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होशियार बनाने पर खर्च किए 56 लाख, अब भी फिसड्डी

अलवर. आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करना शिक्षा विभाग ही नहीं सरकार के बजट पर भी भारी पड़ रहा है। इस वर्ष नौंवीं कक्षा में कमजोर विद्यार्थियों को होशियार बनाने में शिक्षा विभाग ने 56 लाख रुपए खर्च कर दिए। इसके बावजूद पूर्व में कमजोर विद्यार्थियों की शैक्षणिक स्थिति में अपेक्षित सुधार नहीं आया।
विभाग इस वर्ष फिर आठवीं का परिणाम आने पर नौंवीं कक्षा में फिसड्डी विद्यार्थियों के लिए विशेष कक्षाएं चलाने की तैयारी कर रहा है।

बीते शिक्षा सत्र 2015-16 में अलवर जिले में आठवीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाले पढ़ाई में फिसड्डी रहे 11 हजार 183 विद्यार्थियों को चिह्नित किया गया। इसमें विद्यार्थी सबसे अधिक कमजोर गणित विषय में मिले, जिनकी संख्या चार हजार 40 है। वहीं विज्ञान विषय में 3 हजार 384 तथा अंग्रेजी विषय में 3 हजार 769 विद्यार्थी फिसड्डी रहे। कक्षा 9 वीं में सरकारी विद्यालय में  पढऩे वाले विद्यार्थियों को चिह्नित कर उनके लिए विशेष कक्षाएं प्रारम्भ की गई।

यह विशेष कक्षाएं राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान रमसा की ओर से चलाई जाती हैं। इसके लिए सरकारी शिक्षक को विशेष मानदेय दिया जाता है। इसके लिए शिक्षा विभाग की ओर से प्रति विद्यार्थी 500 रुपए प्रति माह 60 दिन की विशेष चलने वाली कक्षा के लिए व्यय किए जाते हैं। इस पर शिक्षा विभाग के जिलेभर में 56 लाख रुपए खर्च हुए।

नियम ही बना नुकसानदेह

आठवीं कक्षा तक विद्यार्थियों को फेल नहीं करने का नियम ही विद्यार्थियों के लिए नुकसानदेह बन गया है। फेल नहीं होने के डर से ग्रामीण क्षेत्रों में तो विद्यार्थी पढ़ाई की ज्यादा परवाह ही नहीं करते, जिससे इनका परिणाम बिगड़ जाता है। अब फिर इस वर्ष कक्षा आठवीं का परीक्षा परिणाम आने पर ग्रेड के आधार पर कमजोर विद्यार्थियों को चिह्नित किया जाएगा। इसके आधार पर सरकारी स्कूलों में फिर विशेष कक्षाएं चलाए जाएंगी।

परीक्षा परिणाम में खास सुधार नहीं

शिक्षाविदें का कहना है कि कक्षा 8 वीं तक कमजोर रहने वाले विद्यार्थियों के लिए चलने वाली विशेष कक्षाएं अधिक प्रभावशाली भूमिका नहीं निभा पाई है। कक्षा 10 वीं बोर्ड का सरकारी स्कूलों के परीक्षा-परिणाम में गत वर्षों की तुलना में अधिक सुधार नहीं हुआ है। इसके चलते इस पर व्यय होने वाला बजट सार्थक साबित नहीं हो रहा है।

सतत मूल्यांकन

तिलकराज पंकज अतिरिक्त परियोजना समन्वयक रमसा ने बताया कि आठवीं कक्षा तक फेल और पास की बात नहीं है। ये तो  सतत शिक्षा व मूल्यांकन प्रक्रिया है। इसमें विद्यार्थियों को ए., बी. और सी. गे्रड दी जाती  है, जिसमें कमजोर विद्यार्थियों पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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