भरतपुर. संभाग के ढाई हजार थर्ड ग्रेड शिक्षकों की
डीपीसी के मामले में खुद उनका ही विभाग न्याय नहीं कर पा रहा है, बल्कि खुद
विभाग के अधिकारी इस मामले को लेकर खुद का बचाव करने में जुटे हुए हैं।
हकीकत यह है कि जिम्मेदार अधिकारियों को ही शिक्षकों के हितों की परवाह
नहीं है।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 27 मई अंक में जिनका वर्षों पहले प्रमोशन हो चुका, उनका भी दिया पात्रता सूची में नाम शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था। इसके बाद से ही इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा रिपुसूदन ने शनिवार को संभाग के चारों जिलों के डीईओ के नाम एक आदेश निकाला है। हालांकि इस आदेश में पात्र शिक्षकों के नाम सूची में जोडऩे पर कुछ नहीं कहा गया है, बल्कि अपनी खामियां दूसरों पर डालने की कहानी जोड़ दी गई है। आदेश में कहा है कि कार्यालय की ओर से तृतीय वेतन श्रृंखला से द्वितीय वेतन श्रृंखला में अध्यापक एवं शारीरिक शिक्षकों की वर्ष 2020-21 की डीपीसी के लिए पात्रता सूची वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन, संतान संबंधित प्रमाण पत्र एवं विभागीय जांच की सूचना के लिए भिजवाई गई है। संज्ञान में आया है कि जारी पात्रता सूची में कुछ कार्मिक उच्च पदों पर चले गए हैं एवं कुछ वरिष्ठता सूचियों में स्नातक के विषय, प्रशैक्षिक योग्यता सही नहीं होने के कारण पात्र कार्मिक पात्रता सूची में शामिल होने से वंचित रह गए हैं। इससे स्पष्ट है कि सूची का अवलोकन नहीं किया गया है। पात्रता सूची का मिलान शाला दर्पण के माध्यम से कर सही करें। उक्त कार्य दो जून तक कर लिया जाए एवं उसी दिन शाम छह बजे ई-मेल से प्रेषित करें।
बड़ा सवाल...जो पात्र शिक्षक उनका नाम जुड़ेगा या नहीं
संयुक्त निदेशक के पत्र से साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि यह आदेश माध्यमिक शिक्षा निदेशक के दखल के बाद निकाला गया है। क्योंकि पिछले एक सप्ताह से सूची पर विवाद होने के बाद भी वो चुप्पी साधे हुए थे। राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ धौलपुर के जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा के माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी व शिक्षा मंत्री को इस प्रकरण में ट्वीट करने के बाद आनन-फानन में यह खानापूर्ति वाला आदेश जारी कर दिया गया। जबकि इस आदेश में परिवेदना लेकर पात्र शिक्षकों के नाम शामिल करने के बारे में कुछ नहीं गया है। जबकि सूची में गल्तियां करना व अपात्र शिक्षकों के नाम जोडऩा विभाग की पुरानी परंपरा रही है, परंतु पात्र शिक्षकों के नाम जोडऩे की मांग ही शिक्षक संगठनों की ओर से की जा रही है। इधर, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश संयुक्त मंत्री पवन शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण जो समय अवधि शिक्षकों को मिलनी चाहिए थी, उसी अवधि को दुबारा देते हुए संशोधित सूचियां बननी चाहिए। तब जाकर ही पात्र शिक्षकों को लाभ मिल सकता है। वरना् यह खानापूर्ति करना ही साबित होगा।
इधर, कलक्टर के आदेश के बाद भी थमाया शिक्षक को नोटिस
जिला कलक्टर ने आदेश दे रखा है कि जीरो क्वॉरंटीन सेंटरों पर किसी भी शिक्षक को नहीं बुलाया जाएगा। खुद जिला कलक्टर ने आदेश जारी कर रखे हैं। हालांकि शिक्षक को पाबंद रखा जाएगा कि आवश्यकता पडऩे पर वह तुरंत आएगा। लेकिन डीग व नदबई ब्लॉक के जीरो क्वॉरंटीन सेंटरों पर शिक्षकों को बुलाया जा रहा है। इसमें एक ऐसा मामला भी सामने आया है कि जिला कलक्टर के आदेश के बाद भी नदबई के अखैगढ़ पीईईओ ने एक शिक्षक को अनुपस्थित मिलने पर नोटिस जारी कर दिया गया, जबकि उसकी ड्यूटी जीरो क्वॉरंटीन सेंटर पर थी।
