जयपुर: राजस्थान
में नर्सरी टीचर ट्रेनिंग (Nursery Teacher Training) भर्ती में बड़ी
गड़बड़ी का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि इस भर्ती में शिक्षा के
दलालों के जरिए बड़ी संख्या में फर्जी डिग्रिधारियों ने एनटीटी की परीक्षा
पास कर ली. इस परीक्षा में जी मीडिया फर्जी डिग्रीधारियों पर बड़ा खुलासा
करने जा रहा है. जिसमें शिक्षा के सौदागरों के जरिए फर्जी डिग्री लेकर
एनटीटी की परीक्षा बड़े आसानी से पास कर ली.
जानिए पूरी कहानी
9 साल पहले जो डिग्री सरकार बंद कर चुकी थी. आज वही डिग्री राजस्थान में खुलेआम बिक रही है. प्रदेश में एनटीटी भर्ती 2010 के बाद बंद हो गई, लेकिन शिक्षा के सौदागर सरकार की नाक के नीचे डिग्री बेचकर सरकारी नौकरी लगवाने का काम कर रहे है. फरवरी में 1310 पदों के लिए हुई एनटीटी की परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फर्जी डिग्री लेकर बैठे. इसके बाद फर्जी डिग्रीधारी परीक्षा में पास भी हो गए और अब सरकारी रेवडी इन फर्जी डिग्रीधारियो में बंटने का तैयार भी है. आईसीडीएस ने दस्तावेज सत्यापन भी करवा लिए, लेकिन अब तक फर्जी डिग्रीधारियों पर कार्रवाई नहीं हुई.
एनसीटीई (National Council for Teacher Education) ने एनटीटी कोर्स को तृतीया श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए अमान्य करार देते हुए 2010 में यह कहा गया था कि केंद्र स्तर पर इसे मान्यता नहीं दी जाएगी. राज्य चाहे तो अपने स्तर पर एनटीटी का कोर्स करवा सकता है, लेकिन राजस्थान सरकार ने 2010 में ही एनटीटी कोर्स कराने वाले संस्थानों की मान्यता वापस ले ली थी. तब से राज्य में एनटीटी की परीक्षा भी बंद है. लेकिन कोर्स बंद होने के बाद राजस्थान में ऐसे कई हजारों अभ्यर्थी थे, जिन्होंने एनटीटी में करियर बनाने के लिए कोर्स कर रहे थे.
वहीं, पिछली गहलोत सरकार में कोर्स किए हुए अभ्यर्थियों आंदोलन को देखते हुए तत्तकालीन गहलोत सरकार 2011-12 में महिला बाल विकास विभाग के अधीन शाला पूर्व प्राथमिक अध्यापक का कैडर बनाया और 500 पदों के लिए भर्ती निकाली. 2012 में परीक्षा हुई नौकरी मिली. उसके बाद बजट 2013 में गहलोत सरकार ने 1 हजार पदों की घोषणा और की, जिसकी परीक्षा 19 जनवरी 2014 को होनी थी. लेकिन तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने परीक्षा को समीक्षा में ही डाल दिया. जिसके बाद अब परीक्षा हुई तो इनमें बड़ी संख्या में फर्जी अभ्यर्थी बैठे. अब देखना यह है कि जी मीडिया के इस खुलासे के बाद आईसीडीएस और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड क्या कार्रवाई करता है.
जानिए पूरी कहानी
9 साल पहले जो डिग्री सरकार बंद कर चुकी थी. आज वही डिग्री राजस्थान में खुलेआम बिक रही है. प्रदेश में एनटीटी भर्ती 2010 के बाद बंद हो गई, लेकिन शिक्षा के सौदागर सरकार की नाक के नीचे डिग्री बेचकर सरकारी नौकरी लगवाने का काम कर रहे है. फरवरी में 1310 पदों के लिए हुई एनटीटी की परीक्षा में बड़ी संख्या में अभ्यर्थी फर्जी डिग्री लेकर बैठे. इसके बाद फर्जी डिग्रीधारी परीक्षा में पास भी हो गए और अब सरकारी रेवडी इन फर्जी डिग्रीधारियो में बंटने का तैयार भी है. आईसीडीएस ने दस्तावेज सत्यापन भी करवा लिए, लेकिन अब तक फर्जी डिग्रीधारियों पर कार्रवाई नहीं हुई.
एनसीटीई (National Council for Teacher Education) ने एनटीटी कोर्स को तृतीया श्रेणी शिक्षक भर्ती के लिए अमान्य करार देते हुए 2010 में यह कहा गया था कि केंद्र स्तर पर इसे मान्यता नहीं दी जाएगी. राज्य चाहे तो अपने स्तर पर एनटीटी का कोर्स करवा सकता है, लेकिन राजस्थान सरकार ने 2010 में ही एनटीटी कोर्स कराने वाले संस्थानों की मान्यता वापस ले ली थी. तब से राज्य में एनटीटी की परीक्षा भी बंद है. लेकिन कोर्स बंद होने के बाद राजस्थान में ऐसे कई हजारों अभ्यर्थी थे, जिन्होंने एनटीटी में करियर बनाने के लिए कोर्स कर रहे थे.
वहीं, पिछली गहलोत सरकार में कोर्स किए हुए अभ्यर्थियों आंदोलन को देखते हुए तत्तकालीन गहलोत सरकार 2011-12 में महिला बाल विकास विभाग के अधीन शाला पूर्व प्राथमिक अध्यापक का कैडर बनाया और 500 पदों के लिए भर्ती निकाली. 2012 में परीक्षा हुई नौकरी मिली. उसके बाद बजट 2013 में गहलोत सरकार ने 1 हजार पदों की घोषणा और की, जिसकी परीक्षा 19 जनवरी 2014 को होनी थी. लेकिन तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने परीक्षा को समीक्षा में ही डाल दिया. जिसके बाद अब परीक्षा हुई तो इनमें बड़ी संख्या में फर्जी अभ्यर्थी बैठे. अब देखना यह है कि जी मीडिया के इस खुलासे के बाद आईसीडीएस और राजस्थान कर्मचारी चयन बोर्ड क्या कार्रवाई करता है.
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