अजमेर | आरपीएससी की प्री लिटिगेशन कमेटी की कार्य प्रणाली को लेकर सवाल
खड़े किए जा रहे हैं। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 के प्रकरण में
सही समय पर निस्तारण नहीं हाेने का मामला प्रकाश में आया है। इस मामले को
लेकर समय-समय पर अभ्यर्थियों ने आयोग की प्री लिटिगेशन कमेटी के समक्ष
परिवेदनाएं रखी हैं,लेकिन उनके उचित व सही समय पर निस्तारण नहीं हो सके
हैं।
चयनित बेरोजगार तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष लाल चंद शर्मा ने बताया कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा की विधिक परिवेदनाओं का भी प्रीलिटिगेशन समिति में उचित समय पर निस्तारण नहीं कर पा रहा है। इसके चलते वादकरण कम होने की बजाए बढ़ रहे हैं। शर्मा ने बताया कि आयोग द्वारा एक ही भर्ती तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 के विधिक प्रकरणों को आयोग द्वारा दो बार प्री लिटिगेशन कमेटी में क्रमश: 5 अगस्त और 1 अक्टूबर 2019 को रखा गया है। अभी भी इस समिति ने कोई निर्णय नहीं दिया है। शर्मा का आरोप है कि न्याय से वंचित करीब 100 पीडितों द्वारा पिछले दो महीनों में आयोग अध्यक्ष, सचिव, सदस्य सचिव प्री लिटिगेशन कमेटी के समक्ष पत्र प्रेषित कर भेजी गईं। इन पीडितों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होते देख आरटीआई के तहत आवेदन कर परिवेदना का यूनिक नंबर व प्रकरण में विलंब करने वाले लोक सेवकों की सूचना मांगी गई। इसका जवाब आयोग द्वारा 30 दिनों में नहीं दिए जाने पर प्रथम अपील की गई।
चयनित बेरोजगार तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 संघर्ष समिति के उपाध्यक्ष लाल चंद शर्मा ने बताया कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा की विधिक परिवेदनाओं का भी प्रीलिटिगेशन समिति में उचित समय पर निस्तारण नहीं कर पा रहा है। इसके चलते वादकरण कम होने की बजाए बढ़ रहे हैं। शर्मा ने बताया कि आयोग द्वारा एक ही भर्ती तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा 2004 के विधिक प्रकरणों को आयोग द्वारा दो बार प्री लिटिगेशन कमेटी में क्रमश: 5 अगस्त और 1 अक्टूबर 2019 को रखा गया है। अभी भी इस समिति ने कोई निर्णय नहीं दिया है। शर्मा का आरोप है कि न्याय से वंचित करीब 100 पीडितों द्वारा पिछले दो महीनों में आयोग अध्यक्ष, सचिव, सदस्य सचिव प्री लिटिगेशन कमेटी के समक्ष पत्र प्रेषित कर भेजी गईं। इन पीडितों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं होते देख आरटीआई के तहत आवेदन कर परिवेदना का यूनिक नंबर व प्रकरण में विलंब करने वाले लोक सेवकों की सूचना मांगी गई। इसका जवाब आयोग द्वारा 30 दिनों में नहीं दिए जाने पर प्रथम अपील की गई।
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