शिक्षा विभाग में बिना तबादला नीति के तृतीय श्रेणी शिक्षकों के
स्थानान्तरण के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित किए जा रहे हैं। जिला शिक्षा
अधिकारी कार्यालय में २० अप्रेल तक ये आवेदन लिए जाएंगे। शिक्षकों की असली
तबादला सूची तो जन प्रतिनिधि विशेषकर विधायक बना रहे हैं जो अपनी सूची
ऑनलाइन भेज रहे हैं। शिक्षकों से पहले भी इस तरह आवेदन पत्र आमंत्रित किए
गए लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो पाई।
शिक्षा विभाग ने ८ वर्र्षो बाद तृतीय श्रेणी अध्यापकों के स्थानान्तरण
के लिए आवेदन पत्र मांगे गए हैं। इस बार जिले से जिले में ही होने वाले
जिला स्थानान्तरण के लिए आवेदन पत्र सम्बन्धित जिले के शिक्षा अधिकारी
कार्यालय व अन्तर जिला स्थानान्तरण के लिए निदेशक को जिला शिक्षा अधिकारी
के माध्यम से देना होगा। अन्तर जिला स्थानान्तर ३१ दिसम्बर २०१२ से पूर्व
के शिक्षकों के ही किए जाएंगे। प्रतिबंधित जिलों में कार्यरत्त एेसे शिक्षक
जो दिसम्बर २०१२ से पहले नियुक्त हैं, उनके ही तबादले हो सकेंगे। इससे
अलवर जिले के सैकड़ों शिक्षकों के तबादले की आस जगी है।
पहले तबादला नीति तो बनाइए-
शिक्षकों का कहना है कि सरकार ने शिक्षा विभाग में तबादला नीति ही नहीं
बनाई है जिसके कारण तबादले के लिए आवेदन पत्र आमंत्रित करना कोई मायने नहीं
रखता है। इस बारे में शिक्षक नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया इस प्रकार व्यक्त
की।
-शिक्षा विभाग में शिक्षकों के तबादले के लिए कोई नीति ही नहीं बनी है।
इस बार विभाग खानापूर्ति करने के लिए शिक्षकों से प्रार्थना पत्र मंगवा रहा
है जबकि अब तक कोई तबादला पॉलिसी नहीं बनी है।
- मूलचंद गुर्जर, प्रदेशाध्यक्ष, पंचायती राज शिक्षक व कर्मचारी संघ, अलवर।
पहले तबादला नीति बनाते तो बनती बात-सरकार ने अभी तक शिक्षकों की कोई
तबादला नीति नहीं बनाई है जिसके बाद भी तबादलों के लिए आवेदन मांगे जा रहे
हैं। यदि पहले तबादला नीति बनती और फिर आवेदन मांगते तो बेहतर होता।
- राजेन्द्र शर्मा, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ सियाराम।
जन प्रतिनिधियों के माध्यम होंगे तबादले-शिक्षा विभाग में कई बार
तबादलों के लिए आवेदन पत्र भरवाए जाते हैं लेकिन अधिकतर तबादले तो जन
प्रतिनिधियों की सूची से ही तबादले होते हैं। शिक्षा विभाग को पूरी तरह
प्रयोगशाला बना रखा है जिसमें कुछ नया सकारात्मक नहीं हो रहा है।
- कांता चौधरी, महिला संयोजिका, शिक्षक व पंचायती राज शिक्षक संघ, अलवर।
शिक्षकों की हालत दयनीय-सरकारी नौकरी में सबसे अधिक दयनीय हालत शिक्षको
की है जिनके तबादले को लेकर सरकार मनमर्जी कर रही है। इस मामले मेें कई बार
तबादला नीति बनाने की घोषणा कई सरकारों ने की लेकिन उसे पूरा नहीं किया।
-दुर्गेश शर्मा, महामंत्री, शिक्षक संघ।
अब फिर पीडि़तों पर कोई ध्यान
नहीं देगा-शिक्षकों की वेदना व परेशानियों पर ध्यान नहीं दिया जाता है
जबकि ये तबादले राजनीतिक आधार पर किए जाते हैं। लगता है कि शिक्षा विभाग
में वहीं पुराने ढर्रे पर काम चलता रहेगा।
-सूरत सिंह खेरिया, जिलाध्यक्ष, शिक्षक संघ अरस्तु।