इन बदलावों के बाद अब ग्रामीण क्षेत्र में नई निजी स्कूल खोलने के और उसकी
मान्यता के लिए एक एकड़ तक की भूमि का रुपांतरण कराने की जरूरत नहीं रहेगी।
जिले में प्रारंभिक शिक्षा में इस साल 152 आवेदन नई स्कूलों के लिए आए थे।
जिनमें से 6 स्कूलों को अब तक मान्यता जारी की गई।
इनमें 100 से ज्यादा ऐसे आवेदन थे जो भूमि का रूपांतरण को लेकर मान्यता अटकी थी जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के मान्यता अनुभाग में फाइलों का निस्तारण जल्द प्रारंभ किया जाएगा।
भास्कर संवाददाता | नागौर
निजीस्कूलों खोलने वालों को नए साल के मौके पर सरकार ने तोहफा दिया है। गांवों में निजी खातेदारी भूमि पर भी निजी स्कूल खोले जा सकेंगे। भू-उपयोग परिवर्तन कराने की अनिवार्यता एक एकड़ तक नहीं रहेगी।
राज्य सरकार ने स्कूल मान्यता के संबंध में 03 जुलाई, 2012 को निर्देश जारी किए गए थे। इसमें निजी स्कूल संचालन की मान्यता लेने के लिए खेल मैदान स्कूल भवन की भूमि का संस्थानिक प्रयोजन के लिए भू उपयोग परिवर्तन होना जरूरी किया था। इससे निजी स्कूल संचालकों नए स्कूल खोलने वालों के लिए परेशानी हो गई थी। इस प्रकार के नियम से सत्र 2012-13 के बाद शिक्षा विभाग ने नई मान्यता जारी नहीं की। इससे चलते कई स्कूल बिना भू-उपयोग परिवर्तन के संचालित हैं। नियम में संशोधन करने से मान्यता के संबंध में बरसों से अटकी फाइलों का निस्तारण हो सकेगा।
शिक्षाविभाग ने राजस्व विभाग से मांगी जानकारी
स्कूलशिक्षा विभाग ने भू उपयोग परिवर्तन के संबंध में राजस्व विभाग से जानकारी लेने के बाद नियमों में बदलाव किया है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने ‘क्या ग्रामीण क्षेत्र में आवासीय भूमि पर विद्यालय संचालन किया जा सकता है?’ तथा ‘क्या खातेदारी भूमि पर विद्यालय संचालन खातेदार या अन्य द्वारा करने के लिए भू रूपांतरण आवश्यक नहीं है?’
बिंदूओ पर राजस्व विभाग ने जानकारी चाही। राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया कि, ‘ग्रामीण क्षेत्र में खातेदारी भूमि पर एक एकड़ तक संस्थानिक प्रयोजन की आवश्यकता नहीं है’इसके बाद विभाग ने नियमों में बदलाव कर दिया।
^ग्रामीणक्षेत्र में खातेदारी भूमि पर एक एकड़ तक संस्थानिक प्रयोजन के लिए भूमि रूपांतरण की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार ने पुराने नियमों में संशोधन किया है। ग्रामीण आबादी क्षेत्र की आवासीय भूमि पर विद्यालय संचालित किया जा सकता है। अर्जुनछाबा, एपीसी आरटीई, नागौर
इनमें 100 से ज्यादा ऐसे आवेदन थे जो भूमि का रूपांतरण को लेकर मान्यता अटकी थी जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक के मान्यता अनुभाग में फाइलों का निस्तारण जल्द प्रारंभ किया जाएगा।
भास्कर संवाददाता | नागौर
निजीस्कूलों खोलने वालों को नए साल के मौके पर सरकार ने तोहफा दिया है। गांवों में निजी खातेदारी भूमि पर भी निजी स्कूल खोले जा सकेंगे। भू-उपयोग परिवर्तन कराने की अनिवार्यता एक एकड़ तक नहीं रहेगी।
राज्य सरकार ने स्कूल मान्यता के संबंध में 03 जुलाई, 2012 को निर्देश जारी किए गए थे। इसमें निजी स्कूल संचालन की मान्यता लेने के लिए खेल मैदान स्कूल भवन की भूमि का संस्थानिक प्रयोजन के लिए भू उपयोग परिवर्तन होना जरूरी किया था। इससे निजी स्कूल संचालकों नए स्कूल खोलने वालों के लिए परेशानी हो गई थी। इस प्रकार के नियम से सत्र 2012-13 के बाद शिक्षा विभाग ने नई मान्यता जारी नहीं की। इससे चलते कई स्कूल बिना भू-उपयोग परिवर्तन के संचालित हैं। नियम में संशोधन करने से मान्यता के संबंध में बरसों से अटकी फाइलों का निस्तारण हो सकेगा।
शिक्षाविभाग ने राजस्व विभाग से मांगी जानकारी
स्कूलशिक्षा विभाग ने भू उपयोग परिवर्तन के संबंध में राजस्व विभाग से जानकारी लेने के बाद नियमों में बदलाव किया है।
स्कूल शिक्षा विभाग ने ‘क्या ग्रामीण क्षेत्र में आवासीय भूमि पर विद्यालय संचालन किया जा सकता है?’ तथा ‘क्या खातेदारी भूमि पर विद्यालय संचालन खातेदार या अन्य द्वारा करने के लिए भू रूपांतरण आवश्यक नहीं है?’
बिंदूओ पर राजस्व विभाग ने जानकारी चाही। राजस्व विभाग ने स्पष्ट किया कि, ‘ग्रामीण क्षेत्र में खातेदारी भूमि पर एक एकड़ तक संस्थानिक प्रयोजन की आवश्यकता नहीं है’इसके बाद विभाग ने नियमों में बदलाव कर दिया।
^ग्रामीणक्षेत्र में खातेदारी भूमि पर एक एकड़ तक संस्थानिक प्रयोजन के लिए भूमि रूपांतरण की आवश्यकता नहीं होगी। सरकार ने पुराने नियमों में संशोधन किया है। ग्रामीण आबादी क्षेत्र की आवासीय भूमि पर विद्यालय संचालित किया जा सकता है। अर्जुनछाबा, एपीसी आरटीई, नागौर
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