डिजिटल युग खासकर कोरोनाकाल में जैसे-जैसे कैश ट्रंजेक्शन बढ़ रहा है। सायबर ठग इसका फायदा उठाने से नहीं चूक रहे हैं। अब तो नौकरीपेशा लोगों के बैंक खातों में आने वाले वेतन पर भी इनकी पैनी नजर है। जैसे ही खाते में तनख्वाह आती है। साइबर ठग अननोन काॅल्स के जरिये शिकार की जुगत में जुट जाते हैं। शहर में बीते दिनों ऐसी एक दर्जन वारदातें सामने आई है।
जिसमे
ठग पहले बैंक खाता क्लीयर करने की कहते हुए खुद एक से दस रुपए तक डालते
हैं। फिर उस खाते से राशि निकाल लेते हैं। दैनिक भास्कर ने कुछ ऐसी
वारदातों की जानकारी जुटाई। इसमें ऑनलाइन ठगी का नए और हैरत में डाल देने
जैसे तौर तरीके सामने आए।
जिला पुलिस की अपील सतर्क रहे सुरक्षित रहें
जिला
पुलिस के अनुसार वर्तमान सूचना तकनीकी के दौर में रोजमर्रा के अधिकांश
कार्यों में कम्प्यूटर, इंटरनेट, सोशल मीडिया आदि का प्रयोग होता है। लंबे
समय से साइबर अपराधी इलेक्ट्रोनिक साधनों का प्रयोग कर लोगों से विभिन्न
तरीकों से ठगी कर रहे हैं। पुलिस आमजन को सतर्क करती है। अनजान व्यक्ति के
कहने पर निजी जानकारी साझा न करें।
अध्यापक के खाते में वेतन आते ही खाता क्लीयर करने के नाम पर निकाले 80 हजार रुपए
निम्बाहेड़ा क्षेत्र में कार्यरत शहर के उपनगरीय क्षेत्र निवासी शिक्षक के बैंक खाते में 7 अक्टूबर को वेतन के 80 हजार रुपए आते हैं। इसके आधे घंटे बाद ही अननोन नंबर से काॅल आया। वह नाम लेकर कहता है कि हेलो, हेमराजजी पहचाना मुझे... शिक्षक- नहीं..। ठग फिर कहता है, पहचानो। शिक्षक- नहीं पहचाना, कहां से बोल रहे हो। अब ठग कहता है- मैं जयपुर से बोल रहा हूं।
शिक्षक- जयपुर से कौन? ठग कहता है, मैं शर्माजी। शिक्षक फिर भी पहचान तो नहीं पाते हैं पर तंग आकर कहते हैं- बोलो। ठग कहता है-एक काम है। आपके एकाउंट में मैं 10 हजार रुपए डाल रहा हूं, इसे साहब को दे देना। शिक्षक सवाल करते हैं, कौन से साहब को। ठग कहता है- प्रिंसिपल साहब को। शिक्षक अब भी कुछ समझ नहीं पाते हैं तो अपना फोन एक साथी शिक्षक को देते हुए उसका नाम पता करने को कहते हैं। दूसरे शिक्षक टू कालर पर नाम चेक करते हैं। इसी बीच ठग कहता हैं कि वह पैमेंट डाल रहा है। खाता चेक कर कर लो।
शिक्षक इसके बाद भी मोबाइल पर बैलेंस चेक किए बिना ही बता देते हैं कि उनके खाते में इतना बैलेंस है। इस बीच खाते में दस रुपए आते हैं। जिसके बाद ठग इस मैसेज को स्कैन करने को कहता है। इतना कुछ होने पर साथी शिक्षक झांसे में आकर मोबाइल स्कैन करता है। संभवतया इसी दौरान ठग उनका मोबाइल रिमोट पर लेकर ओपीटी नंबर आदि जानकारी चुरा लेता है।
