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Monday 18 November 2019

प्री लिटिगेशन कमेटी ने क्या दिया फैसला, डेढ़ महीने बाद भी आरपीएससी ने नहीं खोले पत्ते

राजस्थान लोक सेवा आयोग द्वारा तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 का प्रकरण 1 अक्टूबर 2019 को प्री लिटिगेशन कमेटी में रखा गया था। लेकिन अब डेढ़ महीने बाद भी आयोग ने पत्ते नहीं खोले कि प्री लिटिगेशन कमेटी की बैठक में इस प्रकरण में क्या किया गया। अभ्यर्थियों द्वारा मामले को लेकर लगाई गई आरटीआई में भी गोलमोल जवाब दिया जा रहा है।


1 अक्टूबर 2019 को आयोजित प्री लिटिगेशन कमेटी की बैठक में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2004 के प्रकरण में को लेकर क्या निर्णय किया गया। इसकी जानकारी 45 दिन भी आयोग ने उपलब्ध नहीं कराई है। भरतपुर निवासी प्रदीप कुमार सारस्वत को आयोग द्वारा उनके द्वारा लगाई आरटीआई का जवाब भेजा। इसमें आयोग के लोक सूचना अधिकारी ने लिखा कि आरटीआई 2005 के तहत सारस्वत द्वारा चाही गई आंशिक सूचना-मुझे मेरी परिवेदना के निस्तारण के परिप्रेक्ष्य में आयोग स्तर पर जो भी कार्यवाही की गई है, उसकी मय कार्यालय टिप्पणी समस्त नोटशीट की प्रतियां उपलब्ध कराने का श्रम करें- के संबंध में लेख है कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती-2004 के प्रकरण प्री लिटिगेशन कमेटी की 1 अक्टूबर 2019 को आयोजित बैठक में विचारित किए गए हैं। बैठक के निर्णय से प्रार्थियों या परिवादियों को यथा समय सूचित कर दिया जाएगा। साथ ही यह भी लिखा कि यदि सारस्वत सूचना से संतुष्ट नहीं हैं, तो वे पत्र जारी होने की दिनांक से 30 दिन के भीतर प्रथम अपील आयोग के प्रथम अपील अधिकारी, सचिव, राजस्थान लोक सेवा आयोग अजमेर के समक्ष प्रस्तुत कर सकते हैं।

पूर्व में आदेश के बाद भी प्री लिटिगेशन कमेटी में नहीं रखा गया

चयनित बेरोजगार तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 संघर्ष समिति के अध्यक्ष मदन लाल गुप्ता और उपाध्यक्ष लालचंद शर्मा का आरोप है कि हाल ही में जुलाई 2019 को आयोग को वादकरण से पूर्व की नीति 2018 के तहत उक्त प्रकरण काे प्री लिटिगेशन समिति में निस्तारण के लिए परिवेदनाएं भेजी गईं। जिस पर आयोग के द्वारा इस प्रकरण को 5 अगस्त 2019 की प्री लिटिगेशन समिति में रखकर विधिक निस्तारण करने के आदेश 2 अगस्त 2019 को प्रदान कर दिए गए। लेकिन कुछ लोक सेवकों के दुर्भावनाओं के कारण इस प्रकरण को दबा दिया गया व प्री लिटिगेशन समिति में 5 अगस्त 2019 को रखा ही नहीं गया।

45 दिन से कर रहे हैं प्रतीक्षा

यह भी आरोप है कि जब समाचारों में आयोग के इन लोक सेवकों की सच्चाई को उजागर किया गया तो इन्होंने आनन फानन में हाल ही में 1 अक्टूबर 2019 की प्री लिटिगेशन समिति में उक्त प्रकरण को रखा तो गया है, लेकिन आज डेढ़ महीने यानी 45 दिन बीत जाने के बाद भी इसका कोई निस्तारण नहीं किया गया है।

एक ही जवाब मिलता है

गुप्ता व शर्मा ने बताया कि परिवेदना भेजने वाले पीड़ितों द्वारा जब आरटीआई के तहत अपनी परिवेदनाओं पर की गई कार्यवाही की सूचना मांगी जाती है तो लोक सूचना अधिकारी द्वारा प्रकरण के प्रक्रियाधीन, विचाराधीन होने का जवाब देकर पल्ला झाड़ा जा रहा है। ऐसे में 15 वर्ष से न्याय मिलने का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों की अाशा निराशा में बदल रही है।

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