बाड़मेर ।भले ही सरकारी कॉलेज में शुल्क बहुत कम है और अन्य खर्चे भी
ज्यादा नहीं, लेकिन गांव से शहर आकर पढ़ रहे विद्यार्थियों को स्नातक की
डिग्री दो लाख से कम में नहीं पड़ रही। शहर में महंगे दाम पर कमरा और रहना
भारी पड़ रहा है।
यहां छात्रावास की सुविधा मिल जाए तो कई छात्रों को काफी राहत मिल सकती है, लेकिन राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। कॉलेज परिसर में बना छात्रावास पिछले लंबे समय जर्जर है और इसे खंडहर मानकर छोड़ दिया गया है। एेसे में छात्रों को इसकी सुविधा नहीं मिलरही।सुदूर ढाणियों में रहने वाले गरीब परिवार मुश्किल से बच्चों को पढ़ाकर कॉलेज में दाखिला दिला रहे हैं, लेकिन यहां मासिक 5 से 10 हजार रुपए का खर्च उनकी कमर तोड़ रहा है। शहर में कमरों का किराया महंगा हो गया है और महाविद्यालय में छात्रावास की सुविधा नहीं है। महाविद्यालय में 43 साल पहले बना सरकारी छात्रावास खण्डहर हो गया है। एेसे में कॉलेज में आने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।10 गुणा 10 का कमरा, किराया 2 हजारपीजी कॉलेज में करीब 3 हजार विद्यार्थी नियमित पढ़ते हैं। इसमेंसे 70 प्रतिशत ग्रामीण इलाके के विद्यार्थी हैं। उन्हें शहर में रुकने के लिए कमरा किराए पर लेना पड़ता है। मासिक किराया दो हजार रुपएसे कम नहीं है। परिवहन व अन्य खर्च मिलाकर करीब 5 हजार रुपए मासिक व्यय हो जाते हैं।25 वर्षों से खंडहर हो रहा पीजी कॉलेज का छात्रावासवर्ष 1973 में पीजी कॉलेज में छात्रावास का निर्माण हुआ था। इसके बाद कुछ वर्षों तक छात्रों ने प्रवेशलिए, लेकिन इसके बाद कॉलेज प्रशासन की ढिलाई के चलते दस वर्ष तक कॉलेज केचतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही इसमें रहते थे। इसके बाद 1995 से छात्रावास को खण्डहर बनने के लिए छोड़ दिया गया। अब स्थिति यह हो गई हैकि कभी भी यह भवन गिर सकता है। इसके कमरों के खिड़की और दरवाजे टूट गए हैं। छत गिर चुकी है। खंडहर हो चुके इस छात्रावास की अब दीवारें भी गिरनेलगी है।फिर भी नहीं सुधरे हालातजब तीन दिवसीय दौरे पर मुख्यमंत्री बाड़मेर आईं तो स्थानीय नेताओं व छात्रों ने कॉलेज में जर्जर हो रहे छात्रावास को लेकर अवगत करवाया गया, लेकिन 8 माह बीतने के बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से छात्रावास के बारे में एक बार कॉलेज प्रशासन को वस्तुस्थिति जानने के लिए भी पत्र भेजा गया, लेकिन हालात जस के तस हैं।कई बार आए पत्र, हुआ कुछ नहींकॉलेज निदेशालय की ओर से कॉलेज प्रशासन से छात्रावास की स्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी गई। इसके बाद समय-समय पर पत्र भेजे गए, लेकिन छात्रावास की फाइल कॉलेज में इधर-उधर घूम रही है। इसे सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे।छात्र बोले- छात्रावास जरूरी, सरकार ले फैसलायह जिले का सबसे बड़ा कॉलेज है। यहां ग्रामीण इलाके से छात्र पढऩे आते हैं। एेसे में सरकारी छात्रावास की सुविधा जरूरी है। छात्रावास नहीं होने से छात्रों के लिए पढ़ाई का खर्चा महंगा पड़ रहा है।पूनमाराम, काश्मीरशहर में कमरों का किराया महंगा हो गया है। दस फीट के कमरे का 2 हजार किराया लगता है। इसमें खाना बनाना, पढऩा और रहना मुश्किल हो जाता है। छात्रावास की सुविधा नहीं होने पर मजबूरी में किराए पर रहना पड़ रहा है।जूंझाराम, शिवकरकॉलेज में तीन हजार विद्यार्थी हैं, लेकिन छात्रावास की सुविधा नहीं मिल रही। ऐसे में कई बार परीक्षा के दौरान समस्या खड़ी हो जाती है।मुकेश, छीतर का पारकिराए पर कमरा लेकर बैठे हैं। यहां पर पढ़ाई करना बहुत मुश्किल है। गर्मी ज्यादा पड़ रही है। ऐसे में कॉलेज परिसर में छात्रावास होना जरूरी है।रेखाराम, आडेल
