भीलवाड़ा। भीलवाड़ा जिलेके कॉलेजों में खिलाड़ियों की कमी नहीं लेकिन वे बड़े मुकाबले में बगैर मेडल जीते जाते हैं। इसका एक बड़ा कारण है शारीरिक शिक्षकों का नहीं होना। शहर के दोनों एमएलवी सेमुमा गर्ल्स कॉलेज सहित जिले के 6 कॉलेजों में 5200 स्टूडेंट्स हैं।
सैकड़ों व्याख्याता प्राध्यापक हैं लेकिन हैरानी की बात है कि कहीं भी शारीरिक शिक्षक नहीं है। इसके उलट स्थिति अजमेर के पुष्कर स्थित सरकारी कॉलेज की है। वहां केवल 29 छात्र हैं। इनके लिए शारीरिक शिक्षक भी हमेशा रहा है। कई बार तो दो-दो भी रहे थे। हालांकि यह भीलवाड़ा के खिलाड़ी छात्रों की प्रतिभा ही है जो फिजिकल टीचर नहीं होने के बावजूद इंटर कॉलेज स्पर्द्धाओं में मेडल जीतते रहे हैं। इसके बाद सही तकनीकी प्रशिक्षण के अभाव में इंटर यूनिवर्सिटी या और बड़े स्तर की प्रतियोगिताओं में इन्हें मायूस होना पड़ जाता है। चार साल में मुश्किल से ही किसी ने अखिल भारतीय स्तर पर मेडल जीता है।
किसी लेक्चरर को दे देते हैं जिम्मेदारी
एमएलवीकॉलेज हो या जिले को अन्य सरकारी कॉलेज। फिजिकल टीचर की जिम्मेदारी किसी व्याख्याता या प्राध्यापक को दी हुई है। वे या तो अपने विषय की कक्षाएं लेने में व्यस्त रहते हैं या उन्हें खेलों की तकनीकी जानकारी नहीं होती। इसका खामियाजा बड़ी चैंपियनशिप में जाने वाले खिलाड़ियों को चुकाना पड़ता है।
निदेशालयभी ध्यान नहीं देता
इसबारे में एमएलवी कॉलेज प्रिंसिपल प्रो.बीएल मालवीय सेमुमा गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.चित्रा भार्गव का एक सा जवाब था। इनका कहना है कि हमने निदेशालय को कई बार लिखा लेकिन कोई फायदा नहीं होता।
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
सैकड़ों व्याख्याता प्राध्यापक हैं लेकिन हैरानी की बात है कि कहीं भी शारीरिक शिक्षक नहीं है। इसके उलट स्थिति अजमेर के पुष्कर स्थित सरकारी कॉलेज की है। वहां केवल 29 छात्र हैं। इनके लिए शारीरिक शिक्षक भी हमेशा रहा है। कई बार तो दो-दो भी रहे थे। हालांकि यह भीलवाड़ा के खिलाड़ी छात्रों की प्रतिभा ही है जो फिजिकल टीचर नहीं होने के बावजूद इंटर कॉलेज स्पर्द्धाओं में मेडल जीतते रहे हैं। इसके बाद सही तकनीकी प्रशिक्षण के अभाव में इंटर यूनिवर्सिटी या और बड़े स्तर की प्रतियोगिताओं में इन्हें मायूस होना पड़ जाता है। चार साल में मुश्किल से ही किसी ने अखिल भारतीय स्तर पर मेडल जीता है।
किसी लेक्चरर को दे देते हैं जिम्मेदारी
एमएलवीकॉलेज हो या जिले को अन्य सरकारी कॉलेज। फिजिकल टीचर की जिम्मेदारी किसी व्याख्याता या प्राध्यापक को दी हुई है। वे या तो अपने विषय की कक्षाएं लेने में व्यस्त रहते हैं या उन्हें खेलों की तकनीकी जानकारी नहीं होती। इसका खामियाजा बड़ी चैंपियनशिप में जाने वाले खिलाड़ियों को चुकाना पड़ता है।
निदेशालयभी ध्यान नहीं देता
इसबारे में एमएलवी कॉलेज प्रिंसिपल प्रो.बीएल मालवीय सेमुमा गर्ल्स कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ.चित्रा भार्गव का एक सा जवाब था। इनका कहना है कि हमने निदेशालय को कई बार लिखा लेकिन कोई फायदा नहीं होता।
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