जयपुर। राजस्थान विश्वविद्यालय में पिछले 11 साल अटके शिक्षकों के प्रमोशन का एक बार फिर रास्ता सरकार ने खोल दिया है। सरकार ने इसके लिए अब 30 सितंबर तक का समय दिया है। हालांकिविश्वविद्यालय ने दिसंबर का
समय मांगा था। अब विश्वविद्यालय को 30 सितंबर से पहले सालों से अटके शिक्षकों के प्रमोशन की प्रक्रिया पूरी करनी होगी। यह विश्वविद्यालय के सामने चुनौती होगी। कारण है कि डेढ़ साल पहले भी सरकार ने समय दिया था। लेकिन विश्वविद्यालय इस दौरान प्रमोशन का काम नही कर पाई। विश्वविद्यालय में 272 शिक्षकों के प्रमोशन होने हैं।गौरतलब है कि विश्वविद्यालय में 2012 में जो पदोन्नति प्रक्रिया शुरू की गई थी। वह यूजीसी के विनियम 2010 के अनुसार शुरू हुई थी। लेकिन इसके बाद यूजीसी की ओर से पदोन्नति के लिए विनियम 2018 जारी किया गया। इतना ही नहीं, अगस्त 2020 में सरकार ने इसे लागू करने के लिए विश्वविद्यालय को निर्देश भी दिए हैं, लेकिन इसे अपनाए बिना ही विनियम 2010 के अनुसार पदोन्नति प्रक्रिया की जा रही थी। इस पर आपत्ति दर्ज करवाई गई थी।विशेषज्ञों का राय : यूजीसी के रेगुलेशन के विपरित
विशेषज्ञों का तर्क है कि हालांकि सरकार ने 30 सितंबर का समय दिया है। लेकिन यह यूजीसी की रेगुलेशन के विपरित है। यूजीसी के 2018 के रेगुलेशन में कहा गया कि पहले पात्र हुए शिक्षकों को उसी आधार पर पदोन्नति दी जा सकती है, लेकिन यूजीसी ने तीन साल की अवधि में इसे पूरा करने का प्रावधान किया था जो कि 18 जुलाई को समाप्त हो गया। लेकिन राज्य सरकार यूजीसी के समय सीमा के मामलों में संशोधन कर सकती है या नहीं। इस पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
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