जयपुर। राजस्थान सरकार के शिक्षा विभाग ने सरकार के ही
एक पूर्व मंत्री को नागरिक मानने से इनकार करते हुए सूचना के अधिकार के
तहत मांगी गई जानकारी देने से मना कर दिया। ये पूर्व मंत्री प्रदेश
कांग्रेस के महामत्री भी है। इस मामले में राज्य सूचना आयोग ने शिक्षा
विभाग को फटकार लगाते हुए पूर्व मंत्री को निःशुल्क सूचना देने के निर्देश
दिए हैं।
राज्य मे कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री ललित भाटी ने अजमेर के माध्यमिक जिला अधिकारी से निजी विद्यालयों के निरीक्षण के बारे में सूचनाएं मांगी थी। विभाग ने सूचना का अधिकार कानून की धारा-3 के तहत यह कहकर सूचना देने से मना कर दिया कि सूचना केवल नागरिक को ही मिल सकती है, जबकि भाटी ने अपने नाम के साथ पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस महामंत्री पद का उल्लेख किया है। ऐसे में उन्हें सूचना नहीं दी जा सकती।
भाटी का यह मामला अपील में
सूचना आयोग पहुंचा। यहांं सूचना आयुक्त आशुतोष शर्मा शिक्षा विभाग को
फटकार लगाते हुए फैसले में कहा है कि पूर्व मंत्री द्वारा आरटीआई आवेदन में
अपने नाम के साथ पद लिख देने मात्र से यह नहीं कहा जा सकता कि वह नागरिक
के रूप में सूचना नहीं मांग रहे हैंं। आयोग ने माना कि भाटी ने व्यक्तिगत
तौर पर ही एक नागरिक के रूप में सूचना चाही है न कि किसी विधिक व्यक्ति के
रूप में। सूचना आयुक्त ने कहा कि यह अफसोसजनक है कि नागरिकों को तकनीकी
बिंदुओं में उलझाकर सूचना देने से इनकार किया जा रहा है। यह स्थिति सूचना
के अधिकार कानून की भावना के अनुरूप नहीं है।
राज्य मे कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री ललित भाटी ने अजमेर के माध्यमिक जिला अधिकारी से निजी विद्यालयों के निरीक्षण के बारे में सूचनाएं मांगी थी। विभाग ने सूचना का अधिकार कानून की धारा-3 के तहत यह कहकर सूचना देने से मना कर दिया कि सूचना केवल नागरिक को ही मिल सकती है, जबकि भाटी ने अपने नाम के साथ पूर्व मंत्री और प्रदेश कांग्रेस महामंत्री पद का उल्लेख किया है। ऐसे में उन्हें सूचना नहीं दी जा सकती।
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