कुछ ही क्षण में वाॅटसएप मैसेज डिलीट हो जाते हैं। अब एक-एक कर चार बार में 20-20 हजार रुपए निकल जाते हैं। पांचवीं बार भी 20 हजार निकालने का प्रयास होता है। बैलेंस नहीं होने से 10 और फिर 5हजार के ट्रांजेक्शन का प्रयास होता है। खाते में मात्र 3400 रूपए ही बचे होने से पांच हजार का ट्रांजेक्शन भी नहीं हो पाता है। शिक्षक अपना बैलेंस चेक करते हैं तो सकते में आ जाते हैं। खाते में आई 80 हजार की तनख्वाह मात्र 15 मिनट में गायब हो चुकी थी। वह भाग कर शहर में आते है और बैंक खाते को होल्ड करवाते हैं।
टैक्सी चालक को बातों में उलझाकर दाेस्त के नंबर लिए, खाते से निकाले आठ हजार रुपए
शहर
के टैक्सी चालक के मोबाइल पर अननोन नंबर से कॉल आया। ठग ने कहा-मधुसूदन
बोल रहे हैं। हम आपकी गाड़ी किराये पर लेते हैं। मैं मुकेश बोल रहा हूं। आप
फोन पे यूज करते हो क्या? टैक्सी चालक ने कहा कि नहीं। ठग कहता है कि किसी
बंदे का नंबर दे दो। मुझे 10 हजार रूपए ट्रांसफर करने हैं। टैक्सी चालक
दोस्त टैक्सी चालक को फोन करके बस इतना ही पूछता है कि क्या वो फोन पे यूज
करता है।
नंबर बताने पर ठग दूसरे टैक्सी चालक को भी कांफ्रेंस में ले लेता है। उसका खाता नंबर पूछता है। फिर कहता है कि आपके एकाउंट में 10 हजार रुपए आएंगे, आपका खाता नंबर बताओ। एकाउंट नंबर बताते ही उसके खाते में एक रुपए डालकर कंफर्म करते हैं। फिर ओटीपी नंबर पूछ लेता है। ऐसे आठ हजार रुपए निकाल लिए।
एटीएम पिन चुराकर निकाले 90 हजार रुपए
धनतेरस
के दिन तुंबडिया निवासी मदनलाल जाट के साथ 90 हजार की ठगी हो गई। गंगरार
पुलिस को दी रिपोर्ट में मदनलाल ने बताया कि उसने11 नवंबर सुबह 11 बजे
हाइवे मार्ग स्थित एक एटीएम से 10 हजार रूपए निकाले थे। तब बूथ में एक लडका
उसके पास में आकर खडा हुआ था। संभवतया इसी दौरान उसने उसके एटीएम पिन नंबर
देख लिए और उसके एटीएम कार्ड का क्लोन बना लिया होगा।
वह रुपए निकालकर भीलवाड़ा चला गया। इसके बाद 11 व 12 नवंबर को कुल 9 बार में उसके खाते से 90 हजार रूपए निकाल लिए गए। बैंक में सूचना की। बैंक स्टेटमेेंट में ये बात सामने आई कि पैसा सीकर एटीएम से निकले हैं। मजदूर किशनलाल गुर्जर पुठोली के एटीएम से रुपए निकालने पहुंचे। पैसे नहीं निकले तो चला गया। रात में उसके खाते से 20 हजार निकलने का मैसेज आया।
सीम आसाम की, गुड़गांव के बैंक एकाउंट में ट्रांसफर हुए रुपए
ठगी
के शिकार शिक्षक ने इसकी रिपोर्ट सदर थाना पुलिस में दी। शिक्षक ने अपने
स्तर पर जो पता लगाया। उसके अनुसार जिस नंबर से फोन आया, वो सीम आसाम की
है। जिस खाते में 80 हजार रूपए ट्रांसफर हुए। वो गुडगांव के किसी निजी बैंक
खाते के हैं। हालांकि अब तक वारदात का खुलासा नहीं हो पाया।
सवाल: ठग गिरोह को इतनी जानकारी कैसे?
इस
मामले में शिक्षक के खाते से पूरी तनख्वाह कैसे उड़ गई? यह तो अभी रहस्य है
ही। सवाल यह भी है कि खाते में तनख्वाह आते ही ठग कैसे सक्रिय हुए? फिर
उसने शिक्षक का नाम भी बोल दिया। नाम टू कालर से भी पता किया जा सकता है,
लेकिन उसे ये कैसे पता चला कि वह शिक्षक है।
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