उल्लेखनीय है कि राजस्थान पत्रिका ने 27 मई अंक में जिनका वर्षों पहले प्रमोशन हो चुका, उनका भी दिया पात्रता सूची में नाम शीर्षक से समाचार प्रकाशित कर मामले का खुलासा किया था। इसके बाद से ही इस मामले को प्रमुखता से उठाया जा रहा है।
संयुक्त निदेशक स्कूल शिक्षा रिपुसूदन ने शनिवार को संभाग के चारों जिलों के डीईओ के नाम एक आदेश निकाला है। हालांकि इस आदेश में पात्र शिक्षकों के नाम सूची में जोडऩे पर कुछ नहीं कहा गया है, बल्कि अपनी खामियां दूसरों पर डालने की कहानी जोड़ दी गई है। आदेश में कहा है कि कार्यालय की ओर से तृतीय वेतन श्रृंखला से द्वितीय वेतन श्रृंखला में अध्यापक एवं शारीरिक शिक्षकों की वर्ष 2020-21 की डीपीसी के लिए पात्रता सूची वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन, संतान संबंधित प्रमाण पत्र एवं विभागीय जांच की सूचना के लिए भिजवाई गई है। संज्ञान में आया है कि जारी पात्रता सूची में कुछ कार्मिक उच्च पदों पर चले गए हैं एवं कुछ वरिष्ठता सूचियों में स्नातक के विषय, प्रशैक्षिक योग्यता सही नहीं होने के कारण पात्र कार्मिक पात्रता सूची में शामिल होने से वंचित रह गए हैं। इससे स्पष्ट है कि सूची का अवलोकन नहीं किया गया है। पात्रता सूची का मिलान शाला दर्पण के माध्यम से कर सही करें। उक्त कार्य दो जून तक कर लिया जाए एवं उसी दिन शाम छह बजे ई-मेल से प्रेषित करें।
बड़ा सवाल...जो पात्र शिक्षक उनका नाम जुड़ेगा या नहीं
संयुक्त निदेशक के पत्र से साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि यह आदेश माध्यमिक शिक्षा निदेशक के दखल के बाद निकाला गया है। क्योंकि पिछले एक सप्ताह से सूची पर विवाद होने के बाद भी वो चुप्पी साधे हुए थे। राजस्थान शिक्षक एवं पंचायतीराज कर्मचारी संघ धौलपुर के जिलाध्यक्ष राजेश शर्मा के माध्यमिक शिक्षा निदेशक सौरभ स्वामी व शिक्षा मंत्री को इस प्रकरण में ट्वीट करने के बाद आनन-फानन में यह खानापूर्ति वाला आदेश जारी कर दिया गया। जबकि इस आदेश में परिवेदना लेकर पात्र शिक्षकों के नाम शामिल करने के बारे में कुछ नहीं गया है। जबकि सूची में गल्तियां करना व अपात्र शिक्षकों के नाम जोडऩा विभाग की पुरानी परंपरा रही है, परंतु पात्र शिक्षकों के नाम जोडऩे की मांग ही शिक्षक संगठनों की ओर से की जा रही है। इधर, राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत के प्रदेश संयुक्त मंत्री पवन शर्मा ने बताया कि लॉकडाउन के कारण जो समय अवधि शिक्षकों को मिलनी चाहिए थी, उसी अवधि को दुबारा देते हुए संशोधित सूचियां बननी चाहिए। तब जाकर ही पात्र शिक्षकों को लाभ मिल सकता है। वरना् यह खानापूर्ति करना ही साबित होगा।
इधर, कलक्टर के आदेश के बाद भी थमाया शिक्षक को नोटिस
जिला कलक्टर ने आदेश दे रखा है कि जीरो क्वॉरंटीन सेंटरों पर किसी भी शिक्षक को नहीं बुलाया जाएगा। खुद जिला कलक्टर ने आदेश जारी कर रखे हैं। हालांकि शिक्षक को पाबंद रखा जाएगा कि आवश्यकता पडऩे पर वह तुरंत आएगा। लेकिन डीग व नदबई ब्लॉक के जीरो क्वॉरंटीन सेंटरों पर शिक्षकों को बुलाया जा रहा है। इसमें एक ऐसा मामला भी सामने आया है कि जिला कलक्टर के आदेश के बाद भी नदबई के अखैगढ़ पीईईओ ने एक शिक्षक को अनुपस्थित मिलने पर नोटिस जारी कर दिया गया, जबकि उसकी ड्यूटी जीरो क्वॉरंटीन सेंटर पर थी।
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