भास्कर संवाददाता | मेड़ता सिटी
राजस्थान लोकसेवा आयोग के वर्ष 2004 में आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में वंचित शिक्षकों ने नियुक्ति की मांग दोहराते हुए राज्यपाल को अनुस्मरण पत्र भेजा है।
वंचित शिक्षकों ने अपने ज्ञापन में राज्यपाल को अवगत कराया है कि राजस्थान लोकसेवा आयोग ने वाद करण से पूर्व की नीति 2018 के तहत गठित प्री-लिटिगेशन समिति ने 1 अक्टूबर 2019 को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2004 की चयन प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण की पालना वाले प्रकरण में लिए गए निर्णय को आज 54 दिन बाद भी उजागर नहीं कर प्रकरण को लंबित किया जा रहा है।
वंचित शिक्षक संघ के प्रवक्ता डीडी चारण ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 2004 में 33 हजार 936 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था जिसकी चयन प्रक्रिया प्रतियोगी परीक्षा के प्राप्त अंकों की वरीयता के आधार पर चयन सूची सीधी भर्ती के माध्यम से किया गया। जिसमें चयन प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण नियमों की पालना नहीं की गई तथा 2354 आरक्षण से अधिक पुरुष पदों पर महिलाओं को नियुक्ति दे दी गई। ऐस में 2354 पुरुष अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रहना पड़ा। चारण ने बताया कि एक ही भर्ती में समान आरक्षण के न्यायिक आदेश की राज्य सरकार पालना नहीं कर रही है। इसलिए 2004 की भर्ती से वंचित पुरुष अभ्यर्थियों को न्यायिक आदेश की पालना में नियुक्ति दिलाने का श्रम करें।
राजस्थान लोकसेवा आयोग के वर्ष 2004 में आयोजित तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा में वंचित शिक्षकों ने नियुक्ति की मांग दोहराते हुए राज्यपाल को अनुस्मरण पत्र भेजा है।
वंचित शिक्षकों ने अपने ज्ञापन में राज्यपाल को अवगत कराया है कि राजस्थान लोकसेवा आयोग ने वाद करण से पूर्व की नीति 2018 के तहत गठित प्री-लिटिगेशन समिति ने 1 अक्टूबर 2019 को तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2004 की चयन प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण की पालना वाले प्रकरण में लिए गए निर्णय को आज 54 दिन बाद भी उजागर नहीं कर प्रकरण को लंबित किया जा रहा है।
वंचित शिक्षक संघ के प्रवक्ता डीडी चारण ने बताया कि प्रारंभिक शिक्षा विभाग ने 2004 में 33 हजार 936 पदों के लिए विज्ञापन जारी किया था जिसकी चयन प्रक्रिया प्रतियोगी परीक्षा के प्राप्त अंकों की वरीयता के आधार पर चयन सूची सीधी भर्ती के माध्यम से किया गया। जिसमें चयन प्रक्रिया में क्षैतिज आरक्षण नियमों की पालना नहीं की गई तथा 2354 आरक्षण से अधिक पुरुष पदों पर महिलाओं को नियुक्ति दे दी गई। ऐस में 2354 पुरुष अभ्यर्थियों को नियुक्ति से वंचित रहना पड़ा। चारण ने बताया कि एक ही भर्ती में समान आरक्षण के न्यायिक आदेश की राज्य सरकार पालना नहीं कर रही है। इसलिए 2004 की भर्ती से वंचित पुरुष अभ्यर्थियों को न्यायिक आदेश की पालना में नियुक्ति दिलाने का श्रम करें।
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