सरकारी नौकरी - Army /Bank /CPSU /Defence /Faculty /Non-teaching /Police /PSC /Special recruitment drive /SSC /Stenographer /Teaching Jobs /Trainee / UPSC
यहां छात्रावास की सुविधा मिल जाए तो कई छात्रों को काफी राहत मिल सकती है, लेकिन राज्य सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। कॉलेज परिसर में बना छात्रावास पिछले लंबे समय जर्जर है और इसे खंडहर मानकर छोड़ दिया गया है। एेसे में छात्रों को इसकी सुविधा नहीं मिलरही।सुदूर ढाणियों में रहने वाले गरीब परिवार मुश्किल से बच्चों को पढ़ाकर कॉलेज में दाखिला दिला रहे हैं, लेकिन यहां मासिक 5 से 10 हजार रुपए का खर्च उनकी कमर तोड़ रहा है। शहर में कमरों का किराया महंगा हो गया है और महाविद्यालय में छात्रावास की सुविधा नहीं है। महाविद्यालय में 43 साल पहले बना सरकारी छात्रावास खण्डहर हो गया है। एेसे में कॉलेज में आने वाले छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।10 गुणा 10 का कमरा, किराया 2 हजारपीजी कॉलेज में करीब 3 हजार विद्यार्थी नियमित पढ़ते हैं। इसमेंसे 70 प्रतिशत ग्रामीण इलाके के विद्यार्थी हैं। उन्हें शहर में रुकने के लिए कमरा किराए पर लेना पड़ता है। मासिक किराया दो हजार रुपएसे कम नहीं है। परिवहन व अन्य खर्च मिलाकर करीब 5 हजार रुपए मासिक व्यय हो जाते हैं।25 वर्षों से खंडहर हो रहा पीजी कॉलेज का छात्रावासवर्ष 1973 में पीजी कॉलेज में छात्रावास का निर्माण हुआ था। इसके बाद कुछ वर्षों तक छात्रों ने प्रवेशलिए, लेकिन इसके बाद कॉलेज प्रशासन की ढिलाई के चलते दस वर्ष तक कॉलेज केचतुर्थ श्रेणी कर्मचारी ही इसमें रहते थे। इसके बाद 1995 से छात्रावास को खण्डहर बनने के लिए छोड़ दिया गया। अब स्थिति यह हो गई हैकि कभी भी यह भवन गिर सकता है। इसके कमरों के खिड़की और दरवाजे टूट गए हैं। छत गिर चुकी है। खंडहर हो चुके इस छात्रावास की अब दीवारें भी गिरनेलगी है।फिर भी नहीं सुधरे हालातजब तीन दिवसीय दौरे पर मुख्यमंत्री बाड़मेर आईं तो स्थानीय नेताओं व छात्रों ने कॉलेज में जर्जर हो रहे छात्रावास को लेकर अवगत करवाया गया, लेकिन 8 माह बीतने के बावजूद हालात नहीं सुधरे हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय से छात्रावास के बारे में एक बार कॉलेज प्रशासन को वस्तुस्थिति जानने के लिए भी पत्र भेजा गया, लेकिन हालात जस के तस हैं।कई बार आए पत्र, हुआ कुछ नहींकॉलेज निदेशालय की ओर से कॉलेज प्रशासन से छात्रावास की स्थिति को लेकर रिपोर्ट मांगी गई। इसके बाद समय-समय पर पत्र भेजे गए, लेकिन छात्रावास की फाइल कॉलेज में इधर-उधर घूम रही है। इसे सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे।छात्र बोले- छात्रावास जरूरी, सरकार ले फैसलायह जिले का सबसे बड़ा कॉलेज है। यहां ग्रामीण इलाके से छात्र पढऩे आते हैं। एेसे में सरकारी छात्रावास की सुविधा जरूरी है। छात्रावास नहीं होने से छात्रों के लिए पढ़ाई का खर्चा महंगा पड़ रहा है।पूनमाराम, काश्मीरशहर में कमरों का किराया महंगा हो गया है। दस फीट के कमरे का 2 हजार किराया लगता है। इसमें खाना बनाना, पढऩा और रहना मुश्किल हो जाता है। छात्रावास की सुविधा नहीं होने पर मजबूरी में किराए पर रहना पड़ रहा है।जूंझाराम, शिवकरकॉलेज में तीन हजार विद्यार्थी हैं, लेकिन छात्रावास की सुविधा नहीं मिल रही। ऐसे में कई बार परीक्षा के दौरान समस्या खड़ी हो जाती है।मुकेश, छीतर का पारकिराए पर कमरा लेकर बैठे हैं। यहां पर पढ़ाई करना बहुत मुश्किल है। गर्मी ज्यादा पड़ रही है। ऐसे में कॉलेज परिसर में छात्रावास होना जरूरी है।रेखाराम, आडेल
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