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हाईकोर्ट ने पूछा, क्यों न स्कूलों में कला शिक्षा को शुरू किया जाए

जयपुर. हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व शिक्षा विभाग से पूछा है कि क्यों न आरटीई कानून के तहत शारीरिक शिक्षा की तरह स्कूलों में भी कला शिक्षा शुरू करने का निर्देश दे दिया जाए।
साथ ही मामले में मुख्य सचिव, प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक व प्रारंभिक शिक्षा विभाग के निदेशक व माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।

मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नांद्रजोग व न्यायाधीश इन्द्रजीत सिंह की खंडपीठ ने यह अंतरिम निर्देश बुधवार को विमल शर्मा की जनहित याचिका पर दिया। अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि प्रदेश में 1982 से कला शिक्षकों की नियुक्ति नहीं हुई है और न ही कला शिक्षा की किताबें ही छपी हैं। ऐसे में आरटीई कानून के तहत कला शिक्षा को भी शुरू किया जाए जिससे कि बच्चों में तनाव व अवसाद को दूर किया जा सके।


याचिका में कहा कि आठवीं व दसवीं कक्षा में कला शिक्षा के नंबर दिए जा रहे हैं। ऐसे में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को कला शिक्षा में ग्रेडिंग करने और इस तरह की मार्कशीट जारी करने से भी रोका जाए। इसके अलावा राज्य सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह स्कूलों में कला शिक्षा को शुरू कर पर्याप्त संख्या में कला व संगीत के शिक्षकों की नियुक्ति की जाए।

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