. लेकिन राजस्थान के करौली के निवासी शांतनु पाराशर अपने आप में सभी शिक्षकों से कुछ अलग हैं. सरकारी शिक्षक रहते हुए भी वह अपना कर्तव्य बखूबी कुछ इस तरह से निभा रहे हैं. जो सभी शिक्षकों के लिए प्रेरणादाई है.

वर्ष 2010 में वरिष्ठ शिक्षक बने शांतनु पाराशर के मुताबिक उन्हें 22 अक्टूबर 2010 को करौली के हजारीपुर गांव के राजकीय वरिष्ठ उपाध्याय संस्कृत विद्यालय में नियुक्ति मिली थी. उनका कहना है कि मैं भी गांव का ही रहने वाला हूं और मुझे पता है कि गांव में पढ़ाई की स्थिति क्या रहती है.

वह बताते हैं कि गांव में सुविधाओं और संसाधनों की कमी को देखते हुए शिक्षा के प्रति बच्चों का मनोबल कम हो जाता है. ग्रामीण बच्चों में इसी मनोबल को बढ़ाने के लिए रात को भी मैं आवश्यकता के अनुसार और खासकर परीक्षा के दिनों में बच्चों के संपर्क में रहता हूं. ताकि उन्हें महसूस हो कि हमारे गुरुजी हमेशा हमारे साथ है.

सरकारी शिक्षक की इस रात्रि गश्त मुहीम से गांव के सरकारी स्कूल का परिणाम भी बेहतर हो गया है. इसलिए रोजाना वह रात को अपने घर से 16 किलोमीटर दूर जा कर बच्चे रात को घर पर पढ़ रहे हैं या नहीं यह भी देखते हैं. शिक्षक शांतनु पाराशर का कहना है कि इस मुहिम से कई सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहें हैं.

पाराशर के मुताबिक जब उन्हें गांव के सरकारी स्कूल में नियुक्ति मिली तब विद्यालय में केवल 156 बच्चे थे. लेकिन जब उन्होंने इस मुहिम को शुरू किया तो गांव के बच्चों में ना केवल शिक्षा के प्रति अलख जागने लगी बल्कि विद्यालय में बच्चों की संख्या के साथ-साथ गांव के सरकारी स्कूल का परिणाम भी शत प्रतिशत रहने लगा. जो आज तक निरंतर जारी है.

सरकारी शिक्षक शांतनु पाराशर गांव के बच्चों में पर्यावरण संरक्षण और राष्ट्र प्रेम के संदेश के लिए भी आए दिन नए-नए नवाचार करके विशेष अभियान चलाते रहते हैं.

शिक्षक शांतनु पाराशर अब तक कई बच्चों को गोद भी ले चुके हैं. आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को गोद लेने के बाद वह उनको शिक्षण सामग्री के साथ सारी जरूरत के सामान उपलब्ध कराते हैं. ताकि सुविधाओं से वंचित बच्चे भी स्कूल टॉप कर सके.

वह बताते हैं कि सबसे पहले वह बच्चों का टाइम टेबल बनाते हैं और रात्रि गस्त के दौरान बच्चों के यहां अचानक जाकर देखते हैं कि वह पढ़ रहे हैं या नहीं.

No comments:

Post a Comment

Photography

Recent

Recent Posts Widget
'; (function() { var dsq = document.createElement('script'); dsq.type = 'text/javascript'; dsq.async = true; dsq.src = '//' + disqus_shortname + '.disqus.com/embed.js'; (document.getElementsByTagName('head')[0] || document.getElementsByTagName('body')[0]).appendChild(dsq); })();

Important News

Popular Posts