जेएनवीयू की एक साल बाद हाेने वाली सिंडिकेट की बैठक में शिक्षक भर्ती
2012-13 में लगे शिक्षकों को बचाने का दांव खेला है। सोमवार को होने वाली
सिंडिकेट की बैठक में 28 से ज्यादा मुद्दों काे रखा जाएगा, लेकिन राजभवन के
आदेशों की अवहेलना करते हुए शिक्षक भर्ती और दशोरा कमेटी की रिपोर्ट को
पेश करने के आइटम्स को ही एजेंडे से हटा लिया है।
जबकि यह दोनों मुद्दे पूर्व सिंडिकेट के एजेंडे में शामिल किए गए थे। इस बार विवि प्रशासन ने नए एजेंडे पर सिंडिकेट की बैठक बुला ली है।
दरअसल, कुलपति प्रो. गुलाबसिंह चौहान की अध्यक्षता में यह सिंडिकेट की पहली बैठक है। पूर्व में विवि में शिक्षक भर्ती के दौरान हुई अनियमितताओं को लेकर राजभवन में शिकायत हुई थी। तब राजभवन से विवि को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। राज्य सरकार ने प्रो. दशोरा कमेटी का गठन कर मामले की जांच कराई थी। कमेटी की रिपोर्ट भी सिंडिकेट में रखी जानी है, लेकिन मई 2018 के बाद विवि में सिंडिकेट की एक भी बैठक नहीं हुई। एक बार बैठक की घोषणा की गई थी, लेकिन बाद में उसे स्थगित कर दिया गया था।
बदल नहीं सकते हैं एजेंडे को
विवि में सिंडिकेट की बैठक में शामिल एजेंडे को बदलने का नियम नहीं हैं। एजेंड़े में नए मुद्दों को जोड़ा जा सकता है। पर पूर्व में शामिल मुद्दों को हटाया नहीं जा सकता है। इस बार पहली बार ऐसा हो रहा है कि पूर्व एजेंड़े में शामिल मुद्दों को ही हटा कर नया एजेंडा बनाया गया है।
शिक्षक भर्ती प्रकरण से उलझी सिंडिकेट
जेएनवीयू में 2012-13 की भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से हुई अनियमितताओं की शिकायत के बाद दर्ज एफआईआर में 70 लोगों के खिलाफ चालान बनाए गए थे। कुलपति से लेकर सिंडिकेट सदस्यों को जेल में जाना पड़ा था। भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बडि़यों की शिकायत पर तत्कालीन राज्य सरकार ने प्रो. दशोरा के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया था, जिसने रिपोर्ट दे दी थी। इसके पश्चात तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी सिंह का कार्यालय पूर्ण हो चुका था और कार्यवाहक कुलपति के रूप में प्राे. राधेश्याम शर्मा आ चुके थे। उन्होंने इस रिपोर्ट की ब्रीफ रिपोर्ट देने के लिए एक कमेटी बनाई थी। उसने भी अपनी रिपोर्ट दे दी। पर सिंडिकेट की बैठक नहीं बुलाई गई। इसके बाद प्रो. गुलाब सिंह कुलपति बने, लेकिन पहले चुनाव के कारण सिंडिकेट की बैठक नहीं हुई। इसके बाद एक बार सिंडिकेट की बैठक बुलाई तो वो स्थगित करनी पड़ी। इस सारे कारणों की वजह से 12 माह से सिंडिकेट की बैठक नहीं हो पा रही है। जून 2018 में राजभवन की ओर से विवि प्रशासन को पत्र लिखकर अवगत कराया गया था कि वो भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर कार्रवाई से अवगत कराएं।
जबकि यह दोनों मुद्दे पूर्व सिंडिकेट के एजेंडे में शामिल किए गए थे। इस बार विवि प्रशासन ने नए एजेंडे पर सिंडिकेट की बैठक बुला ली है।
दरअसल, कुलपति प्रो. गुलाबसिंह चौहान की अध्यक्षता में यह सिंडिकेट की पहली बैठक है। पूर्व में विवि में शिक्षक भर्ती के दौरान हुई अनियमितताओं को लेकर राजभवन में शिकायत हुई थी। तब राजभवन से विवि को कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। राज्य सरकार ने प्रो. दशोरा कमेटी का गठन कर मामले की जांच कराई थी। कमेटी की रिपोर्ट भी सिंडिकेट में रखी जानी है, लेकिन मई 2018 के बाद विवि में सिंडिकेट की एक भी बैठक नहीं हुई। एक बार बैठक की घोषणा की गई थी, लेकिन बाद में उसे स्थगित कर दिया गया था।
बदल नहीं सकते हैं एजेंडे को
विवि में सिंडिकेट की बैठक में शामिल एजेंडे को बदलने का नियम नहीं हैं। एजेंड़े में नए मुद्दों को जोड़ा जा सकता है। पर पूर्व में शामिल मुद्दों को हटाया नहीं जा सकता है। इस बार पहली बार ऐसा हो रहा है कि पूर्व एजेंड़े में शामिल मुद्दों को ही हटा कर नया एजेंडा बनाया गया है।
शिक्षक भर्ती प्रकरण से उलझी सिंडिकेट
जेएनवीयू में 2012-13 की भर्ती तत्कालीन कांग्रेस सरकार के समय हुई थी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो की ओर से हुई अनियमितताओं की शिकायत के बाद दर्ज एफआईआर में 70 लोगों के खिलाफ चालान बनाए गए थे। कुलपति से लेकर सिंडिकेट सदस्यों को जेल में जाना पड़ा था। भर्ती प्रक्रिया में हुई गड़बडि़यों की शिकायत पर तत्कालीन राज्य सरकार ने प्रो. दशोरा के नेतृत्व में कमेटी का गठन किया था, जिसने रिपोर्ट दे दी थी। इसके पश्चात तत्कालीन कुलपति प्रो. आरपी सिंह का कार्यालय पूर्ण हो चुका था और कार्यवाहक कुलपति के रूप में प्राे. राधेश्याम शर्मा आ चुके थे। उन्होंने इस रिपोर्ट की ब्रीफ रिपोर्ट देने के लिए एक कमेटी बनाई थी। उसने भी अपनी रिपोर्ट दे दी। पर सिंडिकेट की बैठक नहीं बुलाई गई। इसके बाद प्रो. गुलाब सिंह कुलपति बने, लेकिन पहले चुनाव के कारण सिंडिकेट की बैठक नहीं हुई। इसके बाद एक बार सिंडिकेट की बैठक बुलाई तो वो स्थगित करनी पड़ी। इस सारे कारणों की वजह से 12 माह से सिंडिकेट की बैठक नहीं हो पा रही है। जून 2018 में राजभवन की ओर से विवि प्रशासन को पत्र लिखकर अवगत कराया गया था कि वो भर्ती प्रक्रिया को रद्द कर कार्रवाई से अवगत कराएं।
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