पिछले दो साल से अटकी पटवारी भर्ती परीक्षा-2013 की राह आखिरकार खुल गई है। राजस्व मंडल ने पटवारियों के 4400 पदों के लिए अभ्यर्थना अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड को भिजवा दी है। बोर्ड अब इस संबंध में विज्ञापन जारी कर ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया शुरू करेगा।
इससे पूर्व राजस्व मंडल की ओर से पूर्व में दो बार अभ्यर्थना भेजी जा चुकी थी लेकिन सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग में आरक्षण देने तथा बाद में पदों की संख्या दुगनी किए जाने के कारण मंडल को दो बार मशक्कत कर अर्थना को संशोधित करना पड़ा था।
राजस्व मंडल निबंधक सी. आर. मीणा ने बताया कि पहले सरकार ने 2200 पदों के लिए रिक्तियां निकालीं थीं इसके अनुसार राजस्व मंडल ने जिलेवार विभिन्न श्रेणियों में रिक्तियां मांग कर रिक्त पदों अनुसार अभ्यर्थना तैयार की। इसे संबंधित परीक्षा एजेंसी कर्मचारी चयन बोर्ड को भेज दिया गया। इस बीच राज्य सरकार ने गत 16 अक्टूबर को विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण की अधिसूचना जारी कर दी इस पर राजस्व मंडल को दूसरी बार अभ्यर्थना को संशोधित करना पड़ा।
मुख्यमंत्री की घोषणा का असर
गत दिनों मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने नागौर जिले के दौरे में प्रदेश में पटवारियों के रिक्त पदों की स्थिति देखते हुए 2200 के स्थान पर 4400 पदों पर भर्ती का एेलान किया था। उसके बाद राजस्व मंडल ने तीसरी बार अभ्यर्थना को संशोधित करते हुए जिलेवार रिक्त पद मंगवा लिए। पूर्व में 2200 पदों के लिए अर्थना निकालने के बाद जिलों से रिक्त पदों की वर्गवार व श्रेणीवार रिक्त पदों की स्थिति का आकलन करने में दो माह से अधिक का वक्त लगा। जबकि इससे उलट विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए पांच प्रतिशत आरक्षण व पदों की संख्या 2200 से 4400 किए जाने के बाद यही प्रक्रिया 10 दिन में पूरी हो गई।
परीक्षा जनवरी से पहले संभव नहीं
आवेदकों की संख्या का आंकड़ा 15 लाख के पार जाने की संभावनाओं के चलते परीक्षा केन्द्रों की उपलब्धता महत्वपूर्ण होगा। ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया पूरी करने के लिए एक माह का समय लगेगा। एेसे में परीक्षा जनवरी माह से पहले होने की संभावना नजर नहीं आती।
अब भी कई पेंच
जानकारों की मानें तो सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़ों के लिए 14 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने की औपचारिक घोषणा तो कर दी है लेकिन इस आशय की अधिसूचना नहीं होने से अभी भर्ती में इसे शामिल नहीं किया गया है। परीक्षा प्रक्रिया शुरू होने से पहले एेसा कुछ होता है तो इस आधार पर फिर से अभ्यर्थना को संशोधित किया जा सकता है। वहीं सुप्रीम कोर्ट के 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण नहीं देने के फैसले का भी उल्लंघन मौजूदा आरक्षण कोटे में हो चुका है। एेसे में इसे चुनौती भी दी जा सकती है।
आरक्षण की स्थिति
एससी - 16 प्रतिशत
एसटी - 12 प्रतिशत
ओबीसी - 21 प्रतिशत
एसबीसी - 5 प्रतिशत (पूर्व में दिया जा रहा एक प्रतिशत शामिल )
आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग में - 14 प्रतिशत
कुल आरक्षण प्रतिशत - 68
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